रांची: सीनियर आईपीएस ऑफिसर अनुराग गुप्ता को प्रभारी डीजीपी बनाए जाने का मामला विवादों में आ गया है. डीजीपी की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर अवमानना याचिका पर कोर्ट ने झारखंड के मुख्य सचिव एल खांग्याते और प्रभारी डीजीपी से जवाब मांगा है. याचिका में दावा किया गया है कि अनुराग गुप्ता को प्रभारी डीजीपी बनाए जाने में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय अनिवार्य दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया है.
क्या है पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में दलील दी गई है कि डीजीपी अनुराग गुप्ता की नियुक्ति अस्थायी तौर पर की गई है, जो सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसले के खिलाफ है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक किसी भी राज्य में डीजीपी की नियुक्ति कम से कम 2 साल के लिए होती है.
डीजीपी को हटाने की प्रक्रिया तभी शुरू होती है, जब सेवा नियमों का उल्लंघन हो या किसी आपराधिक मामले में कोर्ट का फैसला हो, भ्रष्टाचार साबित हो या डीजीपी अपने कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ हों, तब उन्हें हटाया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार झारखंड सरकार ने प्रभारी डीजीपी की नियुक्ति की है, जो फैसले के अनुरूप नहीं है.
अजय सिंह को हटाकर अनुराग गुप्ता को बनाया गया है डीजीपी
गौरतलब है कि 11 फरवरी 2023 को तत्कालीन डीजीपी नीरज सिंह के रिटायर होने के बाद अजय कुमार सिंह को डीजीपी बनाया गया था. लेकिन जुलाई 2024 में झारखंड सरकार ने 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी अनुराग गुप्ता को प्रभारी डीजीपी नियुक्त कर दिया. अजय कुमार सिंह को हटाने में सुप्रीम कोर्ट के किसी दिशा-निर्देश का पालन नहीं किया गया. अब इस मामले को लेकर झारखंड सरकार को नोटिस जारी किया गया है.
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