धौलपुर. जलीय जीवों के लिए महफूज माने जाने वाली चम्बल नदी में घड़ियालों सहित अन्य जलीय जीवों का कुनबा लगातार बढ़ता जा रहा है. विगत एक साल में घड़ियालों की संख्या 2108 से बढ़कर 2456 हो गई है. इसी प्रकार अन्य जलीय जीव मगरमच्छ, डॉल्फिन तथा इंडियन स्कीमर की संख्या में भी अप्रत्याशित वद्धि हुई है. यह खुलासा हाल ही में हुए एक सर्वे में हुआ है. सर्वे में यह भी पता लगा है कि चंबल नदी में 435 किलो मीटर एरिया में फैली घड़ियाल सेंचुरी में सिर्फ धौलपुर, मुरैना से लेकर पचनदा तक का क्षेत्र ही जलीय जीवों के लिए सबसे सुरक्षित है, इसलिए यहां पर जलीय जीवों की संख्या सबसे अधिक है.
डीएफओ स्वरूप दीक्षित ने बताया प्रतिवर्ष की तरह इस साल भी चम्बल नदी में पल रहे जलीय जीवों की गणना की गई. यह सर्वे विगत 14 फरवरी से शुरू होकर 26 फरवरी तक किया गया. यह गणना कार्य बॉम्बे नेशनल हिस्ट्री सोसाइटी, वाइल्ड लाइफ कंजरवेशन ट्रस्ट, वाइल्ड इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया सहित मध्य प्रदेश, राजस्थान व उत्तरप्रदेश के 11 जलीय जीव विशेषज्ञों द्वारा किया गया. सर्वे के दौरान फॉरेस्ट विभाग के अधिकारियों को कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं.
जलीय जीवों की संख्या में बढ़ोत्तरी: सर्वे के दौरान पता चला कि चम्बल के आंचल में पल रहे जलीय जीवों में से घड़ियालों की संख्या में अप्रत्याशित वद्धि हो रही है. पिछले वर्ष किये गए सर्वे में घड़ियालों की संख्या 2108 निकलकर सामने आई थी. इस बार किए गए सर्वे में घडियालों की संख्या बढ़कर 2456 हो गई है. इसी प्रकार मगरमच्छों की संख्या 878 से बढ़कर 928, डॉल्फिन 96 से बढ़कर 111 तथा इंडियन स्कीमर की संख्या 740 से बढ़कर 843 हो गई है. डीएफओ स्वरूप दीक्षित के मुताबिक चम्बल नदी में जलीय जीवों की संख्या बढ़ना बहुत ही खुशी की बात है. सर्वे में यह भी पता चला है कि कोटा, सवाई माधोपुर, श्योपुर, मुरैना, धौलपुर एवं भिंड तक 435 किलो मीटर एरिया में फैली घड़ियाल सेंचुरी में से सिर्फ धौलपुर,मुरैना से पचनदा तक 248 किलो मीटर का एरिया ही जलीय जीवों के लिए सबसे महफूज माना जाता है. विशेषज्ञो के अनुसार श्योपुर से मुरैना तक चम्बल में 200 किलो मीटर तक का एरिया उथला हुआ है. इसलिए यहां पर घड़ियाल तथा मगरमच्छ इच्छा अनुसार अठखेलियाँ नहीं कर सकते है. धौलपुर,मुरैना से पचनदा तक चम्बल की गहराई अधिक है, इसलिए यहां ओर जलीय जीव स्वछंदता पूर्ण विचरण कर सकते है.
इस साल 84 शावक घडिय़ाल भी चंबल में छोड़े गए: जानकारी के मुताबिक देश में जितने भी घडिय़ाल हैं, उनमें से 85 प्रतिशत घडिय़ाल चंबल नदी में ही पाए जाते हैं. घडिय़ालों की हर साल बढ़ रही संख्या को देखते हुए इस साल भी देवरी ईको सेंटर की हैचरी में पोषित किए गए 84 शावक घडिय़ालों को इस साल अलग-अलग चंबल नदी के घाटों पर छोड़ा गया है.
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पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा : चंबल नदी देश की सबसे साफ सुथरी मानी जाती है. इस वजह से जलीय जीवों के लिए यह सबसे सुरक्षित है. जिस प्रकार घड़ियाल मगरमच्छ डॉल्फिन एवं अन्य जलीय जीवों की वंश वृद्धि हो रही है उससे वन विभाग के साथ जलीय जीव जंतु प्रेमियों में खुशी देखी जा रही है. चंबल नदी में धौलपुर एवं मुरैना के दोनों घाट पर सफारी की व्यवस्था की गई है. सैकड़ो की संख्या में जीव जंतु प्रेमी लुफ्त उठाने पहुंचते हैं, जिस प्रकार जलीय जीवों में वृद्धि हो रही है, उससे निश्चित तौर पर पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.