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महंगाई ने फीकी की दिवाली की मिठास, एक साल में कितनी महंगी हुई आपकी 'दाल रोटी' ?

त्योहार के मौसम की रौनक पर महंगाई की मार पड़ रही है. धीरे-धीरे बढ़ रही महंगाई आपकी कार से लेकर किचन और आपकी दाल-रोटी से लेकर मिठाई तक पहुंच गई है. बीते एक साल में महंगाई ने जो रफ्तार पकड़ी है, वो अब भी बरकरार है, जानिये पिछले एक साल में पेट्रोलियम पदार्थों से लेकर खाने-पीने की चीजें कितनी महंगी हुई हैं ?

महंगाई
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Published : Nov 1, 2021, 7:00 PM IST

हैदराबाद: दिवाली से पहले महंगाई आपके बजट का दिवाला निकालने पर तुली हुई है. हर महीने की पहली तारीख को होने वाले बदलावों में आम आदमी सिर्फ इस बात की दुआ करता है कि उसकी जेब पर बोझ बढ़ाने वाला कोई फैसला ना हो. लेकिन एक नवंबर से कमर्शियल सिलेंडर के बढ़ी हुई कीमतों ने दीपावली की मिठास कम जरूर कर दी है.

कमर्शियल सिलेंडर का इस्तेमाल भले घर पर ना होता हो लेकिन जिन ढाबों, होटल, रेस्टोरेंट पर कई लोग खाना खाते हैं या इन दिनों जो हलवाई दिवाली की मिठाईयां तैयार कर रहा है उसपर इसका सीधा असर पड़ेगा. मिठाई या खाने की लागत बढ़ेगी तो सीधा-सीधा उसका असर आपकी ही जेब पर पड़ेगा. बीते एक साल में महंगाई की रफ्तार जाननी हो तो सिलेंडर और पेट्रोल-डीजल के भाव पर नजर डाल लीजिए. अगर ये तुलना कोरोना काल से पहले और फिर कोरोना काल में अनलॉक की स्थिति और मौजूदा वक्त में करें तो पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है.

कोरोना से पहले ये थीं पेट्रोल डीजल की कीमतें
कोरोना से पहले ये थीं पेट्रोल डीजल की कीमतें

कितना महंगा हुआ है कमर्शियल सिलेंडर ?

एक नवंबर को दिवाली से पहले जो महंगाई का बम फूटा है उसने कमर्शियल सिलेंडर (19 किलो) की कीमतों में 264 रुपये की भारी बढ़ोतरी हुई है. पिछले साल 1 नवंबर को दिल्ली में जो कमर्शियल सिलेंडर 1241.50 रु. का था वो एक साल बाद 2000 रुपये के पार पहुंच चुका है. कोलकाता में एक साल में कमर्शियल सिलेंडर की कीमत करीब 800 रुपये बढ़कर 2073.50 रु. हो गई है. इसी तरह मुंबई में कमर्शियल सिलेंडर 1950 रुपये का हो गया है जो ठीक एक साल पहले 1189.50 रु. का था. चेन्नई में नीले रंग का ये कमर्शियल सिलेंडर सबसे महंगा 2133 रुपये में मिलेगा.

एक साल में कितना महंगा हुआ कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर
एक साल में कितना महंगा हुआ कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर

घरेलू सिलेंडर पर महंगाई की मार ?

1 नवंबर को घरेलू सिलेंडर की कीमतें तो नहीं बढ़ीं लेकिन बीते महीने 6 अक्टूबर को इसकी कीमतों में 15 रुपये का इजाफा हुआ था. जिसके बाद दिल्ली में घरेलू एलपीजी सिलेंडर (14.2 किलो) 899.50 रुपये में मिल रहा है, जो बीते साल 1 नवंबर को 594 रुपये का था. बीते साल 1 नवंबर को जो एलपीजी सिलेंडर कोलकाता में 620.50 रुपये का मिल रहा था वो अब 926 रुपये में मिल रहा है. मुंबई में भी घरेलू गैस की कीमत बीते एक साल में 300 रुपये से अधिक बढ़कर 899.50 रुपये हो गई है, जो पिछले साल 594 रुपये थी. चेन्नई में पिछले साल 610 रुपये मिलने वाला गैस सिलेंडर फिलहाल 915.50 रुपये में बिक रहा है.

एक साल में कितना महंगा हुआ घरेलू एलपीजी सिलेंडर
एक साल में कितना महंगा हुआ घरेलू एलपीजी सिलेंडर

दाम बढ़े और सब्सिडी खत्म

गौरतलब है कि साल 2014 में घरेलू गैस के दाम 1200 रुपये के पार भी पहुंचे थे लेकिन उस वक्त एलपीजी पर मिलने वाली सब्सिडी लोगों के लिए राहत का काम करती थी. फिर सरकार ने सब्सिडी का पैसा सीधे ग्राहकों के खाते में ट्रांसफर करने का फैसला लिया था. लेकिन वक्त बीतने के साथ-साथ पहले सब्सिडी कम होती गई और अब खत्म हो गई है. जिससे आम आदमी पर महंगाई की दो तरफा मार पड़ रही है. इस वक्त सिर्फ बीपीएल परिवारों और उज्ज्वला के लाभार्थियों को ही सब्सिडी का लाभ मिल रहा है.

ये भी पढ़ें: अनाज, तेल, रसोई गैस सभी महंगे, आम आदमी को सब्सिडी मिल भी रही है या नहीं ?

बीते एक साल में पेट्रोल-डीजल के दाम

महंगाई का सेंसेक्स इन दिनों पेट्रोल पंप पर लगातार चढ़ रहा है. जहां देश के ज्यादातर इलाकों में डीजल 100 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच चुका है तो पेट्रोल का भाव 110 रुपये से 120 रुपये के बीच है. मध्य प्रदेश और राजस्थान के कुछ शहर तो ऐसे भी हैं जहां पेट्रोल 120 और डीजल की कीमत 110 रुपये के पार पहुंच चुकी है.

पिछले एक साल में कितने बढ़े हैं पेट्रोल डीजल के दाम
पिछले एक साल में कितने बढ़े हैं पेट्रोल डीजल के दाम

बीते एक साल में ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 30-30 रुपये से अधिक का बढ़ोतरी हुई है. दिल्ली में बीते साल 1 नवंबर को पेट्रोल 81.09 रुपये और डीजल 70.46 रुपये प्रति लीटर था, इस साल नवंबर की पहली तारीख को देश की राजधानी में पेट्रोल के दाम 110 रुपये और डीजल 100 रुपये के करीब पहुंच चुके हैं. मुंबई में पेट्रोल 115 रुपय के पार और डीजल 106 रुपये के पार पहुंच चुका है.

ये भी पढ़ें: भारत में भूल जाओ सस्ता पेट्रोल, इस देश में ₹ 50 में कार की टंकी होती है फुल

सफर भी हुआ महंगा

पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ने से आपकी कार या बाइक का खर्च ही नहीं बढ़ा है बल्कि सार्वजनिक परिवहन से लेकर हवाई उड़ानों तक का सफर महंगा हुआ है. कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का असर पेट्रोल, डीजल, सीएनजी समेत तमाम तरह के ईंधनों पर भी पड़ा है. हवाई यात्री भी महंगी हुई है. दरअसल बीते साल कोरोना के दौरान हवाई यात्राओं पर पूरी तरह से प्रतिबंध था और जब हवाई यात्राओं की शुरुआत हुई तो कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सीमित क्षमता के साथ हवाई यात्राएं हुईं. इसका असर भी फ्लाइट्स की टिकट पर पड़ा है.

अगस्त के महीने में ही नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने घरेलू हवाई किराये में बढ़ोतरी की थी. इन सबका असर टिकट के दाम पर पड़ा है और कोरोना काल से पहले जिस हवाई उड़ान का न्यूनतम किराया 2000 रुपये था वो औसतन 3000 रुपये के पार पहुंच गया है.

आपकी 'दाल रोटी' भी हुई महंगी

देश में आज भी रोजमर्रा के जरूरी सामान जैसे दाल, दूध, चीनी व अन्य सामान की ढुलाई ट्रकों से होता है. ऐसे में पेट्रोलियम पदार्थ और खासकर डीजल की कीमतों में तेजी ने महंगाई को भी पंख लगा दिए हैं. यही वजह है कि बीते एक साल में जैसे-जैसे पेट्रोलियम पदार्थ की कीमतें बढ़ी हैं, उतनी ही तेजी से खाद्यान्न से लेकर खाद्य तेल, सब्जियों से लेकर फल समेत लगभग हर चीज के दाम बढ़े हैं.

एक साल में खाद्य पदार्थों की महंगाई
एक साल में खाद्य पदार्थों की महंगाई

बीते एक साल में सबसे ज्यादा सरसों के तेल से लेकर रिफाइंड और हर तरह का खाद्य तेल महंगा हुआ है. सरसों तेल की कीमत बीते साल के मुकाबले 50 से 60 फीसदी बढ़ी है. जिसके चलते सरकार ने इस साल पाम ऑयल समेत अन्य खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में कमी की थी. पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों का असर आटा, दाल, चावल, नमक, चीनी समेत हर उस रोजमर्रा की चीज पर पड़ा है. जिसका इस्तेमाल आप करते हैं. जिन चीजों की कीमत नहीं बढ़ी है, कंपनियों ने उनका वजन कम कर दिया है. उदाहण के लिए अगर मैगी का 60 ग्राम का पैकेट बीते साल 11 रुपये का मिलता था और अभी भी मिल रहा है तो उसका वजन देखिये वो जरूर कम किया गया होगा.

ये भी पढ़ें: खाने के तेल की कीमतों ने भी बिगाड़ा किचन का बजट, जानिये क्यों बढ़ रहे दाम और खपत ?

थाली से गायब हुआ जायका

बीते करीब एक महीने से महंगाई की मार फल और सब्जियों की कीमतों पर भी पड़ी है. टमाटर और प्याज की कीमतें 50 से लेकर 70 रुपये तक पहुंच चुकी है. जबकि कोई भी सब्जी 50 रुपये से कम में नहीं मिल रही है. इसी तरह हर तरह के फलों की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है. फल और सब्जियों की महंगाई के लिए भले त्योहारी सीजन या मौसम को जिम्मेदार बताया जा रहा हो. लेकिन पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण फल, सब्जियों की ढुलाई महंगी हुई है और इसका असर भी कीमतों पर पड़ रहा है.

औसतन 2000 से 3000 रुपये बढ़ा घर का बजट

सब्जी, फल, दाल, चावल, दूध से लेकर सीएनजी, पीएनजी तक के बढ़ते दाम आम आदमी की जेब और दिल दोनों जला रहे हैं. रोजमर्रा के सामान महंगे होने और खासकर खाद्य पदार्थों की महंगाई के कारण किचन का बजट ऐसा बिगड़ गया है कि जिस घर में औसतन किचन का बजट 3000 रुपये था वो अब 5000 से 6000 रुपये पहुंच गया है. विशेषज्ञों की मानें तो महंगाई फिलहाल थमने वाली नहीं है क्योंकि पेट्रोल-डीजल की कीमतें अभी और बढ़ेगी, जिसका असर सीधे-सीधे आपके घर के बजट पर पड़ेगा.

फल, सब्जी, खाद्य तेल से लेकर आटा, दाल, चावल, चीनी समेत हर चीज पर महंगाई की मार
फल, सब्जी, खाद्य तेल से लेकर आटा, दाल, चावल, चीनी समेत हर चीज पर महंगाई की मार

पेट्रोल-डीजल की महंगाई, सरकार की कमाई

पेट्रोल-डीजल की महंगाई भले आपका दिल और जेब दोनों जला रही हो लेकिन ये महंगाई सरकार का खजाना भर रही है. सरकार की तरफ से जारी आंकड़ो के मुताबिक केंद्र सरकार ने बीते वित्त वर्ष 2020-21 में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क से 1,01,598 करोड़ और डीजल पर 2,33,296 करोड़ रुपये की कमाई की थी. सरकार की इस कमाई में लगातार इजाफा हो रहा है, मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही यानि अप्रैल से सितंबर के दौरान उत्पाद शुल्क कलेक्शन पिछले साल की पहली छमाही की तुलना में 33 फीसदी बढ़ा है.

बीते साल कोरोना और लॉकडाउन भी इसकी वजह माना जा रहा हो लेकिन ये भी नहीं भूलना चाहिए कि केंद्र सरकार ने पिछले साल ही पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 19.98 रुपये से बढ़ाकर 32.9 और डीजल पर 31.80 रुपये किया था. सरकार ने बीते साल 5 मई को उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी की थी जिसके बाद से पेट्रोल के दाम लगभग 38 रुपये और डीजल के दाम 30 रुपये तक बढ़ चुके हैं. सरकार की इस साल की पहली छमाही की कमाई की तुलना कोविड से पहले साल 2019 की पहली छमाही से करें तो ये करीब 80 फीसदी की बढ़ोतरी है. साल 2019 में अप्रैल-सितंबर की छमाही में पेट्रोल-डीजल से सरकार की कमाई 95,930 करोड़ रुपये थी.

ये भी पढ़ें: महंगाई की चौतरफा मार: आम आदमी की थाली से प्याज-टमाटर गायब, पेट्रोल-डीजल के बाद CNG, PNG की कीमतें चढ़ीं

हैदराबाद: दिवाली से पहले महंगाई आपके बजट का दिवाला निकालने पर तुली हुई है. हर महीने की पहली तारीख को होने वाले बदलावों में आम आदमी सिर्फ इस बात की दुआ करता है कि उसकी जेब पर बोझ बढ़ाने वाला कोई फैसला ना हो. लेकिन एक नवंबर से कमर्शियल सिलेंडर के बढ़ी हुई कीमतों ने दीपावली की मिठास कम जरूर कर दी है.

कमर्शियल सिलेंडर का इस्तेमाल भले घर पर ना होता हो लेकिन जिन ढाबों, होटल, रेस्टोरेंट पर कई लोग खाना खाते हैं या इन दिनों जो हलवाई दिवाली की मिठाईयां तैयार कर रहा है उसपर इसका सीधा असर पड़ेगा. मिठाई या खाने की लागत बढ़ेगी तो सीधा-सीधा उसका असर आपकी ही जेब पर पड़ेगा. बीते एक साल में महंगाई की रफ्तार जाननी हो तो सिलेंडर और पेट्रोल-डीजल के भाव पर नजर डाल लीजिए. अगर ये तुलना कोरोना काल से पहले और फिर कोरोना काल में अनलॉक की स्थिति और मौजूदा वक्त में करें तो पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है.

कोरोना से पहले ये थीं पेट्रोल डीजल की कीमतें
कोरोना से पहले ये थीं पेट्रोल डीजल की कीमतें

कितना महंगा हुआ है कमर्शियल सिलेंडर ?

एक नवंबर को दिवाली से पहले जो महंगाई का बम फूटा है उसने कमर्शियल सिलेंडर (19 किलो) की कीमतों में 264 रुपये की भारी बढ़ोतरी हुई है. पिछले साल 1 नवंबर को दिल्ली में जो कमर्शियल सिलेंडर 1241.50 रु. का था वो एक साल बाद 2000 रुपये के पार पहुंच चुका है. कोलकाता में एक साल में कमर्शियल सिलेंडर की कीमत करीब 800 रुपये बढ़कर 2073.50 रु. हो गई है. इसी तरह मुंबई में कमर्शियल सिलेंडर 1950 रुपये का हो गया है जो ठीक एक साल पहले 1189.50 रु. का था. चेन्नई में नीले रंग का ये कमर्शियल सिलेंडर सबसे महंगा 2133 रुपये में मिलेगा.

एक साल में कितना महंगा हुआ कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर
एक साल में कितना महंगा हुआ कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर

घरेलू सिलेंडर पर महंगाई की मार ?

1 नवंबर को घरेलू सिलेंडर की कीमतें तो नहीं बढ़ीं लेकिन बीते महीने 6 अक्टूबर को इसकी कीमतों में 15 रुपये का इजाफा हुआ था. जिसके बाद दिल्ली में घरेलू एलपीजी सिलेंडर (14.2 किलो) 899.50 रुपये में मिल रहा है, जो बीते साल 1 नवंबर को 594 रुपये का था. बीते साल 1 नवंबर को जो एलपीजी सिलेंडर कोलकाता में 620.50 रुपये का मिल रहा था वो अब 926 रुपये में मिल रहा है. मुंबई में भी घरेलू गैस की कीमत बीते एक साल में 300 रुपये से अधिक बढ़कर 899.50 रुपये हो गई है, जो पिछले साल 594 रुपये थी. चेन्नई में पिछले साल 610 रुपये मिलने वाला गैस सिलेंडर फिलहाल 915.50 रुपये में बिक रहा है.

एक साल में कितना महंगा हुआ घरेलू एलपीजी सिलेंडर
एक साल में कितना महंगा हुआ घरेलू एलपीजी सिलेंडर

दाम बढ़े और सब्सिडी खत्म

गौरतलब है कि साल 2014 में घरेलू गैस के दाम 1200 रुपये के पार भी पहुंचे थे लेकिन उस वक्त एलपीजी पर मिलने वाली सब्सिडी लोगों के लिए राहत का काम करती थी. फिर सरकार ने सब्सिडी का पैसा सीधे ग्राहकों के खाते में ट्रांसफर करने का फैसला लिया था. लेकिन वक्त बीतने के साथ-साथ पहले सब्सिडी कम होती गई और अब खत्म हो गई है. जिससे आम आदमी पर महंगाई की दो तरफा मार पड़ रही है. इस वक्त सिर्फ बीपीएल परिवारों और उज्ज्वला के लाभार्थियों को ही सब्सिडी का लाभ मिल रहा है.

ये भी पढ़ें: अनाज, तेल, रसोई गैस सभी महंगे, आम आदमी को सब्सिडी मिल भी रही है या नहीं ?

बीते एक साल में पेट्रोल-डीजल के दाम

महंगाई का सेंसेक्स इन दिनों पेट्रोल पंप पर लगातार चढ़ रहा है. जहां देश के ज्यादातर इलाकों में डीजल 100 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच चुका है तो पेट्रोल का भाव 110 रुपये से 120 रुपये के बीच है. मध्य प्रदेश और राजस्थान के कुछ शहर तो ऐसे भी हैं जहां पेट्रोल 120 और डीजल की कीमत 110 रुपये के पार पहुंच चुकी है.

पिछले एक साल में कितने बढ़े हैं पेट्रोल डीजल के दाम
पिछले एक साल में कितने बढ़े हैं पेट्रोल डीजल के दाम

बीते एक साल में ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 30-30 रुपये से अधिक का बढ़ोतरी हुई है. दिल्ली में बीते साल 1 नवंबर को पेट्रोल 81.09 रुपये और डीजल 70.46 रुपये प्रति लीटर था, इस साल नवंबर की पहली तारीख को देश की राजधानी में पेट्रोल के दाम 110 रुपये और डीजल 100 रुपये के करीब पहुंच चुके हैं. मुंबई में पेट्रोल 115 रुपय के पार और डीजल 106 रुपये के पार पहुंच चुका है.

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सफर भी हुआ महंगा

पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ने से आपकी कार या बाइक का खर्च ही नहीं बढ़ा है बल्कि सार्वजनिक परिवहन से लेकर हवाई उड़ानों तक का सफर महंगा हुआ है. कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का असर पेट्रोल, डीजल, सीएनजी समेत तमाम तरह के ईंधनों पर भी पड़ा है. हवाई यात्री भी महंगी हुई है. दरअसल बीते साल कोरोना के दौरान हवाई यात्राओं पर पूरी तरह से प्रतिबंध था और जब हवाई यात्राओं की शुरुआत हुई तो कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सीमित क्षमता के साथ हवाई यात्राएं हुईं. इसका असर भी फ्लाइट्स की टिकट पर पड़ा है.

अगस्त के महीने में ही नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने घरेलू हवाई किराये में बढ़ोतरी की थी. इन सबका असर टिकट के दाम पर पड़ा है और कोरोना काल से पहले जिस हवाई उड़ान का न्यूनतम किराया 2000 रुपये था वो औसतन 3000 रुपये के पार पहुंच गया है.

आपकी 'दाल रोटी' भी हुई महंगी

देश में आज भी रोजमर्रा के जरूरी सामान जैसे दाल, दूध, चीनी व अन्य सामान की ढुलाई ट्रकों से होता है. ऐसे में पेट्रोलियम पदार्थ और खासकर डीजल की कीमतों में तेजी ने महंगाई को भी पंख लगा दिए हैं. यही वजह है कि बीते एक साल में जैसे-जैसे पेट्रोलियम पदार्थ की कीमतें बढ़ी हैं, उतनी ही तेजी से खाद्यान्न से लेकर खाद्य तेल, सब्जियों से लेकर फल समेत लगभग हर चीज के दाम बढ़े हैं.

एक साल में खाद्य पदार्थों की महंगाई
एक साल में खाद्य पदार्थों की महंगाई

बीते एक साल में सबसे ज्यादा सरसों के तेल से लेकर रिफाइंड और हर तरह का खाद्य तेल महंगा हुआ है. सरसों तेल की कीमत बीते साल के मुकाबले 50 से 60 फीसदी बढ़ी है. जिसके चलते सरकार ने इस साल पाम ऑयल समेत अन्य खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में कमी की थी. पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों का असर आटा, दाल, चावल, नमक, चीनी समेत हर उस रोजमर्रा की चीज पर पड़ा है. जिसका इस्तेमाल आप करते हैं. जिन चीजों की कीमत नहीं बढ़ी है, कंपनियों ने उनका वजन कम कर दिया है. उदाहण के लिए अगर मैगी का 60 ग्राम का पैकेट बीते साल 11 रुपये का मिलता था और अभी भी मिल रहा है तो उसका वजन देखिये वो जरूर कम किया गया होगा.

ये भी पढ़ें: खाने के तेल की कीमतों ने भी बिगाड़ा किचन का बजट, जानिये क्यों बढ़ रहे दाम और खपत ?

थाली से गायब हुआ जायका

बीते करीब एक महीने से महंगाई की मार फल और सब्जियों की कीमतों पर भी पड़ी है. टमाटर और प्याज की कीमतें 50 से लेकर 70 रुपये तक पहुंच चुकी है. जबकि कोई भी सब्जी 50 रुपये से कम में नहीं मिल रही है. इसी तरह हर तरह के फलों की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है. फल और सब्जियों की महंगाई के लिए भले त्योहारी सीजन या मौसम को जिम्मेदार बताया जा रहा हो. लेकिन पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण फल, सब्जियों की ढुलाई महंगी हुई है और इसका असर भी कीमतों पर पड़ रहा है.

औसतन 2000 से 3000 रुपये बढ़ा घर का बजट

सब्जी, फल, दाल, चावल, दूध से लेकर सीएनजी, पीएनजी तक के बढ़ते दाम आम आदमी की जेब और दिल दोनों जला रहे हैं. रोजमर्रा के सामान महंगे होने और खासकर खाद्य पदार्थों की महंगाई के कारण किचन का बजट ऐसा बिगड़ गया है कि जिस घर में औसतन किचन का बजट 3000 रुपये था वो अब 5000 से 6000 रुपये पहुंच गया है. विशेषज्ञों की मानें तो महंगाई फिलहाल थमने वाली नहीं है क्योंकि पेट्रोल-डीजल की कीमतें अभी और बढ़ेगी, जिसका असर सीधे-सीधे आपके घर के बजट पर पड़ेगा.

फल, सब्जी, खाद्य तेल से लेकर आटा, दाल, चावल, चीनी समेत हर चीज पर महंगाई की मार
फल, सब्जी, खाद्य तेल से लेकर आटा, दाल, चावल, चीनी समेत हर चीज पर महंगाई की मार

पेट्रोल-डीजल की महंगाई, सरकार की कमाई

पेट्रोल-डीजल की महंगाई भले आपका दिल और जेब दोनों जला रही हो लेकिन ये महंगाई सरकार का खजाना भर रही है. सरकार की तरफ से जारी आंकड़ो के मुताबिक केंद्र सरकार ने बीते वित्त वर्ष 2020-21 में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क से 1,01,598 करोड़ और डीजल पर 2,33,296 करोड़ रुपये की कमाई की थी. सरकार की इस कमाई में लगातार इजाफा हो रहा है, मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही यानि अप्रैल से सितंबर के दौरान उत्पाद शुल्क कलेक्शन पिछले साल की पहली छमाही की तुलना में 33 फीसदी बढ़ा है.

बीते साल कोरोना और लॉकडाउन भी इसकी वजह माना जा रहा हो लेकिन ये भी नहीं भूलना चाहिए कि केंद्र सरकार ने पिछले साल ही पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 19.98 रुपये से बढ़ाकर 32.9 और डीजल पर 31.80 रुपये किया था. सरकार ने बीते साल 5 मई को उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी की थी जिसके बाद से पेट्रोल के दाम लगभग 38 रुपये और डीजल के दाम 30 रुपये तक बढ़ चुके हैं. सरकार की इस साल की पहली छमाही की कमाई की तुलना कोविड से पहले साल 2019 की पहली छमाही से करें तो ये करीब 80 फीसदी की बढ़ोतरी है. साल 2019 में अप्रैल-सितंबर की छमाही में पेट्रोल-डीजल से सरकार की कमाई 95,930 करोड़ रुपये थी.

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