ETV Bharat / state

बिहार के इस गांव से सीखिए! यहां हर शुभ कार्य पर लोग लगाते हैं पेड़, 1960 से चली आ रही परंपरा - Green Village

author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 14, 2024, 8:26 AM IST

Updated : Sep 14, 2024, 12:52 PM IST

GREEN VILLAGE IN GOPALGANJ : बिहार का ऐसा गांव, जहां के लोग हर शुभ अवसर पर अपने घर के सामने पौधे लगाते हैं. यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है. आलम यह है कि आज गांव पूरा हरा भरा दिख रहा है. यहां का वातावरण भी अच्छा है. अब यह गांव ग्रीन विलेज के नाम से जाना जाने लगा है. पढ़ें पूरी खबर.

गोपालगंज का ग्रीन विलेज
गोपालगंज का ग्रीन विलेज (ETV Bharat)
गोपालगंज का विशंभरपुर गांव (ETV Bharat)

गोपालगंजः बिहार के गोपालगंज जिले के विशंभरपुर गांव के लोगों अनोखी परंपरा को बरकरार रखी है. गांव पर्यावरण संरक्षण के मामले में एक मिसाल पेश कर रहा है. यहां के लोगों की सोंच समाज में एक प्रेरणा का श्रोत है. परंपरा ऐसी की जिसे सुनकर हर कोई तारीफ करता है. क्योंकि इस गांव के लोगों ने अपने घरों के आगे एक पेड़ लगाने को लेकर वर्षों पूर्व लिए गए संकल्प को पूरा कर रहे हैं. गांव पर्यावरण संरक्षण के मामले में एक मिसाल पेश कर रहा है.

एक व्यक्ति पर 4 पेड़ः गांव के लोग बताते हैं कि धतिंगना पंचायत के विशंभरपुर की आबादी करीब पांच हजार से अधिक है. जबकि यहां बीस हजार से ज्यादा पेड़ लगाये गए हैं. लेकिन इतनी आबादी के बावजूद इस गांव की हरियाली किसी पहाड़ी इलाके से कम नहीं है. इसलिए इस गांव को लोग ग्रीन विलेज के नाम से भी जानते हैं.

गोपालगंज का विशंभरपुर गांव
गोपालगंज का विशंभरपुर गांव (ETV Bharat)

"यह परंपरा 1960- 65 से चली आ रही है. इस परंपरा को मेरे बड़े भाई पूर्व मुखिया स्व रामनारायण राय ने बनाया था. क्योंकि उन्होंने पेड़ की कटाई को देख कर चिंता व्यक्त की और तब उन्होंने एक आमसभा बुलाकर लोगों को पर्यावरण को बचाने के लिए पेड़ लगाने की बात कही. इसको लेकर उन्होंने यह शर्त रखी कि जो भी व्यक्ति अगर अपना मकान बनाएगा या फिर उसके घर कोई बच्चा पैदा होगा तो वह अपने घर के सामने एक पेड़ जरूर लगाएंगे." -केदारनाथ राय, ग्रामीण

सभी ने लिया है संकपल्पः केदाननाथ ने बताया कि भईया का यह सुझाव को सभी ग्रामीणों ने मानी और सभी ने संकल्प लिया की हर कोई अपने घर के सामने एक पेड़ जरूर लगाएंगे. जो आज भी चार दशक बीतने के बाद भी कायम है. इस परंपरा को कायम रखने के लिए नहीं कोई दबाव डालता है और नहीं कोई इसके खिलाफ है.

विशंभरपुर गांव में घर के बाहर आम का पेड़
विशंभरपुर गांव में घर के बाहर आम का पेड़ (ETV Bharat)

4 दशक से चल रही मुहिमः गांव के प्रत्येक व्यक्ति के द्वारा एक एक पेड़ लगाने का संकल्प लिया गया. इसी संकल्प के तहत हर घर के सामने, गली मोहल्ले और सड़कों पर पेड़ लगाने की मुहिम शुरू की गयी. यह मुहिम पिछले चार दशक से अपने परवान पर है. यहां हर तरफ हरियाली का नजारा है. ग्रामीणों की मुहिम पंचायत के हर गांव को ग्रीन विलेज के रूप में विकसित करने का है.

घर के सामने एक पेड़ लगाते हैं लोगः लोगों ने कहा कि सरकार भले ही योजना बनाकर लोगों से उसे पूरा करने की अपील करती है लेकिन हमारी धरती और पर्यावरण की रक्षा तभी हो सकती है जब दूसरे लोग भी कुछ इस गांव के लोगों की तरह संकल्प ले. हां के युवा भी इससे काफी प्रेरित हैं. स्थानीय युवा कहते हैं कि किसी भी प्रकार का शुभ काम हो सभी लोग अपने घर के सामने पेड़ लगाते हैं.

गोपालगंज के विशंभरपुर गांव में घर के बाहर लगा पेड़
गोपालगंज के विशंभरपुर गांव में घर के बाहर लगा पेड़ (ETV Bharat)

गांव में कम पड़ती है गर्मीः इस गांव की सड़कों पर कदम का आम, पीपल, अमरुद से लेकर नीम और दूसरे पेड़ हर तरफ देखे जा सकते हैं. पेड़ लगाने के फायदे यह हैं कि गर्मी के दिनों में तपती दोपहर और आग उगलता आसमान के बावजूद दोपहर में भी गांव के में ठंडक का एहसास होता है.

यह भी पढ़ेंः गमलों में समेटी प्रकृति: 30-35 साल पुराने बरगद, पीपल, और कल्पवृक्ष के बोनसाई तैयार करने वाले शौकीन की अनोखी बागवानी - Bonsai

गोपालगंज का विशंभरपुर गांव (ETV Bharat)

गोपालगंजः बिहार के गोपालगंज जिले के विशंभरपुर गांव के लोगों अनोखी परंपरा को बरकरार रखी है. गांव पर्यावरण संरक्षण के मामले में एक मिसाल पेश कर रहा है. यहां के लोगों की सोंच समाज में एक प्रेरणा का श्रोत है. परंपरा ऐसी की जिसे सुनकर हर कोई तारीफ करता है. क्योंकि इस गांव के लोगों ने अपने घरों के आगे एक पेड़ लगाने को लेकर वर्षों पूर्व लिए गए संकल्प को पूरा कर रहे हैं. गांव पर्यावरण संरक्षण के मामले में एक मिसाल पेश कर रहा है.

एक व्यक्ति पर 4 पेड़ः गांव के लोग बताते हैं कि धतिंगना पंचायत के विशंभरपुर की आबादी करीब पांच हजार से अधिक है. जबकि यहां बीस हजार से ज्यादा पेड़ लगाये गए हैं. लेकिन इतनी आबादी के बावजूद इस गांव की हरियाली किसी पहाड़ी इलाके से कम नहीं है. इसलिए इस गांव को लोग ग्रीन विलेज के नाम से भी जानते हैं.

गोपालगंज का विशंभरपुर गांव
गोपालगंज का विशंभरपुर गांव (ETV Bharat)

"यह परंपरा 1960- 65 से चली आ रही है. इस परंपरा को मेरे बड़े भाई पूर्व मुखिया स्व रामनारायण राय ने बनाया था. क्योंकि उन्होंने पेड़ की कटाई को देख कर चिंता व्यक्त की और तब उन्होंने एक आमसभा बुलाकर लोगों को पर्यावरण को बचाने के लिए पेड़ लगाने की बात कही. इसको लेकर उन्होंने यह शर्त रखी कि जो भी व्यक्ति अगर अपना मकान बनाएगा या फिर उसके घर कोई बच्चा पैदा होगा तो वह अपने घर के सामने एक पेड़ जरूर लगाएंगे." -केदारनाथ राय, ग्रामीण

सभी ने लिया है संकपल्पः केदाननाथ ने बताया कि भईया का यह सुझाव को सभी ग्रामीणों ने मानी और सभी ने संकल्प लिया की हर कोई अपने घर के सामने एक पेड़ जरूर लगाएंगे. जो आज भी चार दशक बीतने के बाद भी कायम है. इस परंपरा को कायम रखने के लिए नहीं कोई दबाव डालता है और नहीं कोई इसके खिलाफ है.

विशंभरपुर गांव में घर के बाहर आम का पेड़
विशंभरपुर गांव में घर के बाहर आम का पेड़ (ETV Bharat)

4 दशक से चल रही मुहिमः गांव के प्रत्येक व्यक्ति के द्वारा एक एक पेड़ लगाने का संकल्प लिया गया. इसी संकल्प के तहत हर घर के सामने, गली मोहल्ले और सड़कों पर पेड़ लगाने की मुहिम शुरू की गयी. यह मुहिम पिछले चार दशक से अपने परवान पर है. यहां हर तरफ हरियाली का नजारा है. ग्रामीणों की मुहिम पंचायत के हर गांव को ग्रीन विलेज के रूप में विकसित करने का है.

घर के सामने एक पेड़ लगाते हैं लोगः लोगों ने कहा कि सरकार भले ही योजना बनाकर लोगों से उसे पूरा करने की अपील करती है लेकिन हमारी धरती और पर्यावरण की रक्षा तभी हो सकती है जब दूसरे लोग भी कुछ इस गांव के लोगों की तरह संकल्प ले. हां के युवा भी इससे काफी प्रेरित हैं. स्थानीय युवा कहते हैं कि किसी भी प्रकार का शुभ काम हो सभी लोग अपने घर के सामने पेड़ लगाते हैं.

गोपालगंज के विशंभरपुर गांव में घर के बाहर लगा पेड़
गोपालगंज के विशंभरपुर गांव में घर के बाहर लगा पेड़ (ETV Bharat)

गांव में कम पड़ती है गर्मीः इस गांव की सड़कों पर कदम का आम, पीपल, अमरुद से लेकर नीम और दूसरे पेड़ हर तरफ देखे जा सकते हैं. पेड़ लगाने के फायदे यह हैं कि गर्मी के दिनों में तपती दोपहर और आग उगलता आसमान के बावजूद दोपहर में भी गांव के में ठंडक का एहसास होता है.

यह भी पढ़ेंः गमलों में समेटी प्रकृति: 30-35 साल पुराने बरगद, पीपल, और कल्पवृक्ष के बोनसाई तैयार करने वाले शौकीन की अनोखी बागवानी - Bonsai

Last Updated : Sep 14, 2024, 12:52 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.