ETV Bharat / state

धारा 164 का ना हो गलत इस्तेमाल, सामूहिक दुष्कर्म मामले में हाईकोर्ट की टिप्पणी - JABALPUR HIGHCOURT POCSO ACT CASE

मध्य प्रदेश के जबलपुर हाईकोर्ट ने कहा है कि पहले को नकारने के लिए दूसरी बार नहीं दर्ज होना चाहिए 164 के बयान.

JABALPUR HIGHCOURT POCSO ACT CASE CRPC 164
सीआरपीसी की धारा 164 पर जबलपुर हाईकोर्ट की टिप्पणी (Etv Bharat)
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 24, 2025, 1:34 PM IST

जबलपुर : सामूहिक दुष्कर्म के मामले में नाबालिग पीड़िता के दोबारा बयान दर्ज कराने की मांग पर हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने धारा 164 के तहत न्यायालय में दूसरी बार बयान दर्ज करवाए जाने आरोपी पक्ष द्वारा की गई मांग को गलत ठहराया है. जस्टिस प्रमोद कुमार अग्रवाल की एकलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा है कि पहले बयान को नकारने और विफल करने के लिए धारा 164 के तहत दोबारा बयान दर्ज नहीं होना चाहिए. चाहे पहला बयान आरोपी के पक्ष में हो या खिलाफ.

क्या है दुष्कर्म का मामला और धारा 164?

दरअसल, जबलपुर हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि उसे व मुख्य आरोपी को जबलपुर के पनागर थाने में पॉक्सो एक्ट, अपहरण व सामूहिक दुष्कर्म की धाराओं में आरोपी बनाया गया. मुख्य आरोपी के खिलाफ पुलिस जांच पूरी कर न्यायालय के समक्ष आरोप पक्ष प्रस्तुत कर चुकी है. पीड़िता के पिता ने याचिकाकर्ता को निर्दोष बताते हुए पुलिस अधीक्षक व न्यायालय के समक्ष धारा 164 के तहत दोबारा बयान दर्ज कराने के लिए आवेदन दिया था, जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया था.

पीड़िता की ओर से दोबारा बयान के लिए आवेदन

एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि पीड़िता की उम्र महज 13 साल है. पुलिस ने उसे 11 दिसम्बर 2023 को बरामद किया था. इसके बाद पुलिस ने धारा 161 के तहत 13 दिसम्बर 2023 व न्यायालय ने धारा 164 के तहत 14 दिसंबर 2023 को बयान दर्ज किए थे. इसके तीन महीने बाद पीड़िता के पिता ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय और फिर कोर्ट में दोबारा धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराने आवेदन पेश किया था. इसपर कोर्ट ने याचिकाकर्ता की गिरफतारी, जांच व अन्य कार्यवाही जारी होने के कारण आवेदन को खारिज कर दिया.

CRPC 164 की पवित्रता अपना मूल्य खो देगी : हाईकोर्ट

एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा, '' कानून में सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दो या अधिक बार बयान दर्ज करने पर रोक नहीं है. दूसरा बयान पीड़िता के पहले के बयान को नकारने या विफल करने के लिए दर्ज नहीं किया जाना चाहिए, चाहे वह आरोपी के पक्ष में हो या खिलाफ. इससे सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान की पवित्रता अपना मूल्य खो देगी. धारा 164 के तहत दूसरा बयान दर्ज करने का आवेदन जांच एजेंसी की ओर से भी प्रस्तुत नहीं किया गया है. इसलिए याचिका को खारिज किया जाता है.''

यह भी पढ़ें -

जबलपुर : सामूहिक दुष्कर्म के मामले में नाबालिग पीड़िता के दोबारा बयान दर्ज कराने की मांग पर हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने धारा 164 के तहत न्यायालय में दूसरी बार बयान दर्ज करवाए जाने आरोपी पक्ष द्वारा की गई मांग को गलत ठहराया है. जस्टिस प्रमोद कुमार अग्रवाल की एकलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा है कि पहले बयान को नकारने और विफल करने के लिए धारा 164 के तहत दोबारा बयान दर्ज नहीं होना चाहिए. चाहे पहला बयान आरोपी के पक्ष में हो या खिलाफ.

क्या है दुष्कर्म का मामला और धारा 164?

दरअसल, जबलपुर हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि उसे व मुख्य आरोपी को जबलपुर के पनागर थाने में पॉक्सो एक्ट, अपहरण व सामूहिक दुष्कर्म की धाराओं में आरोपी बनाया गया. मुख्य आरोपी के खिलाफ पुलिस जांच पूरी कर न्यायालय के समक्ष आरोप पक्ष प्रस्तुत कर चुकी है. पीड़िता के पिता ने याचिकाकर्ता को निर्दोष बताते हुए पुलिस अधीक्षक व न्यायालय के समक्ष धारा 164 के तहत दोबारा बयान दर्ज कराने के लिए आवेदन दिया था, जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया था.

पीड़िता की ओर से दोबारा बयान के लिए आवेदन

एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि पीड़िता की उम्र महज 13 साल है. पुलिस ने उसे 11 दिसम्बर 2023 को बरामद किया था. इसके बाद पुलिस ने धारा 161 के तहत 13 दिसम्बर 2023 व न्यायालय ने धारा 164 के तहत 14 दिसंबर 2023 को बयान दर्ज किए थे. इसके तीन महीने बाद पीड़िता के पिता ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय और फिर कोर्ट में दोबारा धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराने आवेदन पेश किया था. इसपर कोर्ट ने याचिकाकर्ता की गिरफतारी, जांच व अन्य कार्यवाही जारी होने के कारण आवेदन को खारिज कर दिया.

CRPC 164 की पवित्रता अपना मूल्य खो देगी : हाईकोर्ट

एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा, '' कानून में सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दो या अधिक बार बयान दर्ज करने पर रोक नहीं है. दूसरा बयान पीड़िता के पहले के बयान को नकारने या विफल करने के लिए दर्ज नहीं किया जाना चाहिए, चाहे वह आरोपी के पक्ष में हो या खिलाफ. इससे सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान की पवित्रता अपना मूल्य खो देगी. धारा 164 के तहत दूसरा बयान दर्ज करने का आवेदन जांच एजेंसी की ओर से भी प्रस्तुत नहीं किया गया है. इसलिए याचिका को खारिज किया जाता है.''

यह भी पढ़ें -

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.