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कौन हैं पटना के डॉ एजाज अली, करते हैं ₹10 में इलाज, संसद में भी दिखा चुके हैं धाक - DR EJAZ ALI

महंगे इलाज से परेशान लोगों के लिए बिहार के डॉक्टर एजाज अली मसीहा हैं. सालों से वह मात्र 10 रुपये फीस लेकर इलाज कर रहे.

patna Dr Ejaz Ali
पटना के डॉ एजाज अली (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 5, 2025, 7:42 PM IST

पटना: बिहार के पटना के 70 वर्षीय चिकित्सक डॉक्टर एजाज अली को लोग गरीबों का मसीहा कहते हैं. वजह यह है कि डॉ एजाज अली महज ₹10 की फीस पर मरीजों की इलाज करते हैं. उनके यहां इलाज करवाने के लिए बिहार के दूर से दूर इलाके से लोग पहुंचते हैं. बिहार ही नहीं बंगाल, झारखंड और नेपाल जैसी जगहों से भी लोग पहुंचते हैं.

पटना के डॉ एजाज अली बनें गरीबों के मसीहा: डॉ एजाज अली राज्यसभा के पूर्व सांसद रहे हैं, लेकिन सादगी और सहज व्यक्तित्व ऐसा है कि जो लोग एक बार मिलते हैं, वह जुड़ जाते हैं. प्रतिदिन वह 200 से 250 मरीजों को देखते हैं और दर्जनों सर्जरी करते हैं.

बिहार के डॉक्टर एजाज अली (ETV Bharat)

सरकारी अस्पतालों से भी सस्ती फीस: पटना में वर्तमान समय में पटना के सरकारी अस्पतालों में ओपीडी की फीस डॉक्टर एजाज अली के फीस से अधिक है. आईजीआईएमएस में ओपीडी रजिस्ट्रेशन फीस ₹50 है जबकि एम्स में ₹30 है. वहीं प्राइवेट प्रैक्टिशनर की बात करें तो ₹700 से लेकर ₹2000 तक फीस है. लेकिन इस महंगाई के दौर में भी डॉक्टर एजाज अली महज ₹10 में मरीज को देखते हैं.

दूर-दूर से आते हैं मरीज: मरीजों का इनके इलाज पर भरोसा भी बहुत है. मरीज अगर एक बार यहां से दिखा कर जाते हैं तो अपने गांव के अन्य लोगों को भी बीमार पड़ने पर इन्हीं के पास आने की सलाह देते हैं. हालांकि काफी सस्ता इलाज करते हैं जिसके कारण उनके क्लीनिक पर गरीब और मिडिल क्लास पेशेंट की ही संख्या अधिक होती है.

मरीजों ने एजाज के इलाज की तारीफ की: बरबीघा से पहुंची हुई 56 वर्षीय महिला मुन्नी खातून ने बताया कि दो महीना पहले यही डॉक्टर एजाज की क्लीनिक पर गॉल ब्लैडर में पथरी का ऑपरेशन हुआ था. अब उनको काफी आराम रहता है और रुटीन चेकअप के लिए आई हुई हैं. डॉ एजाज अली काफी सस्ता और अच्छा इलाज करते हैं.

patna Dr Ejaz Ali
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

"यहां मेरा हर्निया का ऑपरेशन हुआ है और महज ₹10000 खर्च हुए हैं. गांव के चार लोग यहां से ठीक होकर गए थे तो मैं यहां आया हूं. काफी अच्छा इलाज हुआ है."- मुजफ्फर अंसारी ,औरंगाबाद के दाउदनगर से आए मरीज

1984 से कर रहे प्रैक्टिस: डॉ एजाज अली ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि साल 1984 से वह प्रैक्टिस कर रहे हैं. पीएमसीएच उन्होंने एमबीबीएस किया और इसके बाद यहीं से सर्जरी में मास्टर्स किया. इसके बाद उन्हें सरकारी अस्पताल में नौकरी भी लगी लेकिन उन्होंने सरकारी नौकरी ज्वाइन नहीं की.

एजाज की मां ने कही थी ये बात: इसके बाद उन्होंने पटना के भिखना पहाड़ी क्षेत्र में प्राइवेट प्रैक्टिस के लिए क्लिनिक शुरू किया और ₹10 फीस रखी. उस वक्त भी ₹10 फीस कम ही होता था, लेकिन मां शहजादी बेगम ने कहा कि कभी भी जीवन में ₹10 से फीस अधिक मत रखना. लोग बहुत गरीब हैं और उनकी हालत देखकर इलाज कर देना. कुछ समय बाद मां का इंतकाल हो गया और इसके बाद उन्होंने कभी भी अपनी फीस ₹10 से अधिक करने की नहीं सोची.

"पिता मुमताज अली ब्रिटिश हुकूमत में क्लर्क थे और स्वतंत्र भारत में बाद में आगे चलकर एडीएम के पद से रिटायर किये. मेरे सात भाई और तीन बहन थे. मैथमेटिक्स के स्टूडेंट थे और फिजिक्स बहुत अच्छा लगता था. लेकिन इंटरमीडिएट में बायोलॉजी भी सब्जेक्ट के रूप में था. मैं कभी मेडिकल नहीं करना चाहता था, लेकिन बड़े भाई ने दाखिला मेडिकल में करवा दिया. इसके बाद एक सर्जन बना. हालांकि अलग बीमारी को लेकर लोग आते हैं तो फिजिशियन के तौर पर भी उनका चेकअप करता हूं."- डॉ एजाज अली

सर्जरी भी औरों से चार गुना सस्ता: डॉ एजाज अली ने बताया कि उन्होंने ओपन सर्जरी सीखा था और आज भी वह ओपन सर्जरी ही करते हैं. सर्जरी के लिए कई लेप्रोस्कोपिक मशीन आ गई हैं लेकिन वह मशीन से सर्जरी नहीं करते हैं. उन्होंने अपने बेटे को तकनीकी सर्जरी सीखने के लिए विदेश भेजा था और अब वह उन्हीं के यहां जरूरत पड़ने पर मरीज का लेप्रोस्कोपिक सर्जरी करते हैं.

'गरीब मरीजों की सेवा करना उद्देश्य': उन्होंने बताया कि गॉलब्लैडर में पथरी है तो सर्जरी में महल 7 से 8 हजार खर्च होते हैं. कई सारे ऑपरेशन है जिसका प्राइवेट अस्पतालों में 40000 से ₹100000 तक फीस लिया जाता है. उसे वह महज ₹12000 तक में कर देते हैं. उन्होंने प्रैक्टिस शुरू किया था, तभी से उद्देश्य था कि गरीब मरीजों की सेवा करनी है. आज भी उनके पास जो मरीज आते हैं, बड़ी उम्मीद लेकर आते हैं और कम आय वर्ग के होते हैं.

patna Dr Ejaz Ali
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

"2 साल से पेशाब की दिक्कत है. डॉ एजाज अली के ट्रीटमेंट में है और उनकी दवा वहां नहीं मिलती इसलिए दवा लेने आए हैं. अपना रूटीन चेकअप भी करा रहे हैं. इनके इलाज से काफी फायदा हुआ है और काफी सस्ता इलाज करते हैं."- मोहम्मद शाहिद, गया जिले के चाकर से आए मरीज

पहले पूरा चेकअप फिर इलाज: उन्होंने कहा कि एक डॉक्टर के लिए जरूरी है कि वह मरीज को देखकर और उसका नब्ज टटोलकर उसके बीमारी का अंदाजा लगा ले. उनके समय में जो शिक्षक होते थे वह क्लिनिकल प्रैक्टिस को बेहतर तरीके से सीखाते थे. आज यह देखकर दुख होता है कि डॉक्टर मरीज को दूर से देखते हैं, और शिकायत के आधार पर जांच लिख देते हैं. फिर जांच रिपोर्ट के आधार पर इलाज करते हैं.

"इससे मरीज का अच्छा इलाज नहीं होता है. ऐसा इसलिए कि कई बार मरीज कुछ छुपा रहा होता है और कई बार किसी समस्या को बढ़ा चढ़ा कर बताता है. एक डॉक्टर को नब्ज टटोलने और आला से जांच करने के बाद बेहतर समझ में आ जाता है कि मरीज की समस्या क्या है. डॉक्टरों को मरीज का अनावश्यक जांच लिखने से बचना चाहिए क्योंकि इससे मरीज को आर्थिक नुकसान होता है."- डॉ एजाज अली

'अस्पताल होटल जैसे होंगे तो इलाज महंगा ही होगा': डॉ एजाज अली ने बताया कि आज फाइव स्टार होटल जैसे कॉरपोरेट हॉस्पिटल खुले हैं और हॉस्पिटल का खर्च निकालने के लिए अस्पताल प्रबंधन मरीज के इलाज में ही उसका सारा बिल जोड़ देता है. इससे होता यह है कि लोगों को लगता है कि इलाज महंगी हो गई है, जबकि ऐसा नहीं है.

'सोच समझकर अच्छे डॉक्टर का करना चाहिए चुनाव': उन्होंने आगे कहा कि समाज में उनके जैसे बहुत सारे डॉक्टर हैं जो काफी कम पैसे में मरीज का इलाज करते हैं और कम जांच लिखने के साथ-साथ अनावश्यक दवा भी नहीं लिखते हैं. जो गरीब तबके के मरीज हैं उन्हें कोशिश करनी चाहिए कि ऐसे डॉक्टरों के पास ही इलाज करने जाएं, अन्यथा गलत जगह जाने पर स्थिति ऐसी बिगड़ जाती है कि परिवार में दूसरा कोई बीमार पड़े तो इलाज करने की हैसियत नहीं बचती.

यतीमखाना स्कूल से सातवीं तक की पढ़ाई: डॉ एजाज अली ने बताया कि उनका बचपन गरीबी में गुजारा है और उन्होंने गरीबी को काफी महसूस किया है. इसके कारण गरीब मरीजों की सेवा ही उनका उद्देश्य है. शुरुआत में प्रारंभिक पढ़ाई मदरसा में हुई और बाद में सातवीं तक की पढ़ाई यतीमखाना स्कूल में किए हैं जो अनाथों के लिए बना था. इसके बाद मुंगेर के जिला स्कूल से मैट्रिक किया और फिर जिला स्कूल हजारीबाग से इंटरमीडिएट पास किया. फिर पीएमसीएच में एमबीबीएस में दाखिला ले लिया.

चिकित्सीय सेवा का राजनीतिक लाभ:
डॉ एजाज अली ने बताया कि वह भले ही ₹10 फीस लेते हैं लेकिन उनके पास बहुत बड़ी संख्या में मरीज आते हैं. अपने इस सेवा का वह राजनीतिक फायदा भी लेते हैं. वह जिस क्षेत्र में चले जाते हैं और इसके लिए वोट मांग देते हैं उसे वोट मिल जाता है, लेकिन बदले में जनप्रतिनिधि से जनता के लिए जो वादा करवाते हैं, वह पूरा भी करवाते हैं.

इस कारण से राजनीति से किया किनारा: उन्होंने कहा कि वह सक्रिय राजनीति में थे लेकिन समाज को सुधारने के लिए राजनीति में थे. समाज की कुरीतियों को दूर करने के लिए आए थे. राजनीति में पार्टी लाइन से बंध कर बोलना होता है, लेकिन वह मुखर आवाज के लिए जाने जाते हैं तो उन्होंने राजनीति से किनारा कर लिया. आज वह प्रशांत किशोर को अपना पूरा समर्थन दे रहे हैं.

2010 में पार्टी लाइन से अलग: डॉ एजाज अली ने बताया कि साल 2010 में उन्होंने जदयू में रहते हुए पार्टी लाइन से अलग हटके सदन में बात कही थी. जिसके बाद उन्हें दोबारा मौका नहीं दिया गया. उन्होंने महिला आरक्षण में कोटा के भीतर कोटा की बात कही थी. उनका मानना है कि महिलाएं सामान नहीं है और महिलाओं में बहुत असमानता है. कोई महिला मालकिन है और कोई महिला उसके यहां दाई है तो आरक्षण उस कमजोर महिला को मिलना चाहिए.

मेडिकल के छात्रों से अपील: डॉ एजाज अली ने बताया कि जो मेडिकल के स्टूडेंट हैं और डॉक्टरी की पढ़ाई सीख रहे हैं, उनसे वह यही अपील करेंगे कि क्लिनिकल स्टडी पर ध्यान दें. सिंप्टोम्स के आधार पर नब्ज को टटोलने का हुनर हासिल करें और कोशिश करें कि मरीज को अच्छे से डायग्नोज कर इसका सटीक ट्रीटमेंट करें.

'डॉ एजाज के हाथों में जादू': अपने बच्चे का डॉक्टर एजाज के आशियाना नगर के आवास स्थित क्लीनिक पर इलाज कराने आई अफसाना खातून ने कहा कि उनके सभी बच्चों का इलाज यहीं होता है. छोटे बेटे का इलाज कराने आई हुई हूं.

"डॉ एजाज अली के हाथों में जादू है. सारे बच्चों को लेकर यहीं आते हैं. इलाज सस्ता और अच्छा है."- अफसाना खातून, मरीज की मां

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पटना: बिहार के पटना के 70 वर्षीय चिकित्सक डॉक्टर एजाज अली को लोग गरीबों का मसीहा कहते हैं. वजह यह है कि डॉ एजाज अली महज ₹10 की फीस पर मरीजों की इलाज करते हैं. उनके यहां इलाज करवाने के लिए बिहार के दूर से दूर इलाके से लोग पहुंचते हैं. बिहार ही नहीं बंगाल, झारखंड और नेपाल जैसी जगहों से भी लोग पहुंचते हैं.

पटना के डॉ एजाज अली बनें गरीबों के मसीहा: डॉ एजाज अली राज्यसभा के पूर्व सांसद रहे हैं, लेकिन सादगी और सहज व्यक्तित्व ऐसा है कि जो लोग एक बार मिलते हैं, वह जुड़ जाते हैं. प्रतिदिन वह 200 से 250 मरीजों को देखते हैं और दर्जनों सर्जरी करते हैं.

बिहार के डॉक्टर एजाज अली (ETV Bharat)

सरकारी अस्पतालों से भी सस्ती फीस: पटना में वर्तमान समय में पटना के सरकारी अस्पतालों में ओपीडी की फीस डॉक्टर एजाज अली के फीस से अधिक है. आईजीआईएमएस में ओपीडी रजिस्ट्रेशन फीस ₹50 है जबकि एम्स में ₹30 है. वहीं प्राइवेट प्रैक्टिशनर की बात करें तो ₹700 से लेकर ₹2000 तक फीस है. लेकिन इस महंगाई के दौर में भी डॉक्टर एजाज अली महज ₹10 में मरीज को देखते हैं.

दूर-दूर से आते हैं मरीज: मरीजों का इनके इलाज पर भरोसा भी बहुत है. मरीज अगर एक बार यहां से दिखा कर जाते हैं तो अपने गांव के अन्य लोगों को भी बीमार पड़ने पर इन्हीं के पास आने की सलाह देते हैं. हालांकि काफी सस्ता इलाज करते हैं जिसके कारण उनके क्लीनिक पर गरीब और मिडिल क्लास पेशेंट की ही संख्या अधिक होती है.

मरीजों ने एजाज के इलाज की तारीफ की: बरबीघा से पहुंची हुई 56 वर्षीय महिला मुन्नी खातून ने बताया कि दो महीना पहले यही डॉक्टर एजाज की क्लीनिक पर गॉल ब्लैडर में पथरी का ऑपरेशन हुआ था. अब उनको काफी आराम रहता है और रुटीन चेकअप के लिए आई हुई हैं. डॉ एजाज अली काफी सस्ता और अच्छा इलाज करते हैं.

patna Dr Ejaz Ali
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"यहां मेरा हर्निया का ऑपरेशन हुआ है और महज ₹10000 खर्च हुए हैं. गांव के चार लोग यहां से ठीक होकर गए थे तो मैं यहां आया हूं. काफी अच्छा इलाज हुआ है."- मुजफ्फर अंसारी ,औरंगाबाद के दाउदनगर से आए मरीज

1984 से कर रहे प्रैक्टिस: डॉ एजाज अली ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि साल 1984 से वह प्रैक्टिस कर रहे हैं. पीएमसीएच उन्होंने एमबीबीएस किया और इसके बाद यहीं से सर्जरी में मास्टर्स किया. इसके बाद उन्हें सरकारी अस्पताल में नौकरी भी लगी लेकिन उन्होंने सरकारी नौकरी ज्वाइन नहीं की.

एजाज की मां ने कही थी ये बात: इसके बाद उन्होंने पटना के भिखना पहाड़ी क्षेत्र में प्राइवेट प्रैक्टिस के लिए क्लिनिक शुरू किया और ₹10 फीस रखी. उस वक्त भी ₹10 फीस कम ही होता था, लेकिन मां शहजादी बेगम ने कहा कि कभी भी जीवन में ₹10 से फीस अधिक मत रखना. लोग बहुत गरीब हैं और उनकी हालत देखकर इलाज कर देना. कुछ समय बाद मां का इंतकाल हो गया और इसके बाद उन्होंने कभी भी अपनी फीस ₹10 से अधिक करने की नहीं सोची.

"पिता मुमताज अली ब्रिटिश हुकूमत में क्लर्क थे और स्वतंत्र भारत में बाद में आगे चलकर एडीएम के पद से रिटायर किये. मेरे सात भाई और तीन बहन थे. मैथमेटिक्स के स्टूडेंट थे और फिजिक्स बहुत अच्छा लगता था. लेकिन इंटरमीडिएट में बायोलॉजी भी सब्जेक्ट के रूप में था. मैं कभी मेडिकल नहीं करना चाहता था, लेकिन बड़े भाई ने दाखिला मेडिकल में करवा दिया. इसके बाद एक सर्जन बना. हालांकि अलग बीमारी को लेकर लोग आते हैं तो फिजिशियन के तौर पर भी उनका चेकअप करता हूं."- डॉ एजाज अली

सर्जरी भी औरों से चार गुना सस्ता: डॉ एजाज अली ने बताया कि उन्होंने ओपन सर्जरी सीखा था और आज भी वह ओपन सर्जरी ही करते हैं. सर्जरी के लिए कई लेप्रोस्कोपिक मशीन आ गई हैं लेकिन वह मशीन से सर्जरी नहीं करते हैं. उन्होंने अपने बेटे को तकनीकी सर्जरी सीखने के लिए विदेश भेजा था और अब वह उन्हीं के यहां जरूरत पड़ने पर मरीज का लेप्रोस्कोपिक सर्जरी करते हैं.

'गरीब मरीजों की सेवा करना उद्देश्य': उन्होंने बताया कि गॉलब्लैडर में पथरी है तो सर्जरी में महल 7 से 8 हजार खर्च होते हैं. कई सारे ऑपरेशन है जिसका प्राइवेट अस्पतालों में 40000 से ₹100000 तक फीस लिया जाता है. उसे वह महज ₹12000 तक में कर देते हैं. उन्होंने प्रैक्टिस शुरू किया था, तभी से उद्देश्य था कि गरीब मरीजों की सेवा करनी है. आज भी उनके पास जो मरीज आते हैं, बड़ी उम्मीद लेकर आते हैं और कम आय वर्ग के होते हैं.

patna Dr Ejaz Ali
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

"2 साल से पेशाब की दिक्कत है. डॉ एजाज अली के ट्रीटमेंट में है और उनकी दवा वहां नहीं मिलती इसलिए दवा लेने आए हैं. अपना रूटीन चेकअप भी करा रहे हैं. इनके इलाज से काफी फायदा हुआ है और काफी सस्ता इलाज करते हैं."- मोहम्मद शाहिद, गया जिले के चाकर से आए मरीज

पहले पूरा चेकअप फिर इलाज: उन्होंने कहा कि एक डॉक्टर के लिए जरूरी है कि वह मरीज को देखकर और उसका नब्ज टटोलकर उसके बीमारी का अंदाजा लगा ले. उनके समय में जो शिक्षक होते थे वह क्लिनिकल प्रैक्टिस को बेहतर तरीके से सीखाते थे. आज यह देखकर दुख होता है कि डॉक्टर मरीज को दूर से देखते हैं, और शिकायत के आधार पर जांच लिख देते हैं. फिर जांच रिपोर्ट के आधार पर इलाज करते हैं.

"इससे मरीज का अच्छा इलाज नहीं होता है. ऐसा इसलिए कि कई बार मरीज कुछ छुपा रहा होता है और कई बार किसी समस्या को बढ़ा चढ़ा कर बताता है. एक डॉक्टर को नब्ज टटोलने और आला से जांच करने के बाद बेहतर समझ में आ जाता है कि मरीज की समस्या क्या है. डॉक्टरों को मरीज का अनावश्यक जांच लिखने से बचना चाहिए क्योंकि इससे मरीज को आर्थिक नुकसान होता है."- डॉ एजाज अली

'अस्पताल होटल जैसे होंगे तो इलाज महंगा ही होगा': डॉ एजाज अली ने बताया कि आज फाइव स्टार होटल जैसे कॉरपोरेट हॉस्पिटल खुले हैं और हॉस्पिटल का खर्च निकालने के लिए अस्पताल प्रबंधन मरीज के इलाज में ही उसका सारा बिल जोड़ देता है. इससे होता यह है कि लोगों को लगता है कि इलाज महंगी हो गई है, जबकि ऐसा नहीं है.

'सोच समझकर अच्छे डॉक्टर का करना चाहिए चुनाव': उन्होंने आगे कहा कि समाज में उनके जैसे बहुत सारे डॉक्टर हैं जो काफी कम पैसे में मरीज का इलाज करते हैं और कम जांच लिखने के साथ-साथ अनावश्यक दवा भी नहीं लिखते हैं. जो गरीब तबके के मरीज हैं उन्हें कोशिश करनी चाहिए कि ऐसे डॉक्टरों के पास ही इलाज करने जाएं, अन्यथा गलत जगह जाने पर स्थिति ऐसी बिगड़ जाती है कि परिवार में दूसरा कोई बीमार पड़े तो इलाज करने की हैसियत नहीं बचती.

यतीमखाना स्कूल से सातवीं तक की पढ़ाई: डॉ एजाज अली ने बताया कि उनका बचपन गरीबी में गुजारा है और उन्होंने गरीबी को काफी महसूस किया है. इसके कारण गरीब मरीजों की सेवा ही उनका उद्देश्य है. शुरुआत में प्रारंभिक पढ़ाई मदरसा में हुई और बाद में सातवीं तक की पढ़ाई यतीमखाना स्कूल में किए हैं जो अनाथों के लिए बना था. इसके बाद मुंगेर के जिला स्कूल से मैट्रिक किया और फिर जिला स्कूल हजारीबाग से इंटरमीडिएट पास किया. फिर पीएमसीएच में एमबीबीएस में दाखिला ले लिया.

चिकित्सीय सेवा का राजनीतिक लाभ:
डॉ एजाज अली ने बताया कि वह भले ही ₹10 फीस लेते हैं लेकिन उनके पास बहुत बड़ी संख्या में मरीज आते हैं. अपने इस सेवा का वह राजनीतिक फायदा भी लेते हैं. वह जिस क्षेत्र में चले जाते हैं और इसके लिए वोट मांग देते हैं उसे वोट मिल जाता है, लेकिन बदले में जनप्रतिनिधि से जनता के लिए जो वादा करवाते हैं, वह पूरा भी करवाते हैं.

इस कारण से राजनीति से किया किनारा: उन्होंने कहा कि वह सक्रिय राजनीति में थे लेकिन समाज को सुधारने के लिए राजनीति में थे. समाज की कुरीतियों को दूर करने के लिए आए थे. राजनीति में पार्टी लाइन से बंध कर बोलना होता है, लेकिन वह मुखर आवाज के लिए जाने जाते हैं तो उन्होंने राजनीति से किनारा कर लिया. आज वह प्रशांत किशोर को अपना पूरा समर्थन दे रहे हैं.

2010 में पार्टी लाइन से अलग: डॉ एजाज अली ने बताया कि साल 2010 में उन्होंने जदयू में रहते हुए पार्टी लाइन से अलग हटके सदन में बात कही थी. जिसके बाद उन्हें दोबारा मौका नहीं दिया गया. उन्होंने महिला आरक्षण में कोटा के भीतर कोटा की बात कही थी. उनका मानना है कि महिलाएं सामान नहीं है और महिलाओं में बहुत असमानता है. कोई महिला मालकिन है और कोई महिला उसके यहां दाई है तो आरक्षण उस कमजोर महिला को मिलना चाहिए.

मेडिकल के छात्रों से अपील: डॉ एजाज अली ने बताया कि जो मेडिकल के स्टूडेंट हैं और डॉक्टरी की पढ़ाई सीख रहे हैं, उनसे वह यही अपील करेंगे कि क्लिनिकल स्टडी पर ध्यान दें. सिंप्टोम्स के आधार पर नब्ज को टटोलने का हुनर हासिल करें और कोशिश करें कि मरीज को अच्छे से डायग्नोज कर इसका सटीक ट्रीटमेंट करें.

'डॉ एजाज के हाथों में जादू': अपने बच्चे का डॉक्टर एजाज के आशियाना नगर के आवास स्थित क्लीनिक पर इलाज कराने आई अफसाना खातून ने कहा कि उनके सभी बच्चों का इलाज यहीं होता है. छोटे बेटे का इलाज कराने आई हुई हूं.

"डॉ एजाज अली के हाथों में जादू है. सारे बच्चों को लेकर यहीं आते हैं. इलाज सस्ता और अच्छा है."- अफसाना खातून, मरीज की मां

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