रुद्रप्रयाग: केदारनाथ धाम के पैदल मार्ग में आई त्रासदी के तीसरे दिन 729 श्रद्धालुओं को एयरलिफ्ट किया गया, जबकि पैदल मार्ग से होकर 1162 श्रद्धालुओं का रेस्क्यू किया गया. इसके अलावा 117 यात्री केदारनाथ धाम से पैदल चलकर चैमासी पहुंचे. डीएम सौरभ गहवार ने बताया कि केदारनाथ पैदल मार्ग में घटी घटना के बाद से अब तक हेली सेवा से 2082, पैदल मार्ग से 6,546 और वैकल्पिक मार्ग चैमासी गांव 420 तीर्थयात्री पहुंच गए हैं. उन्होंने बताया कि अब तक हुए रेस्क्यू में 9099 तीर्थयात्रियों की जान को बचाया गया है.
केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग पर आई त्रासदी के बाद तीन दिनों से लगातार रेस्क्यू अभियान जारी है. तीसरे दिन भी जिलाधिकारी डॉ. सौरभ गहरवार मौके पर डटे रहे. जिलाधिकारी के साथ एसडीआरएफ कमांडेंट मणिकांत मिश्रा, रुद्रप्रयाग पुलिस अधीक्षक डॉ. विशाखा भदाणे, सीडीओ डॉ. जीएस खाती, पर्यटन अधिकारी राहुल चैबे मौके पर डटे हुए हैं. वहीं भीमबली और लिनचोली में एडीएम श्याम सिंह राणा और आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार मोर्चा संभाले हुए हैं.
घोड़े-खच्चरों के लिए चारे की व्यवस्था: जिलाधिकारी गहरवार के निर्देशों पर पूर्ति विभाग ने हेलीपैड, पैदल यात्रा मार्ग, गौरीकुंड, मुनकटिया, चारधाम हेलीपैड सहित अन्य स्थानों पर यात्रियों के खाने और पीने के पानी की पूरी व्यवस्था कर रखी है. रेस्क्यू किया जा रहे और फंसे यात्रियों को फूड पैकेट और पानी वितरित किया जा रहा है. केदारनाथ और पैदल मार्ग सहित गौरीकुंड में फंसे घोड़े-खच्चरों के लिए भी जिला प्रशासन ने चारे की पूरी व्यवस्था कर दी है.
आज 1800 से ज्यादा यात्रियों का रेस्क्यू: सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन के मुताबिक, 31 जुलाई को अतिवृष्टि के चलते केदारनाथ और केदारनाथ मार्ग में फंसे यात्रियों का रेस्क्यू अभियान युद्धस्तर पर जारी है. एसडीआरएफ, एनडीआरएफ की टीमें मार्ग में फंसे यात्रियों का रेस्क्यू कर उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही है. 2 अगस्त तक कुल 7234 यात्रियों का रेस्क्यू किया गया है. 3 अगस्त को 1865 यात्रियों का रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया. 3 अगस्त तक कुल 9099 यात्रियों का रेस्क्यू किया जा चुका है. करीब हजार यात्रियों को रेस्क्यू करने के लिए अभियान जारी है.
तीर्थयात्रियों ने जताया जिला प्रशासन का आभार: उत्तर प्रदेश कानपुर शहर से केदारनाथ धाम के दर्शन करने के बाद वापस लौटे अखिल ने बताया कि वापस लौटते समय अचानक हुई अतिवृष्टि के कारण हमें स्थानीय प्रशासन ने गौरीकुंड में ही रुकने की सलाह दी. वे तीन दिन तक गौरीकुंड में रुके रहे. जिला प्रशासन ने लगातार संपर्क करते हुए रहने, खाने से लेकर अन्य सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई. इसके लिए उन्होंने स्थानीय जिला प्रशासन का आभार जताया है. इलाहाबाद से हर्षिता और उनके एक साथी ने बताया कि वे केदारनाथ धाम के दर्शन कर गौरीकुंड लौट रहे थे. इस बीच रास्ते में बारिश होने से वे फंस गए और प्रशासन से मदद की गुहार लगाई. बताया कि चीरबासा में हेलीपैड का तेजी के साथ ट्रीटमेंट होने के बाद हेली से रेस्क्यू शुरू हुआ. इस रेस्क्यू अभियान से सैकड़ों तीर्थयात्रियों की जान प्रशासन ने बचाई है.
एमआई 17 की मदद से 45 यात्री निकाले: केदारनाथ धाम में शनिवार शाम के समय मौसम साफ होते ही वायु सेना के MI-17 ने केदारनाथ के दो चक्कर लगाए और लगभग 45 लोगों का रेस्क्यू कर चारधाम हेलीपैड गुप्तकाशी पहुंचाया. इस दौरान दो बीमार यात्रियों को शीघ्र एंबुलेंस की सहायता से हॉस्पिटल भेजा गया. हालांकि चीनूक हेलीकॉप्टर दूसरे दिन भी केदारनाथ नहीं जा पाया.
गढ़वाल सांसद ने किया निरीक्षण: केदारघाटी आपदाग्रस्त क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण करने सोनप्रयाग पहुंचे गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी ने हवाई निरीक्षण के साथ ही स्थलीय निरीक्षण कर प्रभावित लोगों एवं रेस्क्यू कर लाए जा रहे यात्रियों से कुशलक्षेम पूछी. उन्होंने जिला प्रशासन की ओर से किए जा रहे राहत एवं बचाव कार्यों का जायजा लिया. साथ ही विभिन्न पड़ावों में फंसे हुए श्रद्धालुओं एवं स्थानीय लोगों का रेस्क्यू करने के लिए जिला प्रशासन एवं संबंधित टीमों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए.
अनिल बलूनी ने कहा कि केदारनाथ पैदल मार्ग से लेकर केदारनाथ धाम में फंसे लोगों को सुरक्षित निकाल दिया जाएगा. किसी भी आवश्यकता के लिए धामी सरकार केंद्र सरकार के संपर्क में है. प्रदेश के मुख्यमंत्री यहां के हालातों की निरंतर मॉनिटरिंग कर रहे हैं. अभी भी लगभग हजार श्रद्धालु फंसे हुए हैं, जिनसे लगातार संपर्क किया जा रहा है. उन्हें खाने और पेयजल की समुचित व्यवस्था उपलब्ध कराई जा रही है.
सुरक्षित तरीके से निकाले जा रहे यात्री: जिलाधिकारी सौरभ गहरवार ने कहा कि अतिवृष्टि के बाद से जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन समेत एनडीआरएफ, डीडीआरएफ, एसडीआरएफ व अन्य संबंधित विभागीय अधिकारियों की ओर से निरंतर रेस्क्यू अभियान जारी है. अभी तक यात्रा मार्ग में फंसे हजारों लोगों का सफल रेस्क्यू किया जा चुका है. साथ ही फंसे हुए श्रद्धालुओं को आवश्यकता के अनुसार भोजन, पानी और अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं.
90 तीर्थयात्री रामबाड़ा-जाला-चौमासी पैदल मार्ग से रवाना: केदारनाथ धाम में फंसे तीर्थयात्रियों को अब रामबाड़ा-जाला-चौमासी पैदल मार्ग से लाने की कवायद भी शुरू हो गई है. केदारनाथ धाम में लगातार मौसम खराब होने के चलते वायु सेना का चिनूक हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भर पा रहा है. जबकि एमआई 17 ने शनिवार को केदारनाथ में शाम के समय मौसम साफ होने के बाद दो चक्कर लगाए. ऐसे में जिला प्रशासन एवं मंदिर समिति की देख-रेख में तीर्थयात्रियों को पैदल मार्ग से कालीमठ पहुंचाया जा रहा है. शनिवार को 90 तीर्थयात्रियों का दल जाला चैमासी-कालीमठ 22 किमी पैदल मार्ग के लिए रवाना हुआ. कालीमठ से तीर्थयात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाया जाएगा.
यात्रा न करने की अपील: बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने तीर्थयात्रियों से मार्ग की स्थिति ठीक न होने एवं मौसम विभाग की भविष्यवाणी को देखते हुए यात्रा न करने की अपील की. उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिशा-निर्देशन में केदारनाथ क्षेत्र में राहत तथा तीर्थयात्रियों का रेस्क्यू कार्य तेजी से हुआ है. सभी यात्री सुरक्षित हैं तथा अपने गंतव्य को प्रस्थान कर रहे हैं.
केदारनाथ हेलीपैड पर भंडारे का आयोजन: बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी और केदारनाथ विकास प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह ने बताया कि धाम में 250 से 300 के करीब तीर्थयात्री मौजूद हैं. मंदिर समिति की ओर से तीर्थयात्रियों का यथा संभव ध्यान रखा जा रहा है. मंदिर समिति ने तीर्थयात्रियों के लिए केदारनाथ हेलीपैड में भंडारा लगाया है. जबकि प्रशासन एवं जीएमवीएन ने तीर्थयात्रियों के लिए पीने का पानी, बिस्कुट, नमकीन उपलब्ध कराया. केदारनाथ धाम में मौजूद तीर्थयात्रियों की समस्याओं को सुना जा रहा है. यात्रियों को हो रही परेशानियों का निराकरण करने का प्रयास किया जा रहा है.
31 जुलाई की आपदा में इन जगहों पर गई जानें: आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक 31 जुलाई को हुई अतिवृष्टि के कारण 15 लोगों की मृत्यु हुई है. 1 अगस्त को देहरादून के सहसत्रधारा में स्नान करते समय पैर फिसलने से 2 लोगों की मौत हुई, जो मानवीय भूल की श्रेणी में दर्ज है. इस प्रकार कुल 17 यात्रियों की मृत्यु हुई है. वहीं अलग-अलग स्थानों पर हुए हादसों में 10 लोग घायल हुए और 1 व्यक्ति अभी लापता है. जिलावार टिहरी में 3, हरिद्वार में 4, देहरादून में 6, चमोली में 1, रुद्रप्रयाग में 3 लोगों की मृत्यु हुई है.
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