अलवर. प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र का कहना है कि भारत के संविधान को कोई नहीं बदल सकता. यह गीता, कुरान और बाइबल जैसा पवित्र ग्रंथ है. संविधान की धारा 368 में लचीलापन तो है, लेकिन इसके मूल स्वरूप को कोई नहीं बदल सकता. मिश्र शुक्रवार को अलवर के हल्दीना स्थित राजऋषि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे.
राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि संविधान बदलने का बिल लोकसभा और राज्यसभा में बहुमत से पास होना चाहिए. साथ ही देश की सभी विधानसभाओं में भी इसे पारित कराना पड़ेगा. अगर कोई गड़बड़ी करने की कोशिश करता है, तो देश की न्यायापालिका है. पश्चिम बंगाल में ऐसी कोशिश की गई. वहां आरक्षण का स्वरूप बड़ा कर दूसरे लोगों को आरक्षण देने का प्रयास हुआ, लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी. भारतीय संविधान में कठोरता और लचीलापन दोनों हैं.
ज्यादातर लोगों को संविधान की जानकारी नहीं: राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि भारत के ज्यादातर लोगों को संविधान के बारे में पूरी जानकारी नहीं है. मैंने राज्यपाल बनने के बाद अनुभूत किया कि संविधान के बारे में आमजन को जानकारी देनी चाहिए. मैंने निर्णय किया कि जहां भी कार्यक्रम में जाउंगा, वहां संविधान की जानकारी दूंगा. संविधान के उद्देश्य, मूल कर्तव्य और मौलिक अधिकारों के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. मैंने राजभवन में संविधान पार्क बनवाया और अब राजस्थान की हर यूनिवर्सिटी संविधान पार्क बनेंगे.
मिश्र ने कहा कि उन्होंने संविधान की मूलप्रति देखी. उसमें संविधान बनने से लेकर इसे लागू करने की पूरी प्रक्रिया है. विश्व के देशों के संविधानों का अध्ययन करने के बाद भारतीय संविधान बना है. भारत में विभिन्न समय में शासन व्यवस्थाएं थीं. संविधान बनाते समय सब चीजों का ध्यान रखा गया. पहले भाग में कमल का निशान और अशोक स्तंभ है. मौलिक अधिकार से पहले भगवान श्री राम और सीता का चित्रण है, तो दिशा-निर्देश से पहले भगवान श्रीकृष्ण का चित्र है. पंचायती राज व्यवस्था में महाराजा विक्रमादित्य हैं. यह शासन व्यवस्था को इंगित करता है. संविधान में भगवान महावीर, बौध, चाणक्य, गुरू गोविंद सिंह सहित अनेक महापुरुषों का चित्रण है. संविधान के हर भाग में ये चिन्ह देकर बताने का प्रयास किया है कि भारत कैसा होना चाहिए.