ETV Bharat / state

वाइस प्रिंसिपल से किसान बनने की कहानी, ऐसे शुरू की खेती, हर साल कमाते हैं लाखों रुपये - Success Story - SUCCESS STORY

Gaya Kisan Ashish Kumar: बिहार के गया के युवा किसान छत्तीसगढ़ के प्राचीन वैरायटी के चावलों की खेती कर रहे हैं. गया के किसान आशीष कुमार सिंह ने टिकारी में करीब 15 कट्ठा में इस तरह की खेती लगाई है. उनके खेतों में काला जीरा, जावा फुल, दुबराज चावल की फसल लगाई गई है. इन चावलों के कीमत जानकर हैरान रह जाएंगे. यह चावल बाजारों में डेढ़ सौ रुपए किलो तक बिकते हैं. वहीं इसमें कुछ चावल ऐसे हैं, जो कि कैंसर जैसी घातक बीमारियों तक में फायदेमंद है. पढ़ें Success Story

Gaya Kisan Ashish Kumar
टिकारी के किसान आशीष कुमार (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 4, 2024, 6:50 AM IST

गया के सफल किसान आशीष कुमार का कहानी (ETV Bharat)

गया: छत्तीसगढ़ में मुख्य रूप से उपजाए जाने वाले पुरानी वैरायटी की चावलों की खेती अब गया में शुरू की गई है. गया के आशीष टिकारी में काला जीरा, जावा फुल, दुबराज चावल की खेती कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ इंजीनियरिग कॉलेज में वाइस प्रिंसिपल की नौकरी छोड़कर पारंपरिक खेती की शुरुआत की. तकरीबन 5-5 कट्ठे में यानी कुल मिलाकर 15 कट्ठे में इन तीनों चावलों की फसल को लगाया गया है.

Gaya Kisan Ashish Kumar
ETV Bharat GFX (ETV Bharat GFX)

कैंसर से बचाएगा चावल : काला जीरा चावल कैंसर जैसी बीमारियों से बचाने में सहायक साबित होता है. वहीं, जावा फुल वजन वृद्धि को कम करता है और पाचन शक्ति बढ़ाता है. सबसे बड़ी बात यह है, कि कम ग्लाईसेमिक इंडेक्स होने के कारण डायबिटीज के मरीज भी इसका उपयोग कर सकते हैं.

Gaya Kisan Ashish Kumar
ETV Bharat GFX (ETV Bharat GFX)

छत्तीसगढ़ का धान बिहार में उपज : बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ में इन चावलों की ज्यादातर खेती होती है. यह छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में ज्यादा तौर पर उपजाई जाती है. इसकी खेती करने वाले किसान आशीष कुमार बताते हैं, कि इसे प्रयोग के तौर पर लगाया गया है. यह छत्तीसगढ़ की पुरानी वैरायटी के चावल हैं. दुबराज, जावा फुल, काला जीरा यह सब सब सुगंधित धान है. इनकी क्वालिटी काफी अच्छी है. सेहत की दृष्टि से भी इन चावलों को खाना काफी बेहतर होता है.

Gaya Kisan Ashish Kumar
ETV Bharat GFX (ETV Bharat GFX)

''छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा से बीज मंगवाया है. इसका धान ₹50 किलो की दर से मिला है. वहीं, जब इसकी पैदावार होगी तो बाजारों में कम से कम डेढ़ सौ रुपए प्रति किलो के मूल्य से बिक्री होगी. यह पुरानी वैरायटी है. इसमें काफी क्वालिटी है. लोग हाइब्रिड की ओर भाग रहे हैं, लेकिन क्वालिटी वाले फसलों से दूर होते जा रहे हैं. यह तीनों चावल क्वालिटी प्रोडक्ट हैं. पुरानी वैरायटी की चावल है. यह तीनों फसले विलुप्ति के कगार पर थी, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बाद यह विलुप्त होते चावल अब बाजारों में छा रहे हैं.''- आशीष कुमार, आधुनिक किसान

सेहत, सुगंध युक्त सुपर चावल : यह तीनों चावल महंगे हैं, लेकिन सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है. इन चावलों के अलग-अलग फायदे हैं. सेहत की दृष्टि से लोग इसे खाकर इसका लाभ ले सकते हैं. काला जीरा चावल चावल 5 से 6 फीट तक लंबा होता है. इसके फसल पैदावार होने में डेढ़ सौ से 180 दिन लग जाते हैं. प्रति एकङ 10 से 12 क्विंटल चावल निकल आता है.

Gaya Kisan Ashish Kumar
ETV Bharat GFX (ETV Bharat GFX)

किसानों के लिए मुनाफे का सौदा : इस धान की खेती किसानों के लिए मुनाफे वाला भी सौदा है, क्योंकि यदि ठीक तरह से खेती की जाए, तो यह फसले उन्हें मालोमाल कर सकती है, क्योंकि बाजारों में इसके रेट काफी अच्छे हैं काला जीरा चावल खाने से सेहत को काफी फायदे हैं. इसी प्रकार जावा फुल और दुबराज चावल खाने से फायदे हैं.

Gaya Kisan Ashish Kumar
छत्तीसगढ़ के प्राचीन वैरायटी के चावलों की खेती (ETV Bharat)

ये है खासियत : काला जीरा में एंथोसायनिन नामक एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होता है, जिससे कैंसर जैसी बीमारियों से बचने में मदद मिलती है. वजन भी इसके खाने से कंट्रोल होता है. कई तरह के रिसर्च इन चावलों पर हुए हैं, जिनमें कई तरह के फायदे सामने आए हैं. इसी प्रकार जावा फुल और दुबराज चावल भी फायदेमंद है. कम ग्लाईसेमिक इंडेक्स होने के कारण डायबिटीज के मरीज भी इसका उपयोग कर सकते हैं. पाचन तंत्र मजबूत बनाता है.

Gaya Kisan Ashish Kumar
ETV Bharat GFX (ETV Bharat GFX)

''यह तीनों चावल भीनी-भीनी खुशबू देते हैं. इस तरह से यह सुगंधित चावल है. इन फसलों की खेती करने का मकसद बिहार में इसकी खेती को बढ़ावा देना है. यदि किसान सही तरीके से छत्तीसगढ़ के इन मुख्य फसलों में माने जाने वाले इन तीनों चावलों की खेती करें, तो अच्छा मुनाफा अर्जित कर सकते हैं. इस तरह सुगंधित यह चावल न सिर्फ खाने में स्वादिष्ट होते हैं, पौष्टिक होते हैं, बल्कि सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद भी साबित होते हैं.'' - आशीष कुमार, किसान

खेती से मालामाल होंगे किसान : छत्तीसगढ़ के उक्त फसलों की खेती बड़े पैमाने पर यदि हम लोग बिहार में भी करें, तो इसके काफी फायदे हैं. आर्थिक स्थिति काफी मजबूत होगी. क्योंकि इसकी खेती में लागत कम और मुनाफा ज्यादा है. छत्तीसगढ़ की पुरानी वैरायटी की ये चावल के फसल खाने में अच्छे है, सेहत के लिए फायदेमंद है. बाजारों में यह डेढ़ सौ रुपए किलो तक मिलते हैं.

ये भी पढ़ें:

कम लागत में तगड़ा मुनाफा, पूर्णिया में किसानों ने शुरू की काले धान की खेती, 4 सौ से 5 सौ रुपये किलो बिकता है चावल - BLACK PADDY FARMING IN PURNEA

ये हैं बिहार के 'मशरूम मैन', अब 2 लाख रोज की कमाई! जानें कैसे किया कमाल - Success Story

बेंगलुरु में नौकरी छोड़ बिहार का ये लड़का छाप रहा नोट! आज खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी - Success Story

बिहार के इंजीनियर का कमाल! 'अब 11 लीटर दूध देने वाली गाय देगी 20 लीटर दूध', ऐसा आया आइडिया - Success Story

'छोड़िए नौकरी अपना बिजनेस शुरू करिये', जैसे पूर्णिया के विशंभर करते हैं 20 लाख की बचत - Success Story

एक फॉर्म में मछली पालन.. दूसरे में वर्मी कम्पोस्ट से धान की खेती, ऑर्गेनिक फार्मिंग कर लाखों कमाते हैं पति-पत्नी - Success Story

गया के सफल किसान आशीष कुमार का कहानी (ETV Bharat)

गया: छत्तीसगढ़ में मुख्य रूप से उपजाए जाने वाले पुरानी वैरायटी की चावलों की खेती अब गया में शुरू की गई है. गया के आशीष टिकारी में काला जीरा, जावा फुल, दुबराज चावल की खेती कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ इंजीनियरिग कॉलेज में वाइस प्रिंसिपल की नौकरी छोड़कर पारंपरिक खेती की शुरुआत की. तकरीबन 5-5 कट्ठे में यानी कुल मिलाकर 15 कट्ठे में इन तीनों चावलों की फसल को लगाया गया है.

Gaya Kisan Ashish Kumar
ETV Bharat GFX (ETV Bharat GFX)

कैंसर से बचाएगा चावल : काला जीरा चावल कैंसर जैसी बीमारियों से बचाने में सहायक साबित होता है. वहीं, जावा फुल वजन वृद्धि को कम करता है और पाचन शक्ति बढ़ाता है. सबसे बड़ी बात यह है, कि कम ग्लाईसेमिक इंडेक्स होने के कारण डायबिटीज के मरीज भी इसका उपयोग कर सकते हैं.

Gaya Kisan Ashish Kumar
ETV Bharat GFX (ETV Bharat GFX)

छत्तीसगढ़ का धान बिहार में उपज : बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ में इन चावलों की ज्यादातर खेती होती है. यह छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में ज्यादा तौर पर उपजाई जाती है. इसकी खेती करने वाले किसान आशीष कुमार बताते हैं, कि इसे प्रयोग के तौर पर लगाया गया है. यह छत्तीसगढ़ की पुरानी वैरायटी के चावल हैं. दुबराज, जावा फुल, काला जीरा यह सब सब सुगंधित धान है. इनकी क्वालिटी काफी अच्छी है. सेहत की दृष्टि से भी इन चावलों को खाना काफी बेहतर होता है.

Gaya Kisan Ashish Kumar
ETV Bharat GFX (ETV Bharat GFX)

''छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा से बीज मंगवाया है. इसका धान ₹50 किलो की दर से मिला है. वहीं, जब इसकी पैदावार होगी तो बाजारों में कम से कम डेढ़ सौ रुपए प्रति किलो के मूल्य से बिक्री होगी. यह पुरानी वैरायटी है. इसमें काफी क्वालिटी है. लोग हाइब्रिड की ओर भाग रहे हैं, लेकिन क्वालिटी वाले फसलों से दूर होते जा रहे हैं. यह तीनों चावल क्वालिटी प्रोडक्ट हैं. पुरानी वैरायटी की चावल है. यह तीनों फसले विलुप्ति के कगार पर थी, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बाद यह विलुप्त होते चावल अब बाजारों में छा रहे हैं.''- आशीष कुमार, आधुनिक किसान

सेहत, सुगंध युक्त सुपर चावल : यह तीनों चावल महंगे हैं, लेकिन सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है. इन चावलों के अलग-अलग फायदे हैं. सेहत की दृष्टि से लोग इसे खाकर इसका लाभ ले सकते हैं. काला जीरा चावल चावल 5 से 6 फीट तक लंबा होता है. इसके फसल पैदावार होने में डेढ़ सौ से 180 दिन लग जाते हैं. प्रति एकङ 10 से 12 क्विंटल चावल निकल आता है.

Gaya Kisan Ashish Kumar
ETV Bharat GFX (ETV Bharat GFX)

किसानों के लिए मुनाफे का सौदा : इस धान की खेती किसानों के लिए मुनाफे वाला भी सौदा है, क्योंकि यदि ठीक तरह से खेती की जाए, तो यह फसले उन्हें मालोमाल कर सकती है, क्योंकि बाजारों में इसके रेट काफी अच्छे हैं काला जीरा चावल खाने से सेहत को काफी फायदे हैं. इसी प्रकार जावा फुल और दुबराज चावल खाने से फायदे हैं.

Gaya Kisan Ashish Kumar
छत्तीसगढ़ के प्राचीन वैरायटी के चावलों की खेती (ETV Bharat)

ये है खासियत : काला जीरा में एंथोसायनिन नामक एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होता है, जिससे कैंसर जैसी बीमारियों से बचने में मदद मिलती है. वजन भी इसके खाने से कंट्रोल होता है. कई तरह के रिसर्च इन चावलों पर हुए हैं, जिनमें कई तरह के फायदे सामने आए हैं. इसी प्रकार जावा फुल और दुबराज चावल भी फायदेमंद है. कम ग्लाईसेमिक इंडेक्स होने के कारण डायबिटीज के मरीज भी इसका उपयोग कर सकते हैं. पाचन तंत्र मजबूत बनाता है.

Gaya Kisan Ashish Kumar
ETV Bharat GFX (ETV Bharat GFX)

''यह तीनों चावल भीनी-भीनी खुशबू देते हैं. इस तरह से यह सुगंधित चावल है. इन फसलों की खेती करने का मकसद बिहार में इसकी खेती को बढ़ावा देना है. यदि किसान सही तरीके से छत्तीसगढ़ के इन मुख्य फसलों में माने जाने वाले इन तीनों चावलों की खेती करें, तो अच्छा मुनाफा अर्जित कर सकते हैं. इस तरह सुगंधित यह चावल न सिर्फ खाने में स्वादिष्ट होते हैं, पौष्टिक होते हैं, बल्कि सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद भी साबित होते हैं.'' - आशीष कुमार, किसान

खेती से मालामाल होंगे किसान : छत्तीसगढ़ के उक्त फसलों की खेती बड़े पैमाने पर यदि हम लोग बिहार में भी करें, तो इसके काफी फायदे हैं. आर्थिक स्थिति काफी मजबूत होगी. क्योंकि इसकी खेती में लागत कम और मुनाफा ज्यादा है. छत्तीसगढ़ की पुरानी वैरायटी की ये चावल के फसल खाने में अच्छे है, सेहत के लिए फायदेमंद है. बाजारों में यह डेढ़ सौ रुपए किलो तक मिलते हैं.

ये भी पढ़ें:

कम लागत में तगड़ा मुनाफा, पूर्णिया में किसानों ने शुरू की काले धान की खेती, 4 सौ से 5 सौ रुपये किलो बिकता है चावल - BLACK PADDY FARMING IN PURNEA

ये हैं बिहार के 'मशरूम मैन', अब 2 लाख रोज की कमाई! जानें कैसे किया कमाल - Success Story

बेंगलुरु में नौकरी छोड़ बिहार का ये लड़का छाप रहा नोट! आज खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी - Success Story

बिहार के इंजीनियर का कमाल! 'अब 11 लीटर दूध देने वाली गाय देगी 20 लीटर दूध', ऐसा आया आइडिया - Success Story

'छोड़िए नौकरी अपना बिजनेस शुरू करिये', जैसे पूर्णिया के विशंभर करते हैं 20 लाख की बचत - Success Story

एक फॉर्म में मछली पालन.. दूसरे में वर्मी कम्पोस्ट से धान की खेती, ऑर्गेनिक फार्मिंग कर लाखों कमाते हैं पति-पत्नी - Success Story

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.