चूल्हा चौका छोड़ मैदान में उतरीं महिलाएं, कबड्डी में आजमाए हाथ, देखिए शानदार वीडियो
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By ETV Bharat Uttarakhand Team
Published : Feb 27, 2024, 4:06 PM IST
उत्तराखंड की महिलाओं की सहन शक्ति की कहानियां तो आपने सुनी होंगी. किस तरह से खाली होते गांवों को महिलाएं आबाद रखने में अहम भूमिका निभा रही हैं. अब पहाड़ों जैसा कठिन जीवन जीने वाली महिलाएं अपने घरों से बाहर निकल कर खेलों की तरफ भी आगे बढ़ रही हैं. हाल ही में आपने उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में क्रिकेट खेलती महिलाओं की तस्वीरें देखी होंगी. अब महिलाएं पुरुषों का खेल कहे जाने वाले कबड्डी में भी अपना हाथ आजमा रही हैं.
ये तस्वीरें कीर्तिनगर विकासखंड के रानीहाट गांव की हैं. यहां 30 से 45 साल उम्र की महिलाओं के बीच कबड्डी टूर्नामेंट का आयोजन किया जा रहा है. कभी घर, आंगन, अपने बच्चों की देखरेख करने और खेत खलियानों तक सीमित रहने वाली ये महिलाएं मैदान पर उतरकर अपने हुनर का परिचय दे रही हैं. इन महिलाओं ने बचपन में अपने माता पिता के आंगन में ही इस तरह के खेल खेले थे, लेकिन अब इन महिलाओं ने मैदान का रुख किया है.
कबड्डी में हाथ आजमा रही स्थानीय महिला अंजना घिल्डियाल खुद दो बच्चों की मां हैं. उनके दोनों बच्चे अब विश्वविद्यालय में पढ़ाई करते हैं. उनका कहना है कि बच्चों के साथ कब उम्र के तीसरे पड़ाव में पहुंची पता ही नहीं चला, लेकिन अब खेल कूद में हिस्सा लेकर अच्छा लग रहा है. बचपन की यादें ताजा हो गई. इससे न केवल वो खुद को स्वस्थ रख पा रही हैं. बल्कि, बच्चों को खेल के प्रति जागरूक कर रही हैं.
ममता बताती हैं कि बचपन में माता पिता के घर यानी मायके घर में खेला करती थीं, लेकिन शादी के बाद कभी मौका नहीं मिला. अब मौका मिल रहा है तो वो खेलों में हिस्सा ले रही हैं. उन्होंने कहा कि हर महिला को बाहर निकल कर खेलों की तरफ भी ध्यान देना चाहिए. इससे वो स्वस्थ भी रहेंगी, साथ ही उनके बच्चों का रुझान खेलों की तरफ बढ़ेगा, जिसमें वो अपनी करियर भी बना सकते हैं.
वहीं, कबड्डी टूर्नामेंट के आयोजक देवेंद्र गौड़ ने बताया कि महिलाओं में खेलों के प्रति जागरूकता बढ़ रही है. इस कबड्डी टूर्नामेंट में 8 से ज्यादा महिला टीमों ने हिस्सा लिया था. इस खेल का मकसद महिलाओं के जरिए नौजवान और बच्चों को मार्गदर्शन देना है. ताकि, वो खुद भी खेल कर स्वस्थ रहें और अपने बच्चों को भी खेलों के प्रति प्रेरित कर सकें.
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