भगवान श्रीराम के प्रति सरगुजिहा लोगों का भाव इस गीत से जरिए सुनिए - अनिरुद्द नीरव

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 21, 2024, 7:52 PM IST

सरगुजा: अयोध्या धाम में उत्सव, प्रभु राम के ननिहाल में हर तरफ जश्न का माहौल है. अयोध्या धाम में भगवान श्रीराम के आगमन और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के आगमन को लेकर पूरे देश में हर्ष और उल्लास है. अयोध्या में पूरे देश से राम भक्तों का जत्था पहुंच रहा है. बड़े बड़े नेता, उद्योगपति, कलाकार और नामचीन हस्तियां अयोध्या पहुंच रही है. भगवान राम के ननिहाल में भी विशेष रौनक देखी जा रही है. कई मानस गायक और मंडली राम भजन में डूब चुके हैं. ऐसे में सरगुजा के कलाकार कहां पीछे रहने वाले हैं. 

वनवास के दौरन छत्तीसगढ़ की धरती पर पहुंचे थे भगवान श्रीराम: मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम दंडकारण्य में पहुंचे थे तो घनघोर जंगलों में रहने वाले सरगुज़ा के लोग हैरत में पड़ गये. इतनी सुंदर छटा वाले दो पुरुष एक महिला साधू के वेश में जंगलो में नंगे पैर भटक रहे थे. उनके पैरों में कांटे चुभ रहे थे. इस पूरे दृश्य को देख सरगुजा के वनवासियों की क्या मनःस्थिति रही होगी. उसे सरगुजा के साहित्यकार अनिरुद्द नीरव ने अपने गीतों में शामिल किया था. 

अब सरगुजावासी गांवों में होने वाले भजन कीर्तन में उनकी रचनाओं को गाते हैं. साथ ही भगवान राम के वन गमन के क्षण को याद करते हैं. दरअसल, स्व अनिरुद्द नीरव ने सरगुजा की स्थानीय भाषा में लिखा है " किते जइहा किते जइहा सांवर गोर भईया, हमर आंखी के तरईया, हमर हिरदय के पिंजरा के सोन चिरइया' यह गीत बेहद भावुक कर देने वाला है.  इस गीत को अम्बिकापुर के लोक भजन गायक तीरज राज ने गाकर सुनाया है. आइए आप भी सुनिए इस गीत को

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