जयपुर. प्रदेश के शिक्षा मंत्री स्कूलों में स्वच्छता को लेकर खुद अलख जगाने का काम कर रहे हैं. लगातार स्कूलों का दौरा और वहां भी खास करके शौचालय की स्वच्छता भी देखते हैं. हालांकि, स्वच्छ स्कूल की तस्वीर तभी साकार हो सकती है, जब सभी स्कूलों में शौचालय हो और उन शौचालय में पानी हो. आज राजस्थान के 97 फीसदी स्कूलों में शौचालय तो तैयार हो गए हैं, लेकिन करीब 26 फीसदी स्कूलों में पानी का कनेक्शन ही नहीं है. ऐसे में कई स्कूलों में शौचालय बनने के बावजूद गंदे पड़े हैं, तो कहीं स्कूलों की शौचालय गंदे ना हो इसलिए ताले जड़ रखे हैं, जिसकी वजह से बच्चों को शौचालय की सुविधा नहीं मिल पा रही.
केंद्रीय जल शक्ति पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय की हाल ही में जारी रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान के 22 हजार 873 स्कूलों में अब तक नल जल कनेक्शन नहीं हो पाया है, जिसकी वजह से आज राजस्थान देश के तीसरे नीचे से तीसरे पायदान पर है. भारत में 10 लाख 20 हजार 408 सरकारी स्कूलें हैं, इनमें से 9 लाख 23 हजार 963 स्कूलों में नल जल कनेक्शन हो चुके हैं. कुछ जगह बच्चे आसपास के जल स्त्रोत से पानी की आपूर्ति कर रहे हैं. कुछ स्कूल ऐसे भी हैं जहां भामाशाहों के सहयोग से पानी के टैंकर वैकल्पिक व्यवस्था की जाती है. इनमें बहुत बड़ी संख्या में राजस्थान के स्कूल हैं.
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स्वच्छता को लेकर मुहिम: इस संबंध में प्रदेश के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि ये दुर्भाग्य है हमारा, क्योंकि पहले जो कांग्रेस की सरकार थी, उसके नकारापन के कारण से ये स्थितियां हुई हैं, नहीं तो अभी तक जल जीवन मिशन का स्वच्छ पानी सभी घरों, सभी विद्यालयों और सभी आंगनबाड़ियों में पहुंच जाना चाहिए था. दिलावर ने कहा कि अब भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, जो तेज गति से अपना काम शुरू कर रही है और कुछ दिनों में कोई भी विद्यालय ऐसा नहीं बचेगा, जहां पेयजल के लिए नल का कनेक्शन नहीं होगा.
बता दें कि देश में 7 प्रदेश ऐसे हैं जहां सभी सरकारी स्कूलों में शौचालय हैं, जिनमें पश्चिम बंगाल, पुड्डुचेरी, लक्षद्वीप, गोवा, दिल्ली, चंडीगढ़, और अंडमान-निकोबार का नाम शुमार है. वहीं, 11 राज्य ऐसे हैं जहां 100 फीसदी स्कूलों में नल जल आपूर्ति है. इनमें हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, गोवा, उत्तराखंड, तेलगांना, आंध्रप्रदेश, केरल, पुड्डुचेरी, लक्षद्वीप, दादरा एवं नगर हवेली दमन-दीव, और अंडमान-निकोबार शामिल हैं. बहरहाल, स्कूलों और आंगनबाड़ियों में पीने, भोजन पकाने, हाथ धोने और शौचालयों में प्राथमिकता पर पाइपों से जलापूर्ति के लिए जल जीवन मिशन के तहत विशेष अभियान चलाया गया था, लेकिन दूसरे राज्यों की तुलना में राजस्थान में इस मिशन के तहत बेहद धीमी गति से काम हुआ है.