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हाथों में चिलम, तन पर भस्मी, आस्था की डुबकी लगाने उज्जैनी से निकले सन्यासी, देखें विहंगम दृश्य - UJJAIN NAGA SADHUS IN MAHAKUMBH

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ 2025 शुरू होने वाला है. मध्य प्रदेश से साधुओं का जत्था महाकुंभ के लिए रवाना हो गया है.

UJJAIN NAGA SADHUS IN MAHAKUMBH
आस्था की डुबकी लगाने उज्जैनी से निकले सन्यासी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 3, 2025, 4:21 PM IST

उज्जैन: हिंदुओं के सबसे बड़े पर्व महाकुंभ बस कुछ ही दिनों में शुरू होने जा रहा है. उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक बार फिर आस्था का सैलाब उमड़ने वाला है. करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु देश-विदेश से गंगा में डुबकी लगाने पहुंचेंगे. प्रयागराज में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने महाकुंभ का भव्य आयोजन किया है.

इस महाकुंभ में बड़े-बड़े साधु-संत, नागा साधुओं का रेला पहुंचना शुरू हो गया है. वहीं मध्य प्रदेश से भी साधुओं की टोली प्रयागराज से रवान हो गई है.

UJJAIN NAGA SADHUS IN MAHAKUMBH
घोड़े पर सवार होकर साधु रवाना (ETV Bharat)

कब शुरू होगा महाकुंभ

महाकुंभ की शुरुआत पौष पूर्णिमा स्नान के साथ 13 जनवरी 2025 को होगी. कुंभ का स्नान सिर्फ स्नान नहीं है, बल्कि इसे एक आध्यात्मिक प्रक्रिया मानी जाती है. यह 45 दिनों तक चलेगा. जो 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के अंतिम स्नान के साथ इसका समापन होगा.

maha kumbh mela 2025
एमपी सहित दूसरे राज्यों से साधुओं का जत्था रवाना (ETV Bharat)

उज्जैन से साधुओं की टोली प्रयागराज रवाना

कुंभ के अपने रंग और कहानी है. महाकुंभ के दौरान आस्था का अलग ही नजारा देखने मिलता है. करोड़ों की भीड़ एक साथ जब गंगा में डुबकी लगाते हैं, तो यह दृश्य किसी को भी मनमोहित कर सकता है. मध्य प्रदेश के उज्जैन से बड़ी संख्या में नागा साधु प्रयागराज के लिए निकल चुके हैं.

Ujjain Naga Sadhus reach Prayagraj
नागा साधु महाकुंभ के लिए रवाना (ETV Bharat)

नागा साधु पहुंच रहे महाकुंभ

हाथों में चिलम, शरीर पर भस्मी लगाए, लहराती जटाएं और जय भोलेनाथ के नारे लगाते हुए बड़ी संख्या में साधु महाकुंभ में शामिल होने पहुंच रहे हैं. चारों दिशाओं से साधु और नागा साधुओं का जत्था प्रयागराज पहुंच रहा है.

Prayagraj Mahakumbh 2025
एमपी से साधुओं की टोली प्रयागराज जाते हुए (ETV Bharat)

कौन हैं नागा साधु

कुंभ में नागा साधु महत्वपूर्ण माने जाते हैं. कहा जाता है कि 8वीं सदी में शंकराचार्य ने हिंदू धर्म के सैनिकों के रूप में नागा साधुओं को स्थापित किया था. ये वहीं सैनिक थे, जो धर्म की राह पर चले थे.

UJJAIN NAGA SADHUS IN MAHAKUMBH
प्रयागराज में महाकुंभ की भव्य तैयारी (ETV Bharat)

महिलाएं भी होती हैं नागा साधु

नागा साधुओं में महिलाएं भी होती हैं. नागा साधुओं के लंबे होते हैं, उनके तन पर एक भी कपड़ा नहीं रहते हैं. कई नागा साधु अपने शरीर पर भस्मी भी लपेटे रहे हैं.

Madhya Pradesh Sadhus in MAHAKUMBH
उज्जैन में साधुओं की टोली (ETV Bharat)

चार स्थानों पर होता है कुंभ काआयोजन

आपको बता दें महाकुंभ 2025 का आयोजन इस बार प्रयागराज में किया जा रहा है. यह एक प्राचीन परंपरा है. जो भारत के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों पर आयोजित होता है. जो कि प्रयागराज, उज्जैन, नाशिक और हरिद्वार है.

Naga Sadhus Saints in Prayagraj Mahakumbh
कड़ाके की ठंड में आग के सामने बैठे साधु (ETV Bharat)

कुंभ की क्या है कहानी

हर 12 साल के अंतराल में कुंभ मेले का आयोजन होता है. हर स्थान पर 12 साल में एक बार कुंभ का आयोजन किया जाता है. शास्त्रों के मुताबिक कुंभ मेले की कहानी समुद्र मंथन से जुड़ी है. ऐसी मान्यता है कि अमृत कलश से अमृत की कुछ बूंदें इन चार स्थानों प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार और नाशिक में गिरी थी. जिससे ये स्थान पवित्र माने जाते हैं.

Ujjain Naga Sadhus Saints
ध्यान लगाते साधु (ETV Bharat)

चाक-चौबंद व्यवस्था

इसके साथ ही अर्धकुंभ मेला हरिद्वार और प्रयागराज में 6-6 साल के अंतराल में होता है. यह आयोजन धार्मिक, अध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. महाकुंभ को लेकर प्रयागराज में प्रशासन ने चाक-चौबंद व्यवस्था की है.

उज्जैन: हिंदुओं के सबसे बड़े पर्व महाकुंभ बस कुछ ही दिनों में शुरू होने जा रहा है. उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक बार फिर आस्था का सैलाब उमड़ने वाला है. करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु देश-विदेश से गंगा में डुबकी लगाने पहुंचेंगे. प्रयागराज में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने महाकुंभ का भव्य आयोजन किया है.

इस महाकुंभ में बड़े-बड़े साधु-संत, नागा साधुओं का रेला पहुंचना शुरू हो गया है. वहीं मध्य प्रदेश से भी साधुओं की टोली प्रयागराज से रवान हो गई है.

UJJAIN NAGA SADHUS IN MAHAKUMBH
घोड़े पर सवार होकर साधु रवाना (ETV Bharat)

कब शुरू होगा महाकुंभ

महाकुंभ की शुरुआत पौष पूर्णिमा स्नान के साथ 13 जनवरी 2025 को होगी. कुंभ का स्नान सिर्फ स्नान नहीं है, बल्कि इसे एक आध्यात्मिक प्रक्रिया मानी जाती है. यह 45 दिनों तक चलेगा. जो 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के अंतिम स्नान के साथ इसका समापन होगा.

maha kumbh mela 2025
एमपी सहित दूसरे राज्यों से साधुओं का जत्था रवाना (ETV Bharat)

उज्जैन से साधुओं की टोली प्रयागराज रवाना

कुंभ के अपने रंग और कहानी है. महाकुंभ के दौरान आस्था का अलग ही नजारा देखने मिलता है. करोड़ों की भीड़ एक साथ जब गंगा में डुबकी लगाते हैं, तो यह दृश्य किसी को भी मनमोहित कर सकता है. मध्य प्रदेश के उज्जैन से बड़ी संख्या में नागा साधु प्रयागराज के लिए निकल चुके हैं.

Ujjain Naga Sadhus reach Prayagraj
नागा साधु महाकुंभ के लिए रवाना (ETV Bharat)

नागा साधु पहुंच रहे महाकुंभ

हाथों में चिलम, शरीर पर भस्मी लगाए, लहराती जटाएं और जय भोलेनाथ के नारे लगाते हुए बड़ी संख्या में साधु महाकुंभ में शामिल होने पहुंच रहे हैं. चारों दिशाओं से साधु और नागा साधुओं का जत्था प्रयागराज पहुंच रहा है.

Prayagraj Mahakumbh 2025
एमपी से साधुओं की टोली प्रयागराज जाते हुए (ETV Bharat)

कौन हैं नागा साधु

कुंभ में नागा साधु महत्वपूर्ण माने जाते हैं. कहा जाता है कि 8वीं सदी में शंकराचार्य ने हिंदू धर्म के सैनिकों के रूप में नागा साधुओं को स्थापित किया था. ये वहीं सैनिक थे, जो धर्म की राह पर चले थे.

UJJAIN NAGA SADHUS IN MAHAKUMBH
प्रयागराज में महाकुंभ की भव्य तैयारी (ETV Bharat)

महिलाएं भी होती हैं नागा साधु

नागा साधुओं में महिलाएं भी होती हैं. नागा साधुओं के लंबे होते हैं, उनके तन पर एक भी कपड़ा नहीं रहते हैं. कई नागा साधु अपने शरीर पर भस्मी भी लपेटे रहे हैं.

Madhya Pradesh Sadhus in MAHAKUMBH
उज्जैन में साधुओं की टोली (ETV Bharat)

चार स्थानों पर होता है कुंभ काआयोजन

आपको बता दें महाकुंभ 2025 का आयोजन इस बार प्रयागराज में किया जा रहा है. यह एक प्राचीन परंपरा है. जो भारत के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों पर आयोजित होता है. जो कि प्रयागराज, उज्जैन, नाशिक और हरिद्वार है.

Naga Sadhus Saints in Prayagraj Mahakumbh
कड़ाके की ठंड में आग के सामने बैठे साधु (ETV Bharat)

कुंभ की क्या है कहानी

हर 12 साल के अंतराल में कुंभ मेले का आयोजन होता है. हर स्थान पर 12 साल में एक बार कुंभ का आयोजन किया जाता है. शास्त्रों के मुताबिक कुंभ मेले की कहानी समुद्र मंथन से जुड़ी है. ऐसी मान्यता है कि अमृत कलश से अमृत की कुछ बूंदें इन चार स्थानों प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार और नाशिक में गिरी थी. जिससे ये स्थान पवित्र माने जाते हैं.

Ujjain Naga Sadhus Saints
ध्यान लगाते साधु (ETV Bharat)

चाक-चौबंद व्यवस्था

इसके साथ ही अर्धकुंभ मेला हरिद्वार और प्रयागराज में 6-6 साल के अंतराल में होता है. यह आयोजन धार्मिक, अध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. महाकुंभ को लेकर प्रयागराज में प्रशासन ने चाक-चौबंद व्यवस्था की है.

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