जोधपुर: मथुरादास माथुर अस्पताल में दो दिन पहले झुलसकर गंभीर रूप से घायल हुई महिला की मौत के बाद उसके शव के निस्तारण को लेकर गतिरोध पैदा हो गया है. बुधवार को मौत के बाद उसका शव मोर्चरी में रखवाया था. जिसे गुरुवार को परिजनों ने लेने से इंकार कर दिया. उनका कहना है कि इस मामले के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए और मृतका के गरीब परिवार को उचित मुआवजा दिलाया जाए. इसके बिना शव नहीं लेंगे. परिजनों ने इसको लेकर शास्त्रीनगर थाने में अस्पताल के कर्मचारियों के खिलाफ एक रिपोर्ट भी दी है.
मृतका के परिजनों के साथ-साथ मोर्चरी के आगे उनके समाज के लोगों भी जमा हो गए हैं. समाज के भारतराम ने बताया कि अस्पताल वालों ने अपनी जांच कर मृतका के पति को ही दोषी बना दिया है. जबकि दो दिन पहले से वहां उपकरण में करंट आ रहा था. जिसके चलते आग लगी थी. घटना के दिन एक घंटे तक कोई स्टाफ वार्ड में नहीं आया था. पिता पुत्र गुहार लगाते रहे. ऐसे में जिला प्रशासन को इस मामले को लेकर कार्रवाई करनी होगी.
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इधर जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने अस्पताल प्रबंधन द्वारा इस मामले में एपीओ की गई नर्स को जांच में क्लीन चिट देकर बहाल करने को सही नहीं मानते हुए प्रशासनिक जांच करवाने की बात कही है. फिलहाल मौके पर धरना जारी है. गौरतलब है कि इस घटना के सामने आने के बाद जब अस्पताल अधीक्षक ने एक नर्स को एपीओ किया और संविदा पर कार्यरत दो जनों को हटाया था. लेकिन नर्सिंग एसोसिएशन के दबाव के चलते अपनी कार्रवाई वापस ले ली.
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क्या था मामला: मथुरादास माथुर अस्पताल में जैतारण निवासी महिला गत 12 नवंबर से भर्ती थी. 17 नवंबर को रात 2 बजे करीब एक्यूट केअर वार्ड में आग लगने से वह गंभीर रूप से झुलस गई थी. अलसुबह 18 नवंबर को उसे आनन-फानन में मल्टीलेवल आईसीयू में भर्ती किया गया. लेकिन 20 नवंबर को उसकी मौत हो गई. उसका शव मोर्चरी में रखवाया गया था. लेकिन परिजनों ने अब लेने से इंकार कर दिया है.