पटना : चर्चित खुशी अपहरण कांड मामले में एक आपराधिक रिट याचिका पटना हाई कोर्ट में नाबालिग अपहृता के पिता राजन साह द्वारा दायर किया गया है. ये मामला बिहार राज्य के मुजफ्फरपुर जिला के ब्रह्मपुरा थाना क्षेत्र के परमरिया टोला के राजन साह के 6 वर्षीय पुत्री खुशी के अपहरण का है. उसके घर के सामने से ही 16 फरवरी 2021 को खुशी का अपहरण हुआ था. इस संबंध में ब्रह्मपुरा थाना में अपहरण का कांड दर्ज कराया गया था.
HC तक पहुंचा मामला : खुशी को ढूंढने के लिए खुशी के पिता राजन साह ने अपने स्तर से अथक प्रयास किया. पुलिस प्रशासन का भी दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ. अधिवक्ता प्रकाश ने अपहृत खुशी की खोजबीन व स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा निष्पक्ष जांच के लिए पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की. हाईकोर्ट में मुजफ्फरपुर के वरीय पुलिस अधीक्षक द्वारा कई प्रतिशपथ पत्र दायर किया गया, जिसमें कोर्ट को आश्वासन दिया जा रहा था कि जल्द ही पुलिस अपहृत खुशी को खोज लेगी.
CBI को सौंपा गया जांच का जिम्मा : अपहरण के लगभग 36 महीने बीत चुके हैं. पटना हाईकोर्ट के समक्ष एक लंबी सुनवाई हुई, इसके बावजूद कोई ठोस जवाब मुजफ्फरपुर पुलिस द्वारा नहीं दिया गया. कोर्ट ने 5 दिसंबर, 2022 को मामले को सीबीआई को सौंप दिया. कोर्ट ने अपने आदेश में यह स्पष्ट लिखा कि सीबीआई के पास जितने भी मामले लंबित हैं, उसमें खुशी मामले की प्राथमिकता के आधार पर जांच की जाएगी. साथ ही कोर्ट ने मुजफ्फरपुर के एसएसपी को भी आदेश दिया गया था कि दोषी पुलिस पदाधिकारी पर कार्रवाई किया जाए, लेकिन मुजफ्फरपुर के एसएसपी द्वारा कुछ नहीं किया गया.
ऑडियो रिकॉर्डिंग की नहीं हुई जांच : इतना ही नहीं, हाईकोर्ट द्वारा 5 दिसंबर 2022 को दिए गए आदेश के बाद 20 दिसंबर 2022 को प्राथमिकी दर्ज की गई. प्राथमिकी के लगभग 42 दिन बाद सीबीआई के अधिवक्ता ने खुशी कांड का रिकॉर्ड पूर्व न्यायिक पदाधिकारी के यहां से स्पेशल कोर्ट में लाने का प्रार्थना किया. प्राथमिकी के लगभग 1 साल बाद अनुसंधानकर्ता ने पॉलीग्राफी टेस्ट करवाने का आदेश कोर्ट से मांगा. सीबीआई ने अभी तक ऑडियो रिकॉर्डिंग की भी जांच नहीं की है, जिसमें यह स्पष्ट बोला गया है कि खुशी मुजफरपुर से पटना के बीच है. 2 लाख रुपये खर्च करने से पता चल सकता है.
पुलिस अधिकारी की हो पॉलीग्राफी जांच : सीबीआई ने मार्च, 2023 में आम जनता के अपील की कि अपहृत खुशी को ढूंढने वाले को 6 लाख रुपये का ईनाम दिया जायेगा. अभी भी केस विशेष अदालत मुजफ्फरपुर में लंबित है. खुशी के अधिवक्ता ने कोर्ट से प्रार्थना किया है कि हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में जल्द से जल्द अपहृत खुशी की खोज-बीन की जाए और इस केस में मुजफ्फरपुर के जितने भी पुलिस पदाधिकारी जांच में भाग लिए हैं, सबका पॉलीग्राफी जांच करवाया जाए. अधिवक्ता का कहना है कि कथित रूप से पुलिस पदाधिकारी की भी मिलीभगत है.
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