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राज्यपाल मंगुभाई पटेल सिकलसेल एनीमिया को लेकर चिंतित, इस बीमारी को खत्म करने के ये तरीके बताए

sickle cell eradication mission : झाबुआ जनपद पंचायत के ग्राम खेड़ी में राष्ट्रीय सिकलसेल एनीमिया उन्मूलन मिशन के तहत आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल मंगु भाई पटेल ने इस बीमारी से लड़ने के गुर बताए. साथ ही अफसरों व नेताओं की जिम्मेदारी भी बताई.

sickle cell anemia in tribal area MP
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने सिकलसेल एनीमिया को लेकर चिंतित
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 27, 2024, 7:15 PM IST

राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने सिकलसेल एनीमिया को लेकर चिंतित

झाबुआ। राज्यपाल मंगु भाई पटेल ने कहा कि गुजरात में जब मोदीजी सीएम थे, तब गुजरात में सिकलसेल उन्मूलन का कार्यक्रम शुरू हो गया था. पीएम बनने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय सिकलसेल एनीमिया उन्मूलन मिशन की शुरुआत की. यही नहीं केंद्र के बजट में इसके लिए 15 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया. आज तक आपने ऐसा संवेदनशील प्रधानमंत्री नहीं देखा होगा. प्रधानमंत्री मोदी एक एक व्यक्ति की चिंता करते हैं. उन्होंने कहा है कि 2047 तक देश को सिकलसेल मुक्त बनाना है. इसके लिए सभी को मिलकर काम करना होगा.

क्या करें और क्या न करें

राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का सूत्र वाक्य है सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास. अब इसमें जुड़ गया है सबका प्रयास. मैं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से कहना चाहूंगा कि वे एक-एक ग्राम पंचायत में जाएं. आंगनवाड़ी, स्कूल और कॉलेज में जाकर बच्चों की जांच करें. जनप्रतिनिधि भी जब गांव में दौरे पर जाएं तो वहां सिकलसेल स्क्रीनिंग कैंप जरूर लगवाएं. राज्यपाल ने कहा जिस प्रकार शादी के समय जन्मपत्री देखी जाती है उसी तरह से सिकलसेल के कार्ड देखे जाने चाहिए. यदि दोनों सिकलसेल पीड़ित या वाहक हैं तो उन्हें शादी न करने की समझाइश दें.

झाबुआ के पराग सागर का जिक्र

भाषण के दौरान राज्यपाल मंगु भाई पटेल ने झाबुआ के पराग सागर का खासतौर पर जिक्र किया. उन्होंने कहा बच्चों के माता-पिता दोनों वाहक थे, ऐसे में बच्चा सिकलसेल संक्रमित हुआ. यदि एक वाहक हो तो चलेगा, परंतु दोनों के सिकलसेल वाहक या संक्रमित होने से बच्चा सिकलसेल पीड़ित होगा. सिकलसेल सारी दुनिया में हैं और उसमें भी 95 प्रतिशत आदिवासी क्षेत्र में है. राज्यपाल ने सिकलसेल पीड़ितों को स्वस्थ रहने के टिप्स दिए. सिकलसेल पीड़ितों को तैलीय पदार्थ कम से कम खाना चाहिए. बाहर का खाना नहीं खाना चाहिए. नियमित व्यायाम करना चाहिए.

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आदिवासी क्षेत्रों में ज्यादा केस

कार्यक्रम में महिला व बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने कहा सिकलसेल बीमारी लंबे समय से चली आ रही है. आदिवासी क्षेत्रों में इस बीमारी से पीड़ितों की संख्या अधिक है. ऐसे में बीमारी के उन्मूलन के लिए जागरूकता बेहद जरूरी है. मंत्री निर्मला भूरिया ने खासतौर पर राज्यपाल का नाम लेते हुए कहा वे हमारे दुख दर्द और समस्या को जानते हैं और समय-समय पर हमारे बीच आते रहते हैं. सांसद गुमान सिंह डामोर ने कहा आदिवासियों की सबसे ज्यादा चिंता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है. कार्यक्रम में सीएमएचओ डॉ. बीएस बघेल ने बताया सिकलसेल एनीमिया उन्मूलन मिशन के तहत जिले में कुल 6 लाख 56 हजार 453 लोगों की स्क्रीनिंग की गई. इसमें से 11 हजार 480 सिकलसेल वाहक मिले. जबकि 839 सिकलसेल पीड़ित पाए गए. वहीं 276 को अन्य बीमारी निकली.

राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने सिकलसेल एनीमिया को लेकर चिंतित

झाबुआ। राज्यपाल मंगु भाई पटेल ने कहा कि गुजरात में जब मोदीजी सीएम थे, तब गुजरात में सिकलसेल उन्मूलन का कार्यक्रम शुरू हो गया था. पीएम बनने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय सिकलसेल एनीमिया उन्मूलन मिशन की शुरुआत की. यही नहीं केंद्र के बजट में इसके लिए 15 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया. आज तक आपने ऐसा संवेदनशील प्रधानमंत्री नहीं देखा होगा. प्रधानमंत्री मोदी एक एक व्यक्ति की चिंता करते हैं. उन्होंने कहा है कि 2047 तक देश को सिकलसेल मुक्त बनाना है. इसके लिए सभी को मिलकर काम करना होगा.

क्या करें और क्या न करें

राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का सूत्र वाक्य है सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास. अब इसमें जुड़ गया है सबका प्रयास. मैं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से कहना चाहूंगा कि वे एक-एक ग्राम पंचायत में जाएं. आंगनवाड़ी, स्कूल और कॉलेज में जाकर बच्चों की जांच करें. जनप्रतिनिधि भी जब गांव में दौरे पर जाएं तो वहां सिकलसेल स्क्रीनिंग कैंप जरूर लगवाएं. राज्यपाल ने कहा जिस प्रकार शादी के समय जन्मपत्री देखी जाती है उसी तरह से सिकलसेल के कार्ड देखे जाने चाहिए. यदि दोनों सिकलसेल पीड़ित या वाहक हैं तो उन्हें शादी न करने की समझाइश दें.

झाबुआ के पराग सागर का जिक्र

भाषण के दौरान राज्यपाल मंगु भाई पटेल ने झाबुआ के पराग सागर का खासतौर पर जिक्र किया. उन्होंने कहा बच्चों के माता-पिता दोनों वाहक थे, ऐसे में बच्चा सिकलसेल संक्रमित हुआ. यदि एक वाहक हो तो चलेगा, परंतु दोनों के सिकलसेल वाहक या संक्रमित होने से बच्चा सिकलसेल पीड़ित होगा. सिकलसेल सारी दुनिया में हैं और उसमें भी 95 प्रतिशत आदिवासी क्षेत्र में है. राज्यपाल ने सिकलसेल पीड़ितों को स्वस्थ रहने के टिप्स दिए. सिकलसेल पीड़ितों को तैलीय पदार्थ कम से कम खाना चाहिए. बाहर का खाना नहीं खाना चाहिए. नियमित व्यायाम करना चाहिए.

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आदिवासी क्षेत्रों में ज्यादा केस

कार्यक्रम में महिला व बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने कहा सिकलसेल बीमारी लंबे समय से चली आ रही है. आदिवासी क्षेत्रों में इस बीमारी से पीड़ितों की संख्या अधिक है. ऐसे में बीमारी के उन्मूलन के लिए जागरूकता बेहद जरूरी है. मंत्री निर्मला भूरिया ने खासतौर पर राज्यपाल का नाम लेते हुए कहा वे हमारे दुख दर्द और समस्या को जानते हैं और समय-समय पर हमारे बीच आते रहते हैं. सांसद गुमान सिंह डामोर ने कहा आदिवासियों की सबसे ज्यादा चिंता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है. कार्यक्रम में सीएमएचओ डॉ. बीएस बघेल ने बताया सिकलसेल एनीमिया उन्मूलन मिशन के तहत जिले में कुल 6 लाख 56 हजार 453 लोगों की स्क्रीनिंग की गई. इसमें से 11 हजार 480 सिकलसेल वाहक मिले. जबकि 839 सिकलसेल पीड़ित पाए गए. वहीं 276 को अन्य बीमारी निकली.

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