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नागौर में भी जालौर जैसा मामला, सरकारी भूमि पर अतिक्रमण, हटाने पहुंची प्रशासन को लौटना पड़ा बैरंग - Encroachment on government land

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 17, 2024, 3:46 PM IST

जालौर जिले के ओडवाड़ा गांव में जिस प्रकार ओरण भूमि पर बीते दिन अतिक्रमण हटाए गए. वैसा ही मामला नागौर में सामने आया है. यहां भी प्रशासन शुक्रवार को अतिक्रमण हटाने पहुंचा, लेकिन पुलिस की ओर से जाप्ता नहीं देने के कारण अतिक्रमण हटाया नहीं जा सका. नागौर के बादली क्षेत्र में अंगौर भूमि पर करीब 2000 कच्चे पक्के मकान बने हुए हैं.

Encroachment on government land in Nagaur, administration had to return empty handed
सरकारी भूमि पर अतिक्रमण, हटाने पहुंची प्रशासन को लौटना पड़ा बैरंग (photo etv bharat nagaur)
सरकारी भूमि पर अतिक्रमण, हटाने पहुंची प्रशासन को लौटना पड़ा बैरंग (video etv bharat nagaur)

नागौर. नागौर के बादली क्षेत्र में प्रतिबंधित सरकारी जमीन पर लंबे समय से हो रहे कब्जों को हटाने के लिए शुक्रवार को तहसील प्रशासन मौके पर पहुंचा, विरोध के बाद प्रशासन को वहां से बैरंग लौटना पड़ा. तहसील प्रशासन को पुलिस ने जाप्ता उपलब्ध नहीं करवाया, जिसके कारण प्रशासन अतिक्रमण नहीं हटवा पाया.

दरअसल, पिछले दिनों जिला कलेक्टर अरुण कुमार पुरोहित की अध्यक्षता में सरकारी अधिकारियों की बैठक हुई थी. उसमें एसपी नारायण तोगस, एडीएम चंपालाल जिनघर और तहसीलदार हरिदीप सिंह मौजूद रहे थे. इस बैठक में गुडला रोड स्थित अंगोर भूमि पर हुए भूमाफियों के अतिक्रमण को हटाने का निर्णय किया गया था. इसमें उपखंड अधिकारी के आदेश की पत्रावली सोशल मीडिया पर दो दिन पहले ही वायरल होने पर नागौर में हड़कंप मच गया.

पढ़ें: दो भाइयों का विवाद पहुंचा हाईकोर्ट, आज प्रशासन ने तोड़े 138 अतिक्रमण

अंगोर भूमि पर करीब 2000 से ज्यादा मकान: दरअसल पत्रावली वायरल होने के चलते अंगोर भूमि पर अतिक्रमण करने वालों में हड़कंप मच गया. इसके बाद इस पूरे मामले में राजनीतिक दबाव शुरू हो गया. इस अंगोर भूमि पर अभी करीब 2 हजार से ज्यादा मकान बने हुए हैं. यह सभी मकान कच्चे पक्के है. हालांकि, तहसील प्रशासन ने कहा था कि आवासीय मकान नहीं तोड़े जाएंगे. केवल तारबंदी या चारदीवारी वाले अतिक्रमण तोड़ेंगे.

टीम पहुंची, लेकिन पुलिस नहीं पहुंची: तहसीलदार हरदीप सिंह ने बताया कि सुबह 8 बजे तहसील प्रशासन की टीम मौके पर पहुंच गई थी, जिसमें मेरे साथ नायब तहसीलदार, तीन निरीक्षक भू अभिलेख, 14 पटवारी और नगर परिषद की टीम अपने साजो सामान के साथ थी, लेकिन पुलिस ने प्रशासन को जाप्ता नहीं दिया. तहसीलदार ने बताया कि एसडीएम का उनके पास फोन आया कि आज पुलिस जाप्ता नहीं मिल पाएगा. इसके बाद तहसील प्रशासन शुक्रवार को कोई कारवाई किए बिना वापस लौट आया. अब जब भी पुलिस बल उपलब्ध कराया जाएगा, तब ही अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जाएगी.

राजनीतिक दबाव की चर्चाएं: शहर में जैसे ही यह बात पता चली कि प्रशासन अतिक्रमण तोड़ने पहुंचा, लेकिन तोड़ नहीं पाया तो पूरे शहर में अलग-अलग चर्चाएं होने लगी. अतिक्रमणकारियों ने कहा कि ज्योति मिर्धा, हनुमान बेनीवाल और कलेक्टर को ज्ञापन देने के बाद यह कार्रवाई रुकी है.

भूमाफिया बेच रहे जमीन: यह जानकारी भी सामने आई है कि भू माफिया 100 रुपए के स्टांप पर सरकारी भूमि बेचने का धंधा कर रहे हैं. इस भूमि पर करीब 2000 से ज्यादा कच्चे पक्के मकान बन गए और यहां पर लाइट पानी सड़क और शिवराज जैसे कनेक्शन भी जिला प्रशासन की ओर से मुहैया करवा दिए गए हैं. एक तरफ प्रशासन इसे अंगौर भूमि बता रहा है तो दूसरी तरफ प्रशासन इन्हें अच्छी खासी सुविधा भी प्रदान कर रहा है.

सरकारी भूमि पर अतिक्रमण, हटाने पहुंची प्रशासन को लौटना पड़ा बैरंग (video etv bharat nagaur)

नागौर. नागौर के बादली क्षेत्र में प्रतिबंधित सरकारी जमीन पर लंबे समय से हो रहे कब्जों को हटाने के लिए शुक्रवार को तहसील प्रशासन मौके पर पहुंचा, विरोध के बाद प्रशासन को वहां से बैरंग लौटना पड़ा. तहसील प्रशासन को पुलिस ने जाप्ता उपलब्ध नहीं करवाया, जिसके कारण प्रशासन अतिक्रमण नहीं हटवा पाया.

दरअसल, पिछले दिनों जिला कलेक्टर अरुण कुमार पुरोहित की अध्यक्षता में सरकारी अधिकारियों की बैठक हुई थी. उसमें एसपी नारायण तोगस, एडीएम चंपालाल जिनघर और तहसीलदार हरिदीप सिंह मौजूद रहे थे. इस बैठक में गुडला रोड स्थित अंगोर भूमि पर हुए भूमाफियों के अतिक्रमण को हटाने का निर्णय किया गया था. इसमें उपखंड अधिकारी के आदेश की पत्रावली सोशल मीडिया पर दो दिन पहले ही वायरल होने पर नागौर में हड़कंप मच गया.

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अंगोर भूमि पर करीब 2000 से ज्यादा मकान: दरअसल पत्रावली वायरल होने के चलते अंगोर भूमि पर अतिक्रमण करने वालों में हड़कंप मच गया. इसके बाद इस पूरे मामले में राजनीतिक दबाव शुरू हो गया. इस अंगोर भूमि पर अभी करीब 2 हजार से ज्यादा मकान बने हुए हैं. यह सभी मकान कच्चे पक्के है. हालांकि, तहसील प्रशासन ने कहा था कि आवासीय मकान नहीं तोड़े जाएंगे. केवल तारबंदी या चारदीवारी वाले अतिक्रमण तोड़ेंगे.

टीम पहुंची, लेकिन पुलिस नहीं पहुंची: तहसीलदार हरदीप सिंह ने बताया कि सुबह 8 बजे तहसील प्रशासन की टीम मौके पर पहुंच गई थी, जिसमें मेरे साथ नायब तहसीलदार, तीन निरीक्षक भू अभिलेख, 14 पटवारी और नगर परिषद की टीम अपने साजो सामान के साथ थी, लेकिन पुलिस ने प्रशासन को जाप्ता नहीं दिया. तहसीलदार ने बताया कि एसडीएम का उनके पास फोन आया कि आज पुलिस जाप्ता नहीं मिल पाएगा. इसके बाद तहसील प्रशासन शुक्रवार को कोई कारवाई किए बिना वापस लौट आया. अब जब भी पुलिस बल उपलब्ध कराया जाएगा, तब ही अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जाएगी.

राजनीतिक दबाव की चर्चाएं: शहर में जैसे ही यह बात पता चली कि प्रशासन अतिक्रमण तोड़ने पहुंचा, लेकिन तोड़ नहीं पाया तो पूरे शहर में अलग-अलग चर्चाएं होने लगी. अतिक्रमणकारियों ने कहा कि ज्योति मिर्धा, हनुमान बेनीवाल और कलेक्टर को ज्ञापन देने के बाद यह कार्रवाई रुकी है.

भूमाफिया बेच रहे जमीन: यह जानकारी भी सामने आई है कि भू माफिया 100 रुपए के स्टांप पर सरकारी भूमि बेचने का धंधा कर रहे हैं. इस भूमि पर करीब 2000 से ज्यादा कच्चे पक्के मकान बन गए और यहां पर लाइट पानी सड़क और शिवराज जैसे कनेक्शन भी जिला प्रशासन की ओर से मुहैया करवा दिए गए हैं. एक तरफ प्रशासन इसे अंगौर भूमि बता रहा है तो दूसरी तरफ प्रशासन इन्हें अच्छी खासी सुविधा भी प्रदान कर रहा है.

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