गया: छोटे स्टार्टअप और व्यापार से बड़ी उपलब्धि प्राप्त की जा सकती है. इसकी एक मिसाल गया के अनुग्रह नारायण कालेज के पास केक का व्यवसाय करने वाले बिट्टू कुमार हैं. मजदूरी करने वाले बिट्टू कुमार ने ठेले से अब कारखाने तक की यात्रा कर ली. बिट्टू 4 से 5 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं. एक कारखाना और एक केक की दुकान का संचालन कर रहे हैं. आज सफल युवा व्यापारी के रूप में पहचान बना रहे हैं.
मजदूरी कर फैक्ट्री के मालिक बनेः बिट्टू कुमार ने बताया कि पहले वे मजदूरी करते थे. घर की स्थिति ठीक नहीं थी और मां की तबीयत खराब रहती थी. इस कारण उन्होंने ज्यादा पढ़ाई नहीं की. लेकिन घर को संभालने के लिए काम करने लगे. इसी केक की एक दुकान में वे काम करते थे. बाद में उन्होंने ठेले पर केक बेचना शुरू किया. केक दुकान मालिक किसी कारण अपनी दुकान किराए दे रहे थे. इसकी जानकारी मिलने के बाद बिट्टू कुमार लोन लेकर दुकान ले लिए.
"पहले मैं इस दुकान में काम करता था. फिर ठेला पर केक बेचने लगा. बाद में पता चला कि दुकान मालिक दुकान को किराये पर दे रहा है. इसके बाद मैने लोन लेकर दुकान किराए पर ले लिया. कुछ दिनों के बाद अपना कारखाना भी खोल लिया. अब अच्छी कमाई हो रही है." -बिट्टू कुमार, व्यवसायी
केक के नए डिजाइन के लिए प्रसिद्धः नए डिजाइन का केक, केक पर बर्थडे, एनिवर्सरी डे, आदि के नाम लिखने का डिजाइन मार्केट से अलग बनाया. दूसरा कारखाने से तैयार करा कर अपनी दुकान में लाकर केक बेचने लगे, दुकान अच्छी चली और डिमांड बढ़ने लगा तो इन्होंने खुद अपना कारखाना खोल दिया. कारखाने में 6 कारीगर और 3 मजदूर काम कर रहे हैं.
मां को हो गया था कैंसरः बिट्टू कुमार ने बताया कि उनकी माता ने उनका हमेशा हौसला बढ़ाया. उनके काम में भरपूर सहयोग किया, आज उनकी माता जीवित नहीं है लेकिन उनका आशीर्वाद उनके साथ है, मां को कैंसर हो गया था, पिछले वर्ष उनकी मौत हो गई थी. इसके बाद भी उन्होंने अपने व्यवसाय को संभाला.
जिले में मिला है रोजगारः कारखाने के कारीगर मोनू राज चौधरी और राकेश यादव ने बताया कि पिछले तीन वर्षों से वह इस कारखाना में काम कर रहे हैं. मोनू राज चौधरी गया जिले के ही निवासी हैं. जबकि राकेश यादव वैशाली जिले के हैं. इन्होंने कहा कि इन्हें अपने राज्य में काम मिला है, पहले यह दूसरे राज्यों में केक का काम करते थे अब यहीं गया जिले में कर रहे हैं और अच्छी तनख्वाह मिलती है.
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