लखनऊ : जिन जानवरों को जंगल में रहकर जीव जंतुओं का शिकार कर पेट भरना चाहिए वह अब जंगल से बाहर निकलकर मनुष्यों को अपना निवाला बना रहे हैं. आदमखोरों का आतंक तराई क्षेत्र से लेकर शहरी इलाकों तक में फैल गया है. वर्तमान में बहराइच में भेड़ियों का आतंक है जो अब तक कई मासूमों की जान ले चुका है. आए दिन तेंदुओं और बाघों के शहरी क्षेत्र में दाखिल होने की खबरें सामने आती हैं. तेंदुआ भी अक्सर लोगों को अपना शिकार बना रहा है. तराई क्षेत्र के साथ शहरी इलाकों में आदमखोरों के आतंक पर नकेल कसने की क्या है वन विभाग की रणनीति? इसको लेकर क्या कहते हैं वन विभाग के अफसर.
उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र गोरखपुर, लखीमपुर, बहराइच, बलरामपुर और सीतापुर के इलाकों में लगातार आदमखोरों का दखल बढ़ने लगा है. अभी तक इन इलाकों में तेंदुओं और बाघों का आतंक था अब भेड़ियों ने भी दस्तक दे दी है. बाघ और तेंदुए जहां मासूम के साथ बड़े लोगों को भी अपना शिकार बनाते हैं. वहीं भेड़ियों का टारगेट मासूम होते हैं.
बहराइच के महसी इलाके में पिछले कुछ महीनो से भेड़ियों ने आतंक मचा रखा है. आधिकारिक तौर पर अभी तक सात से आठ मासूम भेड़ियों का शिकार बन चुके हैं. कुछ आंकड़ों में यह संख्या 10 भी बताई जा रही है. हालांकि इस इलाके से चार भेड़िए पकड़ने का दावा किया जा रहा है. वन विभाग बाघ और तेंदुए के अलावा भेड़ियों को पकड़ने के लिए सक्रिय है. वहीं लखीमपुर सीमा से सटे सीतापुर के हरगांव में भी भेड़िए ने दस्तक दे दी है.
प्रधान मुख्य वन संरक्षक व विभागाध्यक्ष सुधीर कुमार शर्मा ने बताया कि पिछले कुछ समय से बहराइच के महसी क्षेत्र में अभियान चल रहा है. इसमें लगातार वन विभाग के टीमें लगी हुई हैं जो लखनऊ क्षेत्र के दोनों संरक्षक हैं उन्हें लगाया गया है. बाहर से दो डीएफओ को अपनी टीम के साथ तैनात किया गया है. हमने तीन भेड़ियों को पकड़ा है. वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट की मदद से एक भेड़िया और पकड़ा गया है. उम्मीद है कि अभी एक या दो भेड़िए वहां पर और हैं. हम उन्हें पकड़ने का प्रयास कर रहे हैं.
सुधीर कुमार शर्मा ने बताया कि हमने 10 अधिकारियों को भेजा है. दो वन संरक्षक हैं और दोनों वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट हैं. वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो के डायरेक्टर एच. गिरीश और संजय कुमार को भेजा है, जो दुधवा में काफी दिनों तक रहे हैं. दो एसडीओ और चार अन्य अफसर वहां पर तैनात किए गए हैं. हम उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द ही वह इस समस्या का निस्तारण करेंगे.
सुधीर कुमार शर्मा के मुताबिक आदमखोर हो चुके जानवरों को पकड़ने के लिए ड्रोन का सहारा लिया गया है. ग्रामीण क्षेत्र है और भेड़िया छोटा जानवर होता है इस समय गन्ने की फसल बड़ी है तो उन्हें छुपाना आसान हो जाता है. ऐसे जमीन पर उसे खोजना संभव नहीं होता. थर्मल ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे उसे लोकेट करना आसान हो रहा है. कैमरे से लगातार ट्राई किया जा रहा है. उसकी मदद से लोकेट करने में सफलता भी मिल रही है. चौथा तेंदुआ ड्रोन कैमरे की वजह से ही पकड़ने में सफल हुए हैं. हमें उम्मीद है कि जल्द ड्रोन कैमरे की सहायता से ही अन्य भेड़ियों को भी लोकेट कर लेंगे और उन्हें पकड़ा जाएगा.
वन विभाग के विभागाध्यक्ष सुधीर कुमार शर्मा अनुसार भारी वर्षा के समय जंगली जानवर नदी के साथ बहते हुए दूसरी तरफ आ जाते हैं. शायद ऐसा ही हुआ है इसी वजह से यह आबादी क्षेत्र में आ गए हैं. उनके लिए यह बिल्कुल मुफीद नहीं होता है क्योंकि उनका नेचर आबादी में रहना नहीं होता है, लेकिन अब जो भेड़िया खूंखार हो रहे हैं उसकी वजह है कि उनके साथ के भेड़िए पकड़ गए हैं. इसलिए उनके मुंह में खून लगा है तो वे शिकार करने के लिए उग्र हो रहे हैं. लखीमपुर, खीरी, बहराइच और अन्य तराई क्षेत्र में हम लगातार निगरानी कर रहे हैं. बिजनौर, मुरादाबाद और बरेली मंडल के अधिकारी लगातार निगरानी कर रहे हैं. इसके अलावा बिजनौर एक ऐसा क्षेत्र है जहां पर गुलदार सबसे ज्यादा आबादी क्षेत्र में आ जाते हैं. पिछले साल यहां से 40 गुलदार पकड़े गए थे, जबकि इस बार अभी तक 24 गुलदार पकड़े जा चुके हैं.
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