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Holi Special : महिलाएं बना रही फूलों और सब्जियों से हर्बल गुलाल, त्वचा को नहीं पहुंचाती नुकसान

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 15, 2024, 12:29 PM IST

केमिकल से बने रंगों के प्रयोग के डर से होली खेलने से डरते हैं तो अब घबराइए नहीं. बाड़मेर की कुछ महिलाओं की ओर से हर्बल गुलाल बनाई जा रही है. इस गुलाल को पिछले तीन सालों से बनाया जा रहा है. खास बात यह है कि इस गुलाल को सब्जियों और फलों से बनाया जाता है, जिससे यह त्वचा को कोई नुकसान नहीं पहुंचाती. इस रिपोर्ट में जानिए विस्तार से...

Barmer Women making gulal
Herbal Gulal of Flowers
महिलाएं बना रही फूलों और सब्जियों से हर्बल गुलाल

बाड़मेर. रंगों के पर्व होली के त्योहार को लेकर तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही है. होली पर हर कोई रंग-गुलाल में रंगा नजर आता है, लेकिन कई बार केमिकल युक्त रंग-गुलाल लगाने से त्वचा पर एलर्जी हो जाती है, जिससे त्योहार का मजा किरकिरा हो जाता है. लेकिन अब इससे डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि बाड़मेर में बालाजी राजीविका स्वयं सहायता समूह की महिलाएं प्राकृतिक उत्पादों से हर्बल गुलाल बना रही हैं. इस गुलाल से त्वचा पर कोई नुकसान नहीं होता है. ये महिलाएं पिछले 3 सालों से हर्बल गुलाल बनाने का काम कर रही है. बाजार में इस गुलाल की मांग को देखते हुए होली से एक महीने पहले ही हर्बल गुलाल बनाने का काम शुरू कर दिया जाता है.

बालाजी राजीविका स्वयं सहायता समूह की महिलाएं विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों से इस हर्बल गुलाल को तैयार करती है. बाड़मेर में इस बार आप फूलों और सब्जियों से तैयार बिना केमिकल की इस हर्बल गुलाल से होली का लुत्फ उठा सकेंगे. ये महिलाएं रंग-बिरंगे खुशबूदार फूलों से लाल, पीला, हरा, संतरा, नीला, गुलाबी, रंग का हर्बल गुलाल बनाने में जुटी हैं.

Barmer Women making gulal
त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचाती ये गुलाल

कई दिनों में बनती है हर्बल गुलाल : हर्बल गुलाल बनाने वाले हीरो प्रजापत ने बताया कि फूलों, सब्जियों और मिठाई के उपयोग में लिए जाने वाले अरारोट के आटे से हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है. इस गुलाल को बनाने की एक लंबी प्रकिया है. इसलिए इससे बनाने में कई दिन लग जाते हैं. इसके लिए सबसे पहले बाजार से फूल लाते हैं. इन फूलों को धोकर धूप में सुखाया जाता है. इसके बाद फूलों की पत्तियों को मिक्सर से पिसते हैं. फिर इस पेस्ट को अरारोट के आटे के साथ मिलाया जाता हैं. फिर से इसे सुखाते हैं. इस तरह से एक लम्बी प्रकिया से गुजरना पड़ता है, जिसमें कड़ी मेहनत लगती है.

Barmer Women making gulal
बाड़मेर में बालाजी राजीविका स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की पहल

इसे भी पढ़ें : Special : JS डैम पर 200 मेगावाट के 40 साल पुराने PSP प्रोजेक्ट को मिली अनुमति, सस्ती बिजली से पंपिंग तो महंगी के समय होगा उत्पादन

चुकंदर और पालक का भी प्रयोग : हीरो प्रजापत ने बताया कि गेंदा, गुलाब जैसे खुशबूदार फूलों के अलावा चुकंदर, अनार, टमाटर, पालक, नीम की पत्तियों जैसे प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल भी इस गुलाल को बनाने में किया जाता है, तब जाकर यह हर्बल गुलाल तैयार होती है. यह गुलाल चेहरे पर लगाने से त्वचा को कोई नुकसान नहीं होगा. यह पूरी तरह से बिना किसी केमिकल के उपयोग के बनी है. यह फूलों व सब्जियों से बने होने के कारण त्वचा के लिए बिल्कुल नुकसानदायक नहीं है.

Barmer Women making gulal
कई दिनों में बनती है हर्बल गुलाल

बढ़ रही डिमांड : हर्बल गुलाल बनाने वाली महिला इंदु प्रजापत ने बताया कि पिछले तीन सालों से हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है. अब इस गुलाल की डिमांड बढ़ रही है. होली से एक महीने पहले हर्बल गुलाल बनाना शुरू किया जाता है. अब तक कई किलो गुलाल बनाया जा चुका है. इंदु ने बताया कि जितनी मेहनत लगती है, उतने दाम तो नहीं मिलते हैं, लेकिन फिर भी अच्छी खासी बिक्री हो जाती है. छोटी छोटी पैकिंग में इन्हें तैयार किया जाता है. होली से चार-पांच दिन पहले बाजार में स्टॉल लगाकर हर्बल गुलाब को बेचेंगे. उम्मीद है कि अच्छी बिक्री होगी.

महिलाएं बना रही फूलों और सब्जियों से हर्बल गुलाल

बाड़मेर. रंगों के पर्व होली के त्योहार को लेकर तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही है. होली पर हर कोई रंग-गुलाल में रंगा नजर आता है, लेकिन कई बार केमिकल युक्त रंग-गुलाल लगाने से त्वचा पर एलर्जी हो जाती है, जिससे त्योहार का मजा किरकिरा हो जाता है. लेकिन अब इससे डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि बाड़मेर में बालाजी राजीविका स्वयं सहायता समूह की महिलाएं प्राकृतिक उत्पादों से हर्बल गुलाल बना रही हैं. इस गुलाल से त्वचा पर कोई नुकसान नहीं होता है. ये महिलाएं पिछले 3 सालों से हर्बल गुलाल बनाने का काम कर रही है. बाजार में इस गुलाल की मांग को देखते हुए होली से एक महीने पहले ही हर्बल गुलाल बनाने का काम शुरू कर दिया जाता है.

बालाजी राजीविका स्वयं सहायता समूह की महिलाएं विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों से इस हर्बल गुलाल को तैयार करती है. बाड़मेर में इस बार आप फूलों और सब्जियों से तैयार बिना केमिकल की इस हर्बल गुलाल से होली का लुत्फ उठा सकेंगे. ये महिलाएं रंग-बिरंगे खुशबूदार फूलों से लाल, पीला, हरा, संतरा, नीला, गुलाबी, रंग का हर्बल गुलाल बनाने में जुटी हैं.

Barmer Women making gulal
त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचाती ये गुलाल

कई दिनों में बनती है हर्बल गुलाल : हर्बल गुलाल बनाने वाले हीरो प्रजापत ने बताया कि फूलों, सब्जियों और मिठाई के उपयोग में लिए जाने वाले अरारोट के आटे से हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है. इस गुलाल को बनाने की एक लंबी प्रकिया है. इसलिए इससे बनाने में कई दिन लग जाते हैं. इसके लिए सबसे पहले बाजार से फूल लाते हैं. इन फूलों को धोकर धूप में सुखाया जाता है. इसके बाद फूलों की पत्तियों को मिक्सर से पिसते हैं. फिर इस पेस्ट को अरारोट के आटे के साथ मिलाया जाता हैं. फिर से इसे सुखाते हैं. इस तरह से एक लम्बी प्रकिया से गुजरना पड़ता है, जिसमें कड़ी मेहनत लगती है.

Barmer Women making gulal
बाड़मेर में बालाजी राजीविका स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की पहल

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चुकंदर और पालक का भी प्रयोग : हीरो प्रजापत ने बताया कि गेंदा, गुलाब जैसे खुशबूदार फूलों के अलावा चुकंदर, अनार, टमाटर, पालक, नीम की पत्तियों जैसे प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल भी इस गुलाल को बनाने में किया जाता है, तब जाकर यह हर्बल गुलाल तैयार होती है. यह गुलाल चेहरे पर लगाने से त्वचा को कोई नुकसान नहीं होगा. यह पूरी तरह से बिना किसी केमिकल के उपयोग के बनी है. यह फूलों व सब्जियों से बने होने के कारण त्वचा के लिए बिल्कुल नुकसानदायक नहीं है.

Barmer Women making gulal
कई दिनों में बनती है हर्बल गुलाल

बढ़ रही डिमांड : हर्बल गुलाल बनाने वाली महिला इंदु प्रजापत ने बताया कि पिछले तीन सालों से हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है. अब इस गुलाल की डिमांड बढ़ रही है. होली से एक महीने पहले हर्बल गुलाल बनाना शुरू किया जाता है. अब तक कई किलो गुलाल बनाया जा चुका है. इंदु ने बताया कि जितनी मेहनत लगती है, उतने दाम तो नहीं मिलते हैं, लेकिन फिर भी अच्छी खासी बिक्री हो जाती है. छोटी छोटी पैकिंग में इन्हें तैयार किया जाता है. होली से चार-पांच दिन पहले बाजार में स्टॉल लगाकर हर्बल गुलाब को बेचेंगे. उम्मीद है कि अच्छी बिक्री होगी.

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