शिमला: नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सरकारी कर्मचारियों को अगस्त महीने की सैलरी ना मिल पाने को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा प्रदेश आर्थिक संकट से गुजर रहा है. यही कारण है कि 2 सितंबर बीत जाने के बाद भी कर्मचारियों को सैलरी और रिटायर कर्मियों को पेंशन नहीं मिल पाई है. यह सबके लिए चिंता का विषय है.
जयराम ठाकुर ने कहा सामान्य तौर पर कर्मियों को वेतन और रिटायर कर्मियों को पेंशन हमेशा महीने की पहला तारीख को मिल जाती है. यह काफी समय बाद हुआ है कि 2 तारीख बीत जाने के बाद भी सैलरी और पेंशन नहीं मिल पाई है. हिमाचल दिवालियापन की ओर बढ़ता जा रहा है. कई बार सीएम बोलते हैं हालात खराब हैं और कई बार कहते हैं हालात खराब नहीं हैं. हैरानी तब होती है जब सीएम कहते हैं कि साल 2027 तक हिमाचल प्रदेश पूरे देश का सबसे समृद्ध राज्य होगा. ऐसे में सीएम के इस बयान पर हैरानी होती है. यहां सैलरी और पेंशन देने के लिए पैसा नहीं है.
इसके अलावा आउटसोर्स के कर्मियों को 6-6 महीने का वेतन नहीं मिल पा रहा है. कर्मचारियों को डीए की किस्त नहीं मिल पा रही हैं. हिमाचल घोर वित्तीय संकट के दौर से गुजर रहा है. इसे हमें स्वीकार करना पड़ेगा.
6 तारीख से पहले नहीं आएगी सैलरी व पेंशन
नेता प्रतिपक्ष ने कहा रेवेन्यू डेफिशिएट ग्रांट (राजस्व घाटा अनुदान) मिलने के बाद ही अब कर्मचारियों और पेंशनर्स को सैलरी व पेंशन मिल पाएगी. रेवेन्यू डेफिशिएट ग्रांट केंद्र सरकार की ओर से हर महीने 5 तारीख को जारी किया जाता है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि अब हिमाचल प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को 6 सितंबर तक वेतन और पेंशन मिल पाएगी.
2000 हजार करोड़ रुपये की जरूरत
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा मौजूदा समय में हिमाचल प्रदेश सरकार को अपने कर्मियों को सैलरी और रिटायर कर्मियों को पेंशन देने के लिए हर महीने 2 हजार करोड़ रुपये की जरूरत होती है. इसमें से 1200 करोड़ रुपये सैलरी में चले जाते हैं और 800 करोड़ रुपये पेंशन में खर्च हो जाते हैं जबकि हिमाचल की ट्रेजरी की हालत ऐसी है कि इसमें 750 करोड़ रुपये का ओवरड्राफ्ट ही किया जा सकता है.
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