हैदराबाद: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गुरुवार को SpaDeX सैटेलाइट्स के डॉकिंग प्रोसेस को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया. इस उपलब्धि के साथ भारत ने अंतरिक्ष के इतिहास में एक नया कीर्तिमान रच दिया है. इसरो ने अपने आधिकारिक 'एक्स' (पुराना नाम ट्विटर) अकाउंट के जरिए पोस्ट करके, इस बात की जानकारी दी है.
स्पेडेक्स मिशन में हुई सफलतापूर्वक डॉकिंग
इसरो ने आज यानी 16 जनवरी 2025 की सुबह 10:04AM को एक पोस्ट किया है और स्पेडेक्स डॉकिंग के बारे में अपडेट दिया. इसरो ने अपने पोस्ट के जरिए जानकारी दी कि डॉकिंग की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरा हो गया है. अपने पोस्ट में इसरो ने स्पेडेक्स डॉकिंग की अंतिम प्रक्रिया के पूरा में कुछ खास जानकारी देते हुए बताया कि, सफलतापूर्वक स्पेस डॉकिंग करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है. उसके बाद इसरो ने अपनी पूरी टीम और पूरे भारत देश को इस उपलब्धि की बधाई दी.
SpaDeX Docking Update:
— ISRO (@isro) January 16, 2025
🌟Docking Success
Spacecraft docking successfully completed! A historic moment.
Let’s walk through the SpaDeX docking process:
Manoeuvre from 15m to 3m hold point completed. Docking initiated with precision, leading to successful spacecraft capture.…
इसरो ने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (SpaDeX) मिशन को 30 दिसंबर 2024 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था. इसरो ने 7 जनवरी को डॉकिंग कंप्लीट करने की उम्मीद जताई थी, लेकिन कुछ परेशानियों के चलते इसरो को डॉकिंग डेट आगे बढ़ानी पड़ी. स्पेडेक्स मिशन में चेज़र और टारगेट कहलाने वाले दो सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में छोड़ा जाता है. इनमें से चेज़र सैटेलाइट ऑटोमैटिकली टारगेट को ढूंढता है और उसे जुड़ता है. इसी प्रोसेस को डॉकिंग कहा जाता है. डॉकिंग का मकसद अंतरिक्ष में काफी लंबे समय से घूम रहे किसी सैटेलाइट तक फ्यूल या किसी जरूरी सामान को पहुंचाना होता है.
इसरो के नए अध्यक्ष पीएम मोदी ने दी बधाई
भारत से पहले दुनिया के सिर्फ तीन ही देश स्पेस डॉकिंग प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा कर पाए थे. अब भारत इस उपलब्धि को हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है. इस मिशन में डॉकिंग के बाद होने वाली एक्टीविटीज़ भी शामिल हैं, जैसे कि स्पेसक्राफ्ट से पेयलोड ऑपरेशन करना. अब आने वाले दिनों में इस मिशन में अनडॉकिंग और पावर ट्रांसफर चेक की टेस्टिंग की जाएगी.
Congratulations to our scientists at @isro and the entire space fraternity for the successful demonstration of space docking of satellites. It is a significant stepping stone for India’s ambitious space missions in the years to come.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 16, 2025
इसरो के नए अध्यक्ष डॉ वी नारायणन ने स्पेसक्राफ्ट डॉकिंग की सफलता की बधाई अपनी पूरी टीम और सभी देशवासियों को दी. स्पेडेक्स सैटेलाइट्स की सफलतापूर्वक डॉकिंग के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसरो को बधाई दी है. पीएम मोदी ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट के जरिए पोस्ट लिखा कि, "मैं इसरो में मौजूद हमारे वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष प्रोग्राम की पूरी टीम को स्पेस में सैटेलाइट्स के सफलतापूर्वक डॉकिंग करने की बधाई देता हूं. यह आने वाले सालों में भारत के कई अंतरिक्ष मिशन को सफल बनाने के लिए एक बड़ी उपलब्धि है."
स्पेडेक्स मिशन में क्या होता है?
स्पेडेक्स मिशन के तहत 30 दिसंबर, 2024 को आंध्र प्रदेश के श्ररिहरिकोटा में स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से PSLV C60 रॉकेट ने 24 पेयलोड्स के साथ दो छोटे सैटेलाइट्स SDX01 (चेज़र) और SDX02 (टागरेट) को लेकर अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरी थी. रॉकेट लॉन्च होने के करीब 15 मिनट के बाद 220 किलोग्राम के छोटे स्पेसक्राफ्ट को 475 किलोमीटर के सर्कुलर ऑर्बिट में छोड़ दिया गया था.
🌟 PSLV-C60/SPADEX Mission Update 🌟
— ISRO (@isro) December 27, 2024
Visualize SpaDeX in Action!
🎞️ Animation Alert:
Experience the marvel of in-space docking with this animation!
🌐 Click here for more information: https://t.co/jQEnGi3ocF pic.twitter.com/djVUkqXWYS
आसान शब्दों में समझें तो स्पेडेक्स मिशन के तहत चेज़र और टारगेट सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में छोड़ दिया जाता है. दोनों एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं. उसके बाद चेज़र सैटेलाइट ऑटोमैटिकली टारगेट को अंतरिक्ष में ढूंढता है, उसके बाद डॉकिंग प्रोसेस यानी जुड़ता है. उसके बाद पेयलोड्स यानी जो भी जरूरी सामान चेज़र, टारगेट के लिए लेकर गया है, उसे ट्रांसफर करता है और फिर अनडॉकिंग प्रोसेस पूरा यानी दोनों सैटेलाइट्स अलग हो जाते हैं. इसरो के स्पेडेक्स मिशन में अभी तक डॉकिंग की प्रक्रिया हुई है और बाकी प्रक्रियाएं भी आने वाले वक्त में होंगी.
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