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अब दिल की तरह दिमाग का भी होगा स्टेंट से इलाज, दिक्कत होने पर ओपन सर्जरी कर सकेंगे डॉक्टर - brain strok treatment

अब दिल की तरह ब्रेन में स्टेंट डालकर ब्रेन स्ट्रोक का इलाज किया जाएगा. ब्रेन स्टेंट एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है. जिसका उपयोग डॉक्टर ब्रेन एन्यूरिज्म के इलाज के लिए करते है. हालांकि, यह प्रक्रिया नई है, लेकिन आम तौर पर इसके परिणाम अच्छे होते हैं.

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ब्रेन में स्टेंट डालकर ब्रेन स्ट्रोक का इलाज (photo credit- social media)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 22, 2024, 1:16 PM IST


लखनऊ: ब्रेन स्ट्रोक और एन्यूरिज्म के बहुत से मरीज ओपन सर्जरी नहीं करवाना चाहते. केजीएमयू के न्यूरो सर्जरी विभाग में अब दिल की तरह ब्रेन में स्टेंट डालकर ऐसे मरीजों का इलाज किया जा सकेगा. इसके लिए शताब्दी-1 अस्पताल में 18 करोड़ की लागत से हाइब्रिड ओटी बनाई जा रही है. अगर स्टेंट का प्रोसिजर पूरा नहीं हो सका, तो डॉक्टर तुरंत ओपन सर्जरी भी कर सकेंगे.

न्यूरो सर्जरी विभाग के हेड डॉ. बीके ओझा ने बताया, कि एन्यूरिज्म की बीमारी में ब्रेन की नस फूलकर फट जाती है. पहली बार में तो पता चल जाता है, जबकि दूसरी बार में इलाज से पहले ही कई मरीजों की मौत हो जाती है. ऐसे मरीजों के ब्रेन में स्टेंट डाला जाता है, कि ताकि नस न फटे. इसी तरह ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों में ब्लड क्लॉटिंग के कारण ब्लॉकेज हो जाता है. स्टेंट से ब्लॉकेज भी हटाया जा जा सकता है.



इसे भी पढ़े-सुबह के समय सिर दर्द होना ब्रेन ट्यूमर के लक्षण, विशेषज्ञ से लीजिए सलाह - symptoms of brain tumor

केजीएमयू में फिलहाल ब्रेन में स्टेंट का प्रोसिजर रेडियोडायग्नोसिस विभाग के डॉक्टर करते हैं. लेकिन, विभाग में इसके लिए हाइब्रिड ओटी नहीं है. कई बार मरीजों के ब्रेन में स्टेंट डालने में दिक्कत आती है. ऐसे मरीजों को बिना सर्जरी के न्यूरो सर्जरी विभीग में वापस भेज दिया जाता है. इस कारण कई मरीजों को न चाहते हुए भी ओपन सर्जरी करवानी पड़ती है. अब हाइब्रिड ओटी बनने पर अगर स्टेंट का प्रोसिजर पूरा नहीं हो सका, तो डॉक्टर तुरंत ओपन सर्जरी कर सकेंगे.


डॉ. ओझा ने बताया कि ब्रेन में स्टेंट पर पहले चार से पांच लाख रुपये खर्च होते थे, लेकिन अब करीब ढाई लाख रुपये में ही यह प्रोसीजर हो जाता है. इस कारण ब्रेन में स्टेंट का प्रोसिजर चुनने वाले मरीजों की संख्या में भी इजाफा हुआ है. इसके अलावा इसपर हेल्थ इंश्योरेंस और सरकारी योजनाओं से मिलने वाले लाभ का भी असर पड़ा है.

यह भी पढ़े- कड़ाके की ठंड में बढ़ रहा ब्रेन स्ट्रोक का खतरा, विशेषज्ञों ने दी बचाव की ये सलाह


लखनऊ: ब्रेन स्ट्रोक और एन्यूरिज्म के बहुत से मरीज ओपन सर्जरी नहीं करवाना चाहते. केजीएमयू के न्यूरो सर्जरी विभाग में अब दिल की तरह ब्रेन में स्टेंट डालकर ऐसे मरीजों का इलाज किया जा सकेगा. इसके लिए शताब्दी-1 अस्पताल में 18 करोड़ की लागत से हाइब्रिड ओटी बनाई जा रही है. अगर स्टेंट का प्रोसिजर पूरा नहीं हो सका, तो डॉक्टर तुरंत ओपन सर्जरी भी कर सकेंगे.

न्यूरो सर्जरी विभाग के हेड डॉ. बीके ओझा ने बताया, कि एन्यूरिज्म की बीमारी में ब्रेन की नस फूलकर फट जाती है. पहली बार में तो पता चल जाता है, जबकि दूसरी बार में इलाज से पहले ही कई मरीजों की मौत हो जाती है. ऐसे मरीजों के ब्रेन में स्टेंट डाला जाता है, कि ताकि नस न फटे. इसी तरह ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों में ब्लड क्लॉटिंग के कारण ब्लॉकेज हो जाता है. स्टेंट से ब्लॉकेज भी हटाया जा जा सकता है.



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केजीएमयू में फिलहाल ब्रेन में स्टेंट का प्रोसिजर रेडियोडायग्नोसिस विभाग के डॉक्टर करते हैं. लेकिन, विभाग में इसके लिए हाइब्रिड ओटी नहीं है. कई बार मरीजों के ब्रेन में स्टेंट डालने में दिक्कत आती है. ऐसे मरीजों को बिना सर्जरी के न्यूरो सर्जरी विभीग में वापस भेज दिया जाता है. इस कारण कई मरीजों को न चाहते हुए भी ओपन सर्जरी करवानी पड़ती है. अब हाइब्रिड ओटी बनने पर अगर स्टेंट का प्रोसिजर पूरा नहीं हो सका, तो डॉक्टर तुरंत ओपन सर्जरी कर सकेंगे.


डॉ. ओझा ने बताया कि ब्रेन में स्टेंट पर पहले चार से पांच लाख रुपये खर्च होते थे, लेकिन अब करीब ढाई लाख रुपये में ही यह प्रोसीजर हो जाता है. इस कारण ब्रेन में स्टेंट का प्रोसिजर चुनने वाले मरीजों की संख्या में भी इजाफा हुआ है. इसके अलावा इसपर हेल्थ इंश्योरेंस और सरकारी योजनाओं से मिलने वाले लाभ का भी असर पड़ा है.

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