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राजस्थान के मसाला उद्योग पर मंडी टैक्स और सेस का असर, व्यापारी गुजरात-पंजाब की मंडियों में बेच रहे अपना माल - AGRO INDUSTRIES

राजस्थान में मसाला व्यापारियों ने टैक्स समान करने, सब्सिडी जारी करने और उद्योगों को राहत देने की मांग की है.

एग्रो इंडस्ट्रीज
एग्रो इंडस्ट्रीज (ETV Bharat Jodhpur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 18, 2025, 2:00 PM IST

जोधपुर : प्रदेश में कृषि प्रसंस्करण नीति के तहत सरकार एग्रो इंडस्ट्रीज को बढ़ावा देने के प्रयास कर रही है. लेकिन दूसरी ओर, इन उद्योगों में उपयोग होने वाले उत्पादों पर कर (टैक्स) की असमानता से व्यापारियों को नुकसान हो रहा है. खासकर मसाला उद्योग इससे प्रभावित हो रहा है.

व्यापारियों का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान किसान कल्याण सेस (0.50%) लगाया गया था, जो अब तक जारी है. जबकि अब महामारी खत्म हो चुकी है, फिर भी यह सेस हटाया नहीं गया है. इससे मसाला उद्योग पर दोहरा टैक्स लग रहा है. उदाहरण के तौर पर, राजस्थान में जीरे पर मंडी टैक्स 0.50% है, लेकिन किसान कल्याण सेस के कारण यह 1% हो जाता है. वहीं, पड़ोसी राज्य गुजरात में यह केवल 0.50% ही है. इस कारण किसान वहां जीरा बेचने को प्राथमिकता देते हैं और व्यापारी भी वहां से ज्यादा माल खरीदते हैं.

राजस्थान में एग्रो इंडस्ट्रीज को टैक्स में राहत की जरूरत (ETV Bharat Jodhpur)

इसे भी पढ़ें- राजस्थान में मसालों का बंपर उत्पादन फिर भी स्पाइसेज बोर्ड मेहरबान नहीं, विशेष नीति का इंतजार

टैक्स की समानता से बढ़ेगा राजस्व : व्यापारियों का मानना है कि यदि सरकार सभी कृषि उत्पादों पर समान टैक्स लागू कर दे, तो राज्य से बाहर जाने वाला माल यहीं की मंडियों में बिकेगा. इससे सरकार को जीएसटी से अधिक राजस्व प्राप्त होगा. फिलहाल, राज्य में केवल 40% कृषि उत्पादन ही स्थानीय मंडियों में बेचा जाता है, जबकि बाकी पड़ोसी राज्यों की मंडियों में चला जाता है. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रसन्नचंद मेहता का कहना है कि यदि टैक्स दरें समान कर दी जाएं, तो राज्य का राजस्व दोगुना हो सकता है और एग्रो इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा, जिससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.

सब्सिडी का इंतजार : प्रदेश में 2019 में कृषि नीति के तहत उद्योग लगाने की घोषणा की गई थी, जिसके तहत व्यापारियों ने करोड़ों रुपये के प्लांट लगाए. लेकिन कोरोना महामारी के चलते अब तक उन्हें सब्सिडी नहीं मिली. वर्तमान सरकार ने 2024-25 के बजट में नई कृषि प्रसंस्करण नीति की घोषणा तो की, लेकिन पुरानी सब्सिडी योजना का कोई समाधान नहीं निकला. जोधपुर सहित पूरे राज्य में 400 इकाइयों के आवेदन अब भी लंबित हैं. व्यापारियों को उम्मीद है कि सरकार इस बजट में कोई राहत देने की घोषणा करेगी.

एग्रो इंडस्ट्रीज
राजस्थान में एग्रो इंडस्ट्रीज को टैक्स में राहत की जरूरत. (ETV Bharat Jodhpur)

इसे भी पढ़ें- जोधपुर में मसाला एक्सपो शुरू, 800 प्रतिनिधि जुटे, कल होगा समापन

एक समान टैक्स से मिलेगा लाभ : राजस्थान एसोसिएशन ऑफ स्पाइसेज के अध्यक्ष श्याम जाजू का कहना है कि कांग्रेस सरकार के समय लागू किया गया टैक्स अब भी जारी है, जबकि केंद्र और पड़ोसी राज्यों में समान सरकार होने के बावजूद इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ. मंडोर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश सोनी ने बताया कि गुजरात में उद्योगपति बिना मंडी टैक्स के सीधे माल खरीद सकते हैं, जबकि राजस्थान में अलग-अलग टैक्स स्लैब से नुकसान हो रहा है. व्यापारियों का कहना है कि यदि सरकार टैक्स नीति में सुधार करे और पुराने प्रोसेसिंग यूनिट्स को राहत दे, तो प्रदेश का मसाला उद्योग और एग्रो इंडस्ट्री तेजी से आगे बढ़ सकती है.

जोधपुर : प्रदेश में कृषि प्रसंस्करण नीति के तहत सरकार एग्रो इंडस्ट्रीज को बढ़ावा देने के प्रयास कर रही है. लेकिन दूसरी ओर, इन उद्योगों में उपयोग होने वाले उत्पादों पर कर (टैक्स) की असमानता से व्यापारियों को नुकसान हो रहा है. खासकर मसाला उद्योग इससे प्रभावित हो रहा है.

व्यापारियों का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान किसान कल्याण सेस (0.50%) लगाया गया था, जो अब तक जारी है. जबकि अब महामारी खत्म हो चुकी है, फिर भी यह सेस हटाया नहीं गया है. इससे मसाला उद्योग पर दोहरा टैक्स लग रहा है. उदाहरण के तौर पर, राजस्थान में जीरे पर मंडी टैक्स 0.50% है, लेकिन किसान कल्याण सेस के कारण यह 1% हो जाता है. वहीं, पड़ोसी राज्य गुजरात में यह केवल 0.50% ही है. इस कारण किसान वहां जीरा बेचने को प्राथमिकता देते हैं और व्यापारी भी वहां से ज्यादा माल खरीदते हैं.

राजस्थान में एग्रो इंडस्ट्रीज को टैक्स में राहत की जरूरत (ETV Bharat Jodhpur)

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टैक्स की समानता से बढ़ेगा राजस्व : व्यापारियों का मानना है कि यदि सरकार सभी कृषि उत्पादों पर समान टैक्स लागू कर दे, तो राज्य से बाहर जाने वाला माल यहीं की मंडियों में बिकेगा. इससे सरकार को जीएसटी से अधिक राजस्व प्राप्त होगा. फिलहाल, राज्य में केवल 40% कृषि उत्पादन ही स्थानीय मंडियों में बेचा जाता है, जबकि बाकी पड़ोसी राज्यों की मंडियों में चला जाता है. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रसन्नचंद मेहता का कहना है कि यदि टैक्स दरें समान कर दी जाएं, तो राज्य का राजस्व दोगुना हो सकता है और एग्रो इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा, जिससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.

सब्सिडी का इंतजार : प्रदेश में 2019 में कृषि नीति के तहत उद्योग लगाने की घोषणा की गई थी, जिसके तहत व्यापारियों ने करोड़ों रुपये के प्लांट लगाए. लेकिन कोरोना महामारी के चलते अब तक उन्हें सब्सिडी नहीं मिली. वर्तमान सरकार ने 2024-25 के बजट में नई कृषि प्रसंस्करण नीति की घोषणा तो की, लेकिन पुरानी सब्सिडी योजना का कोई समाधान नहीं निकला. जोधपुर सहित पूरे राज्य में 400 इकाइयों के आवेदन अब भी लंबित हैं. व्यापारियों को उम्मीद है कि सरकार इस बजट में कोई राहत देने की घोषणा करेगी.

एग्रो इंडस्ट्रीज
राजस्थान में एग्रो इंडस्ट्रीज को टैक्स में राहत की जरूरत. (ETV Bharat Jodhpur)

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एक समान टैक्स से मिलेगा लाभ : राजस्थान एसोसिएशन ऑफ स्पाइसेज के अध्यक्ष श्याम जाजू का कहना है कि कांग्रेस सरकार के समय लागू किया गया टैक्स अब भी जारी है, जबकि केंद्र और पड़ोसी राज्यों में समान सरकार होने के बावजूद इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ. मंडोर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश सोनी ने बताया कि गुजरात में उद्योगपति बिना मंडी टैक्स के सीधे माल खरीद सकते हैं, जबकि राजस्थान में अलग-अलग टैक्स स्लैब से नुकसान हो रहा है. व्यापारियों का कहना है कि यदि सरकार टैक्स नीति में सुधार करे और पुराने प्रोसेसिंग यूनिट्स को राहत दे, तो प्रदेश का मसाला उद्योग और एग्रो इंडस्ट्री तेजी से आगे बढ़ सकती है.

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