देहरादून: राजधानी देहरादून स्थित राजभवन में वसंतोत्सव का आगाज हो गया है. अब अगले तीन दिनों के लिए राजभवन के गेट आम जनता के लिए खोल दिए गए हैं. राज भवन में लगी पुष्प प्रदर्शनी में इस बार सॉइल्स कलर से उगाई जाने वाले हाइड्रोपोनिक कल्टीवेशन की विशेष प्रतियोगिता रखी गई है.
आज उत्तराखंड वसंत उत्सव 2024 का आगाज हो गया है. इसकी शुरुआत उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट गुरमीत सिंह ने की. अब अगले तीन दिनों तक कोई भी आम जनमानस उत्तराखंड राज भवन में लगी सुंदर पुष्प प्रदर्शनी के दीदार करने जा सकता है. यहां आपको उत्तराखंड के विभिन्न फ्लोरीकल्चर और बायोडायवर्सिटी के करीब से दीदार होंगे. हर बार की तरह इस बार भी देहरादून राजभवन में आयोजित किया जा रहे बसंत महोत्सव में प्रदेश भर से फ्लोरीकल्चर से जुड़े किसान अपने पुश उत्पादन को लेकर के देहरादून राज भवन में पहुंचे हैं. आम जनमानस यहां जाकर हिमालय बायोडायवर्सिटी की मिसाल पेश करती इस प्रदर्शनी का लुफ्त उठा सकते हैं.
उत्तराखंड उद्यान विभाग के सौजन्य से आयोजित होने वाले उत्तराखंड वसंत महोत्सव में एक बार किसान और बागवानी के क्षेत्र से जुड़े कई प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गई हैं. विभाग के संयुक्त निदेशक रतन कुमार ने बताया इस बार बसंत महोत्सव में 15 अलग-अलग कैटेगरी में पुष्प प्रदर्शनी कंपटीशन का आयोजन किया गया है. उन्होंने बताया फूलों से बनाई जाने वाली रंगोली की प्रतियोगिता भी आयोजित की गई है. उन्होंने बताया इस दौरान कट फ्लावर कंपटीशन, बोनसाई, रूफटॉप गार्डनिंग सहित तमाम तरह की इवेंट आयोजित की जा रही है. उन्होंने बताया कट फ्लावर कंपटीशन में सभी कमर्शियल फूलों जिसमें कारनेशन, लिलियम, जरबेरा इसके अलावा तमाम तरह के रोजेस और आर्किड फूल सहित अलग-अलग विविधता लिए कमर्शियल फ्लावर्स के लिए प्रतियोगिता की जा रही है. इन्हें दो अलग-अलग कैटेगरी में रखा गया है. जिसमें पहले कैटेगरी में चार मैदानी जिलों में जहां पर कमर्शियल फूलों की अच्छी खेती हो रही है. दूसरी कैटेगरी में पहाड़ी जनपद है के जिलों को रखा गया है. उन्होंने बताया पुष्प रंगोली के अलावा दिव्यांग बच्चों के लिए इसमें फूलों और बागवानी पर आधारित चित्रकला प्रतियोगिता भी आयोजित की गई है.
उद्यान विभाग के अधिकारी ने बताया इस बसंत उत्सव में खासतौर से सॉइल्स कलर हाइड्रोपोनिक कल्टीवेशन पर फोकस किया जा रहा है. जिसमें बिना मिट्टी के केवल वाटर कलर पर आधारित हाइड्रोपोनिक कल्टीवेशन का डेमोंसट्रेशन किया जाएगा. उन्होंने कहा यह बिल्कुल नए तरह की बागवानी है. आगामी तीन दिनों में इस तरह के नए नवाचार और नए इनोवेशन के जरिए किसी और बागवानी के संभावनाओं को तलाशा जाएगा.
उत्तराखंड में मौजूद रिच बायोडायवर्सिटी के चलते यहां पर सदियों से पाए जाने वाले फूलों को पहचान दिलाई जाए खासतौर से उन पुस्तकों को या फिर उन पुष्प वृक्षों को जो की विलुप्त की कगार पर है. उन्होंने बताया उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में पाए जाने वाले बुरांश फूल को लेकर के भी लगातार ध्यान विभाग द्वारा कार्य किया जा रहा है. विभाग ने बताया बुरांश पहले से ही संरक्षित प्रजाति में शामिल किया गया है. उन्होंने बताया लगातार इस तरह के पुष्पों या फिर पुष्प वर्षों के संरक्षण का कार्य करते हुए उनकी कर्मशलाइजेशन और उनके उत्पादन को लेकर के विभाग योजनाएं बनाता है. लगातार इस पर काम किया जा रहा है.
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