वाराणसी : डिजिटल हो रही दुनिया के साथ अगर अब चलना है तो हर व्यवस्था को डिजिटल करते हुए पब्लिक को ज्यादा से ज्यादा फायदा पहुंचाने का काम सरकारों को भी करना होगा. कुछ ऐसी ही डिजिटल व्यवस्था के तहत सबसे पुरानी सिटी के रूप में माने जाने वाले वाराणसी का अब डिजिटल 3D स्वरूप तैयार होने जा रहा है. साधारण भाषा में कहें तो वाराणसी का ही जुड़वा स्वरूप डिजिटल रूप में देखने को मिलेगा. इसके एक नहीं अनेक फायदे होंगे और बनारस देश का ऐसा पहला शहर है, जिसका 3D ट्विन मैप बनाया जा रहा है. लगभग 6 करोड़ रुपये की लागत से हवा-पानी और सड़क के अलावा संकरी पतली गलियों के शहर बनारस में पैदल घूम घूम कर इस 3D मैप को तैयार किया जाएगा.
वाराणसी स्मार्ट सिटी के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शाकंभरी नंदन सोंथालिया ने बताया कि प्रदेश सरकार काशी का जल्द ही डिजिटल प्रतिरूप काशी का प्रतिरूप बनवाने जा रही है. इस प्रोजेक्ट का इनॉग्रेशन भी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने वाराणसी दौरे पर किया था. यह डिजिटल प्रतिरूप थ्री-डी रूप में दिखेगा. देश में वाराणसी पहला शहर होगा जिसका 3D ट्विन मैप तैयार किया जा रहा है. 3-डी अर्बन स्पेशियल डिजिटल ट्विन से एक-एक गली, प्रमुख स्थानों समेत पूरी काशी दिखेगी.
शाकंभरी नंदन के अनुसार इस मैपिंग का बहुत सा फायदा होने वाला है. थ्री डी जीआईएस से काशी के विकास का खाका आसानी से खींचा जा सकेगा. इससे मूलभूत सुविधाओं को सुदृढ़ बनाना आसान हो जाएगा. इसके अलावा बाढ़, क्राउड मैनेजमेंट के साथ ही सुरक्षा के लिए ये तकनीक बेहद कारगर साबित होगी. शहर के विकास के लिए काम करने वाली सरकारी संस्थाओं के एक क्लिक पर शहर का थ्री -डी मैप सामने होगा, जिससे विकास की रणनीति बनाना आसान होगा.
वाराणसी स्मार्ट सिटी इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर चुका है. सभी विभागों के साथ कोऑर्डिनेटर करते हुए 3-डी जीआईएस मैपिंग का काम जल, थल और नभ तीनों से होगा. इसके लिए सर्वे भी पहली फरवरी से शुरू हो चुका है. 3-डी अर्बन स्पेशियल डिजिटल ट्विन बनाए जाने से वाराणसी के विकास की योजना बनाने में काफी आसानी होगी. इसमें सड़कों से लेकर गलियों, छोटे और बड़े भवनों का नाप समेत एक-एक इंच का माप रहेगा. इससे विकास की योजनाओं से जुड़ा कोई भी विभाग इस 3-डी मैपिंग के माध्यम से एक क्लिक से जगह की उपलब्धता, उपयोगिता कार्य की सुगमता आदि देख सकते हैं.
इसके अलाव लो लैंड की पहचान कर जल जमाव से बचा सकता है. बाढ़ में पानी से डूबने वाली स्थानों की पहचान की जा सकेगी. सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, सीवरेज, जल प्रबंधन, यातायात, देव दीपावली समेत अन्य त्योहार या दूसरे मौके पर क्राउड मैनेजमेंट में मदद मिलेगी. आग लगने पर रेस्क्यू, फायर एनओसी देने के लिए प्राथमिक निरीक्षण, विकास प्राधिकरण को भी योजना बनाने और अवैध निर्माणों, निगरानी, एनओसी आदि देने में मदद मिलेगी.
इसके अलावा तहसील स्तर से बनने वाली योजनाओं और अनापत्ति प्रमाण पत्र आदि देने में सहायक होगी. जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि एयरक्राफ्ट से तो फोर व्हीलर के अलावा टू व्हीलर से भी इस मैपिंग के लिए सर्वे का काम किया जाएगा. सबसे बड़ी बात यह है कि बनारस गलियों का शहर है यहां ऐसी गालियां भी है जहां गाड़ी लेकर जाना मुश्किल है, इसलिए एक बैग नुमा 3D मैपिंग मशीन को लेकर पैदल ही एजेंसी के लोग गलियों में घूमेंगे और पूरी 3D मैपिंग तैयार की जाएगी या पहली बार किसी शहर में होने वाला वह काम है जो गूगल मैप से भी ज्यादा एडवांस में तैयार करेगा.
जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि डिजिटल रूप में जल्द ही एक और काशी दिखाई देगी. इसमें बनारस का चप्पा-चप्पा दिखाई देगा. बनारस की संकरी गलियां हों, मंदिर या अन्य प्रमुख स्थल, सभी डिजिटल रूप में दिखाई देगा. वाराणसी शहर के 160 वर्ग किलोमीटर का 3-डी अर्बन स्पेशियल डिजिटल ट्विन बनाए जाने का कार्य लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (लिडार) तकनीकी के माध्यम से किया जाएगा. वहीं हाल ही में वाराणसी निगम क्षेत्र का विस्तार हुआ था, जिसमें 90 की जगह 100 वार्ड हो गए हैं. नए विस्तारित क्षेत्रों में विकास की नई योजना बनाने में थ्री डी विज़न काफी कारगर साबित होगा. 3 डी जीआईएस का काम जल्द ही शुरू होगा.