उज्जैन। लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में 13 मई को मध्य प्रदेश की 8 सीटों इंदौर, देवास, उज्जैन, खंडवा, खरगोन, मंदसौर, रतलाम, धार में वोट डाले गए. कुल 29 लोकसभा सीटों वाले इस प्रदेश में पहले, दूसरे और तीसरे चरण में 21 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है. सोमवार को उज्जैन आलोट संसदीय क्षेत्र में 73.03 प्रतिशत मतदान हुआ.
2097 मतदान केंद्रों पर हुआ मतदान
भारतीय जनता पार्टी ने यहां से अनिल फिरोजिया और कांग्रेस ने महेश परमार को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है. ये दोनों ही जमीनी स्तर के नेता माने जाते हैं. इस सीट के 2097 मतदान केंद्रों पर वोट डाले गए. 315 क्रिटिकल केंद्रों पर माइक्रो आब्जर्वर तैनात रहे और 1105 मतदान केंद्रों की वेबकास्टिंग की गई. उज्जैन लोकसभा सीट से 9 अभ्यर्थी चुनावी मैदान में हैं. वहीं इस लोकसभा सीट में 17 लाख 98,704 मतदाता हैं.
105 आदर्श मतदान केंद्र बनाए गए
यहां हर एक केंद्र पर एक पुलिसकर्मी और एक एसपीओ की नियुक्ति की गई. 367 ऐसे मतदान केन्द्र बनाए गए जिनका पूरी तरह संचालन महिला कर्मियों ने किया. जिसमें उज्जैन के 347 और आलोट के 20 मतदान केंद्र शामिल रहे. इन पोलिंग बूथ में केवल महिला कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई साथ ही 105 आदर्श मतदान केंद्र बनाए गए.
मुख्यमंत्री का गृह जिला है उज्जैन
उज्जैन लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं, जिसमें नागदा-खाचरौद, महिदपुर, तराना, घाटिया, उज्जैन उत्तर, उज्जैन दक्षिण, बड़नगर और रतलाम जिले की आलोट विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. इसी लोकसभा क्षेत्र की उज्जैन दक्षिण सीट से मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव विधायक चुने गए हैं. यह मुख्यमंत्री का गृह जिला भी है. बीजेपी ने वर्तमान सांसद अनिल फिरोजिया को प्रत्याशी बनाया है. वहीं कांग्रेस ने उज्जैन जिले की तराना विधानसभा से विधायक महेश परमार को टिकट दिया है. जो दो बार के विधायक हैं. इसके अलावा कांग्रेस पार्टी की तरफ से महेश परमार उज्जैन महापौर का चुनाव भी लड़ चुके हैं और बहुत ही कम अंतरों से हारे थे.
उज्जैन लोकसभा सीट का जातिगत समीकरण
यह लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. यहां के जातिगत समीकरणों की बात करें, तो यहां सामान्य वर्ग के मतदाता 24.6% पिछड़े वर्ग के मतदाता 18.6% हैं. इसके अलावा 46.3% SC-ST मतदाता और अल्पसंख्यक समाज के मतदाताओं की संख्या मात्र 3.9% और अन्य 6.6% है.
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उज्जैन लोकसभा सीट का इतिहास
उज्जैन लोकसभा क्षेत्र के पिछले आंकड़ों पर नजर डाले तो यहां बीजेपी बेहतर स्थिति में रही है. इस सीट पर 1984 के बाद यहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही सीधा मुकाबला रहा है. साल 1984 और 2009 को छोड़कर कांग्रेस यहां कभी भी जीत नहीं पाई है. जबकि यहां 1984 से अब तक 8 बार बीजेपी के उम्मीदवार जीत हासिल कर चुके हैं.