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क्या होते हैं एग्जिट पोल...कैसे होता है इनका सर्वे, जानिए हर सवाल का जवाब - WHAT IS EXIT POLL - WHAT IS EXIT POLL

EXIT POLLS BEFORE LOK SABHA ELECTION RESULTS 2024: 1 जून को मतदान के बाद टीवी न्यूज चैनल्स के साथ अन्य मीडिया हाउसेज और कई एजेंसियों ने एग्जिट पोल के नतीजे देश की जनता को दिखाए. नतीजों से पहले ही एग्जिट पोल के जरिये चुनाव के परिणामों की तरह एक तस्वीर सामने रख दी. सवाल है कि आखिर क्या होता है एग्जिट पोल ? इसमें कैसे आंकड़े निकाले जाते हैं ? Exit Poll के बारे में जानने कि लिए पढ़ें.

WHAT IS EXIT POLL
क्या होता है एग्जिट पोल (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jun 3, 2024, 1:47 PM IST

Updated : Jun 3, 2024, 4:11 PM IST

शिमला: हर चुनाव में मतदान समाप्त होने के कुछ घंटों बाद एग्जिट पोल जारी किए जाते हैं. सबकी नजर इन एग्जिट पोल पर रहती है. इस बार भी 1 जून को मतदान के बाद टीवी न्यूज चैनल्स के साथ अन्य मीडिया हाउसेज और कई एजेंसियों ने एग्जिट पोल के नतीजे देश की जनता को दिखाए. लोगों के मन में सवाल उठता है कि एग्जिट पोल क्या होते हैं. किस आधार पर ये जारी किए जाते हैं और कई बार ये चुनावी परिणामों से अलग क्यों होते हैं. इन्ही सवालों के उत्तर जानने की कोशिश करते हैं.

देश और दुनिया में कई एजेंसियां एग्जिट पोल का सर्वे करती हैं. सर्वे के पश्चात मतदान के बाद आंकड़े देश की जनता के सामने रखे जाते हैं. एग्जिट पोल मतदान के बाद एक क्विक सर्वे होता है. जनता से पूछे गए सवालों के आधार पर जमा किया गया डेटा ही एग्जिट पोल कहलाता है. यह एक तरह का चुनावी सर्वे है. जब वोटर वोटिंग करने के बाद मतदान केंद्र से बाहर निकलता है तो अलग-अलग सर्वे और न्यूज एजेंसियां या मीडिया हाउस मतदाता से मतदान को लेकर सवाल पूछते हैं. आपने किसके पक्ष में वोट दिया? आपके बूथ पर वोटर्स का क्या रुझान है. इसमें विभिन्न जाति, आयु वर्ग, समाज, छात्र, किसान, बागवान आदि मतदाताओं से बातचीत की जाती है.

पोलिंग बूथ के बाहर जनता का मूड जानने का होता है प्रयास

मतदान के बाद वोटरों से बातचीत कर अनुमान लगाया जाता है कि किस सीट पर चुनाव का परिणाम कैसा हो सकता है. इसके लिए अलग-अलग एजेंसियां अपने कर्मियों को पोलिंग बूथ के बाहर तैनात कर देती हैं और जनता का मूड जानने का प्रयास करती हैं. ये भी एक तरह का सर्वे ही होता है. उदाहरण के तौर पर एग्जिट पोल पर सर्वे करने वाली कंपनियां मतदान केंद्र के बाहर आए 10वें या फिर कोई बड़ा मतदान केंद्र हो तो हर 20वें शख्स से अपनी सैंपलिंग साइज के हिसाब से सवाल जवाब करती हैं. एग्जिट पोल एक अनुमान ही होता है और बहुत कम लोगों को लेकर ये सर्वे किए जाते हैं. ऐसे में इनकी विश्वसनीयता हमेशा सवालों के घेरे में रहती है, लेकिन इनके जरिए रुझानों का ही अनुमान लगाया जा सकता है.

2024 के एग्जिट पोल

इस बार भी सातवें चरण का मतदान समाप्त होने के बाद एग्जिट पोल का सर्वे करने वाली कंपनियों और मीडिया हाउस ने एग्जिट पोल जारी किए हैं. देशभर की सभी सीटों के साथ हिमाचल की चारों सीटों के एग्जिट पोल के नतीजे भी आपने देखे होंगे. कुछ एग्जिट पोल ने NDA को 350 से 400 पार तक के आंकड़े पर पहुंचा दिया है. विभिन्न एजेंसियों के एग्जिट पोल आप नीचे दिए गए ग्राफिक्स में पढ़ सकते हैं. वहीं, हिमाचल के बारे में सभी एग्जिट पोल की अलग-अलग राय है. कुछ एग्जिट पोल ने हिमाचल में बीजेपी-कंग्रेस को 2-2 सीटें दी हैं. कुछ एग्जिट पोल ने बीजेपी-3, कांग्रेस को मात्र एक ही सीट दी है. वहीं, कुछ जगह बीजेपी-4, कांग्रेस-0, बीजेपी के खाते में 3 और कांग्रेस के खाते में एक ही सीट दी है.

WHAT IS EXIT POLL
एग्जिट पोल 2024 (ईटीवी भारत ग्राफिक्स)

एग्जिट पोल की विश्वसनीयता पर सवाल

कई बार एग्जिट पोल के नतीजे मतगणना से बिल्कुल विपरीत होते हैं. वोट काउंटिंग के बाद एग्जिट पोल और नतीजों में बड़ा अंतर देखने को मिलता है. इतिहास में ऐसा हम देख चुके हैं कि चुनावी परिणाम एग्जिट पोल से बिल्कुल उलट रहे. कई बार एग्जिट पोल और असल नतीजों में मामूली अंतर होता है. लोगों के मन में सवाल है कि एग्जिट पोल स्टीक क्यों नहीं हो पाते हैं. वरिष्ठ पत्रकार धनंजय शर्मा ने कहा कि लगभग 100 करोड़ के मतदाताओं वाले देश में चंद हजार लोगों से बातचीत के आधार पर एग्जिट पोल का सर्वे किया जाता है. एग्जिट पोल में शामिल होने वाला मतदाता क्या सच बोल रहा है या नहीं ये भी एक बड़ा सवाल है. वहीं, विधानसभा और लोकसभा क्षेत्र में कई पोलिंग बूथ होते हैं. एग्जिट पोल का सर्वे करने वाली एजेंसियां क्या सभी पोलिंग बूथ पर मतदाताओं से बात करती हैं या कुछ एक बूथ पर ही जाती हैं. हर पोलिंग बूथ और क्षेत्र में मतदाताओं का रुझान अलग-अलग होता है. पिछले तीन दशक में ऐसे कई मौके आए हैं जब एग्जिट पोल औंधे मुंह गिरा है.

2004 में गलत साबित हुए एग्जिट पोल

2004 के लोकसभा चुनाव से पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने 'इंडिया शाइनिंग' का नारा दिया था. दोबारा सत्ता में वापसी को लेकर भाजपा उत्साहित थी. उस समय के माहौल के मुताबिक एग्जिट पोल में भी भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को 240 से 275 सीटें यानी बहुमत मिलने की भविष्यवाणी की गई थी. हालांकि, चुनाव नतीजे इसके उलट आए थे. एनडीए को 187 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने अनुमानों के विपरीत 216 सीटें जीती थी.

लोकसभा चुनाव 2014

2014 के लोकसभा चुनाव में अधिकांश एग्जिट पोल में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की जीत की भविष्यवाणी की थी, लेकिन बहुमत के आसपास ही दिखाया गया था. ज्यादातर एग्जिट पोल में एनडीए को 261 से 289 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था, लेकिन चुनाव परिणाम उम्मीद से भी ज्यादा आए थे. एनडीए को 336 सीटें मिली थीं. अकेले भाजपा 280 से अधिक सीटें जीती थी. कांग्रेस सिर्फ 44 सीट पर सिमट गई थी, जो इतिहास में उसका सबसे खराब प्रदर्शन है. इसके अलावा हिमाचल में 2012 विधानसभा चुनाव, छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 के एग्जिट पोल गलत साबित हो चुके हैं. एग्जिट पोल मात्र अनुमान ही होता है जिसे कम सैंपलिंग सर्वे के आधार पर जारी किया जाता है. असल नतीजे मतगणना के बाद ही देखे जाते हैं.

मतदान के बाद आते हैं एग्जिट पोल

अंतिम चरण के मतदान समाप्त होने के आधे घंटे तक एग्जिट पोल जारी करने पर प्रतिबंध होता है. इस बार भी चुनाव आयोग ने इसी तरह की हिदायत एग्जिट पोल के लिए जारी की थी. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा 126ए के तहत मतदान के बाद एग्जिट पोल जारी होते हैं. कोई व्यक्ति नियमों का उल्लंघन करता है तो उसे इसके लिए दंड भुगतना पड़ सकता है. इसके तहत दो साल जेल, जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है.

क्या सचमुच फंसी है कंगना की सीट? मोदी और योगी की मंडी सीट पर रैली, एग्जिट पोल का इशारा, समझिए इसका मतलब - Himachal Exit Poll 2024

ये भी पढ़ें: हिमाचल में कौन सी सीट पर बिगड़ सकता है भाजपा का खेल, किस ओर है Exit Poll का इशारा ?

शिमला: हर चुनाव में मतदान समाप्त होने के कुछ घंटों बाद एग्जिट पोल जारी किए जाते हैं. सबकी नजर इन एग्जिट पोल पर रहती है. इस बार भी 1 जून को मतदान के बाद टीवी न्यूज चैनल्स के साथ अन्य मीडिया हाउसेज और कई एजेंसियों ने एग्जिट पोल के नतीजे देश की जनता को दिखाए. लोगों के मन में सवाल उठता है कि एग्जिट पोल क्या होते हैं. किस आधार पर ये जारी किए जाते हैं और कई बार ये चुनावी परिणामों से अलग क्यों होते हैं. इन्ही सवालों के उत्तर जानने की कोशिश करते हैं.

देश और दुनिया में कई एजेंसियां एग्जिट पोल का सर्वे करती हैं. सर्वे के पश्चात मतदान के बाद आंकड़े देश की जनता के सामने रखे जाते हैं. एग्जिट पोल मतदान के बाद एक क्विक सर्वे होता है. जनता से पूछे गए सवालों के आधार पर जमा किया गया डेटा ही एग्जिट पोल कहलाता है. यह एक तरह का चुनावी सर्वे है. जब वोटर वोटिंग करने के बाद मतदान केंद्र से बाहर निकलता है तो अलग-अलग सर्वे और न्यूज एजेंसियां या मीडिया हाउस मतदाता से मतदान को लेकर सवाल पूछते हैं. आपने किसके पक्ष में वोट दिया? आपके बूथ पर वोटर्स का क्या रुझान है. इसमें विभिन्न जाति, आयु वर्ग, समाज, छात्र, किसान, बागवान आदि मतदाताओं से बातचीत की जाती है.

पोलिंग बूथ के बाहर जनता का मूड जानने का होता है प्रयास

मतदान के बाद वोटरों से बातचीत कर अनुमान लगाया जाता है कि किस सीट पर चुनाव का परिणाम कैसा हो सकता है. इसके लिए अलग-अलग एजेंसियां अपने कर्मियों को पोलिंग बूथ के बाहर तैनात कर देती हैं और जनता का मूड जानने का प्रयास करती हैं. ये भी एक तरह का सर्वे ही होता है. उदाहरण के तौर पर एग्जिट पोल पर सर्वे करने वाली कंपनियां मतदान केंद्र के बाहर आए 10वें या फिर कोई बड़ा मतदान केंद्र हो तो हर 20वें शख्स से अपनी सैंपलिंग साइज के हिसाब से सवाल जवाब करती हैं. एग्जिट पोल एक अनुमान ही होता है और बहुत कम लोगों को लेकर ये सर्वे किए जाते हैं. ऐसे में इनकी विश्वसनीयता हमेशा सवालों के घेरे में रहती है, लेकिन इनके जरिए रुझानों का ही अनुमान लगाया जा सकता है.

2024 के एग्जिट पोल

इस बार भी सातवें चरण का मतदान समाप्त होने के बाद एग्जिट पोल का सर्वे करने वाली कंपनियों और मीडिया हाउस ने एग्जिट पोल जारी किए हैं. देशभर की सभी सीटों के साथ हिमाचल की चारों सीटों के एग्जिट पोल के नतीजे भी आपने देखे होंगे. कुछ एग्जिट पोल ने NDA को 350 से 400 पार तक के आंकड़े पर पहुंचा दिया है. विभिन्न एजेंसियों के एग्जिट पोल आप नीचे दिए गए ग्राफिक्स में पढ़ सकते हैं. वहीं, हिमाचल के बारे में सभी एग्जिट पोल की अलग-अलग राय है. कुछ एग्जिट पोल ने हिमाचल में बीजेपी-कंग्रेस को 2-2 सीटें दी हैं. कुछ एग्जिट पोल ने बीजेपी-3, कांग्रेस को मात्र एक ही सीट दी है. वहीं, कुछ जगह बीजेपी-4, कांग्रेस-0, बीजेपी के खाते में 3 और कांग्रेस के खाते में एक ही सीट दी है.

WHAT IS EXIT POLL
एग्जिट पोल 2024 (ईटीवी भारत ग्राफिक्स)

एग्जिट पोल की विश्वसनीयता पर सवाल

कई बार एग्जिट पोल के नतीजे मतगणना से बिल्कुल विपरीत होते हैं. वोट काउंटिंग के बाद एग्जिट पोल और नतीजों में बड़ा अंतर देखने को मिलता है. इतिहास में ऐसा हम देख चुके हैं कि चुनावी परिणाम एग्जिट पोल से बिल्कुल उलट रहे. कई बार एग्जिट पोल और असल नतीजों में मामूली अंतर होता है. लोगों के मन में सवाल है कि एग्जिट पोल स्टीक क्यों नहीं हो पाते हैं. वरिष्ठ पत्रकार धनंजय शर्मा ने कहा कि लगभग 100 करोड़ के मतदाताओं वाले देश में चंद हजार लोगों से बातचीत के आधार पर एग्जिट पोल का सर्वे किया जाता है. एग्जिट पोल में शामिल होने वाला मतदाता क्या सच बोल रहा है या नहीं ये भी एक बड़ा सवाल है. वहीं, विधानसभा और लोकसभा क्षेत्र में कई पोलिंग बूथ होते हैं. एग्जिट पोल का सर्वे करने वाली एजेंसियां क्या सभी पोलिंग बूथ पर मतदाताओं से बात करती हैं या कुछ एक बूथ पर ही जाती हैं. हर पोलिंग बूथ और क्षेत्र में मतदाताओं का रुझान अलग-अलग होता है. पिछले तीन दशक में ऐसे कई मौके आए हैं जब एग्जिट पोल औंधे मुंह गिरा है.

2004 में गलत साबित हुए एग्जिट पोल

2004 के लोकसभा चुनाव से पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने 'इंडिया शाइनिंग' का नारा दिया था. दोबारा सत्ता में वापसी को लेकर भाजपा उत्साहित थी. उस समय के माहौल के मुताबिक एग्जिट पोल में भी भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को 240 से 275 सीटें यानी बहुमत मिलने की भविष्यवाणी की गई थी. हालांकि, चुनाव नतीजे इसके उलट आए थे. एनडीए को 187 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने अनुमानों के विपरीत 216 सीटें जीती थी.

लोकसभा चुनाव 2014

2014 के लोकसभा चुनाव में अधिकांश एग्जिट पोल में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की जीत की भविष्यवाणी की थी, लेकिन बहुमत के आसपास ही दिखाया गया था. ज्यादातर एग्जिट पोल में एनडीए को 261 से 289 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था, लेकिन चुनाव परिणाम उम्मीद से भी ज्यादा आए थे. एनडीए को 336 सीटें मिली थीं. अकेले भाजपा 280 से अधिक सीटें जीती थी. कांग्रेस सिर्फ 44 सीट पर सिमट गई थी, जो इतिहास में उसका सबसे खराब प्रदर्शन है. इसके अलावा हिमाचल में 2012 विधानसभा चुनाव, छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 के एग्जिट पोल गलत साबित हो चुके हैं. एग्जिट पोल मात्र अनुमान ही होता है जिसे कम सैंपलिंग सर्वे के आधार पर जारी किया जाता है. असल नतीजे मतगणना के बाद ही देखे जाते हैं.

मतदान के बाद आते हैं एग्जिट पोल

अंतिम चरण के मतदान समाप्त होने के आधे घंटे तक एग्जिट पोल जारी करने पर प्रतिबंध होता है. इस बार भी चुनाव आयोग ने इसी तरह की हिदायत एग्जिट पोल के लिए जारी की थी. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा 126ए के तहत मतदान के बाद एग्जिट पोल जारी होते हैं. कोई व्यक्ति नियमों का उल्लंघन करता है तो उसे इसके लिए दंड भुगतना पड़ सकता है. इसके तहत दो साल जेल, जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है.

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Last Updated : Jun 3, 2024, 4:11 PM IST
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