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नवरात्रि के पहले दिन 2 शुभ मुहूर्त में हो सकेगी कलश की स्थापना, इन बातों का रखें ख्याल - SHARDIYA NAVRATRI 2024

Shardiya Navratri 2024 Kalash sthapana: 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. नवरात्रि के पहले भक्त कलश स्थापना करते हैं. नौ दिन इस कलश की पूजा की जाती है. इस बार कलश स्थापना के लिए दो बार शुभ मुहूर्त है. वहीं, कलश स्थापना के दौरान कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए.

शारदीय नवरात्रि 2024
शारदीय नवरात्रि 2024 (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 29, 2024, 5:00 PM IST

कुल्लू: मां दुर्गा को समर्पित शारदीय नवरात्रि इस साल 3 अक्टूबर से शुरू होगी और इसका समापन 11 अक्टूबर को किया जाएगा. भक्त नौ दिनों तक मां दुर्गा की आराधना करेंगे. वहीं, इस नवरात्रों के दौरान माता दुर्गा की पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि और धन-धान्य में भी वृद्धि होती है. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना भी की जाती है और कलश स्थापना से भक्तों की हर मनोकामना भी पूरी होती है.

सनातन धर्म के अनुसार कलश को ब्रह्मा विष्णु महेश्वर और मातृगण का निवास बताया गया और इसकी स्थापना करने से भक्त को शुभ परिणाम की प्राप्ति होती है. नवरात्रि के पहले दिन योग के साथ-साथ हस्त नक्षत्र का भी योग रहेगा, जो कलश स्थापना के लिए काफी शुभ माना गया है.

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

आचार्य आशीष शर्मा का कहना है कि, 'अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 3 अक्टूबर को सुबह 12:19 पर होगा तथा इस का समापन 4 अक्टूबर को सुबह 2:58 पर होगा. ऐसे में हिंदू पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना के लिए भी दो शुभ मुहूर्त हैं. कलश स्थापना के लिए पहले शुभ मुहूर्त सुबह 6:19 से लेकर 7:23 तक रहेगा. इसके अलावा दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर के समय 11:40 से लेकर दोपहर 12: 33 मिनट तक रहेगा. इन दोनों समय में भक्त अपने घर में कलश की स्थापना कर सकते हैं.'

कलश पूजा विधि

आचार्य आशीष शर्मा ने बताया कि, 'कलश स्थापना करने से पहले एक मिट्टी के पात्र को लें और साफ थाली लेकर थोड़ी सी मिट्टी कलश में डाल दें. कलश में जौ के बीज डालकर पानी का छिड़काव करें. इसके बाद तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और उसके ऊपरी भाग में मौली बांध दें. उस लोटे में साफ जल के साथ गंगाजल दूब अक्षत सुपारी और कुछ पैसे रख दें और इसे पीपल या आम की पत्तियों से भी सजाएं. तांबे के लोटे के ऊपर एक पानी वाले नारियल को लाल चुनरी में लपेटकर मौली से बांध दें और इस नारियल को कलश के बीच में रख दें. ऐसे में माता रानी के 9 दिनों तक मंत्रों का जाप करें, जिससे मां दुर्गा प्रसन्न होकर भक्तों को सुख समृद्धि का वरदान देती है.'

इन बातों का रखें ध्यान

कलश स्थापना के दौरान उन्हें कुछ विशेष बातों का भी ध्यान रखना चाहिए, ताकि मां दुर्गा नाराज ना हो सके. आचार्य विजय कुमार का कहना है कि, 'कलश स्थापना के साथ ही मां दुर्गा घर में विराजमान हो जाती हैं और कलश को भी मां दुर्गा का ही स्वरूप माना जाता है. ऐसे में कलश में कभी भी गंदी मिट्टी और गंदे पानी का प्रयोग ना करें. अगर घर में कलश की स्थापना एक बार कर दी जाए तो उसे 9 दिनों तक नहीं हिलाना चाहिए और कलश की स्थापना के बाद उस स्थान की साफ सफाई का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए.'

आचार्य विजय कुमार ने कहा कि, 'जहां पर कलश स्थापित किया हो वहां पर शौचालय या बाथरूम आसपास नहीं होना चाहिए और कलश को अपवित्र हाथों से नहीं छूना चाहिए. इसके अलावा जब घर में कलश स्थापित किया हो तो उस घर को अकेला नहीं छोड़ा जाना चाहिए और कलश की भी नियमित रूप से पूजा अर्चना की जानी चाहिए. वहीं, कलश किसी भी रूप में खंडित नहीं होना चाहिए और नवरात्रि के बाद कलश में बोए गए जौ को विधिपूर्वक नदी में प्रवाहित करना चाहिए. इन सब बातों का भक्त को नवरात्रि के दौरान दौरान विशेष ध्यान रखना चाहिए, ताकि उन्हें मां दुर्गा की कृपा मिल सके.'

ये भी पढ़ें: सिरमौर में 50 साल बाद अनूठा यज्ञ, 5 क्विंटल फूलों से सजेगा शिव मंदिर, जानिए चूड़धार मंदिर और यज्ञ की खासियत - Shand Mahayagya

कुल्लू: मां दुर्गा को समर्पित शारदीय नवरात्रि इस साल 3 अक्टूबर से शुरू होगी और इसका समापन 11 अक्टूबर को किया जाएगा. भक्त नौ दिनों तक मां दुर्गा की आराधना करेंगे. वहीं, इस नवरात्रों के दौरान माता दुर्गा की पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि और धन-धान्य में भी वृद्धि होती है. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना भी की जाती है और कलश स्थापना से भक्तों की हर मनोकामना भी पूरी होती है.

सनातन धर्म के अनुसार कलश को ब्रह्मा विष्णु महेश्वर और मातृगण का निवास बताया गया और इसकी स्थापना करने से भक्त को शुभ परिणाम की प्राप्ति होती है. नवरात्रि के पहले दिन योग के साथ-साथ हस्त नक्षत्र का भी योग रहेगा, जो कलश स्थापना के लिए काफी शुभ माना गया है.

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

आचार्य आशीष शर्मा का कहना है कि, 'अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 3 अक्टूबर को सुबह 12:19 पर होगा तथा इस का समापन 4 अक्टूबर को सुबह 2:58 पर होगा. ऐसे में हिंदू पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना के लिए भी दो शुभ मुहूर्त हैं. कलश स्थापना के लिए पहले शुभ मुहूर्त सुबह 6:19 से लेकर 7:23 तक रहेगा. इसके अलावा दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर के समय 11:40 से लेकर दोपहर 12: 33 मिनट तक रहेगा. इन दोनों समय में भक्त अपने घर में कलश की स्थापना कर सकते हैं.'

कलश पूजा विधि

आचार्य आशीष शर्मा ने बताया कि, 'कलश स्थापना करने से पहले एक मिट्टी के पात्र को लें और साफ थाली लेकर थोड़ी सी मिट्टी कलश में डाल दें. कलश में जौ के बीज डालकर पानी का छिड़काव करें. इसके बाद तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और उसके ऊपरी भाग में मौली बांध दें. उस लोटे में साफ जल के साथ गंगाजल दूब अक्षत सुपारी और कुछ पैसे रख दें और इसे पीपल या आम की पत्तियों से भी सजाएं. तांबे के लोटे के ऊपर एक पानी वाले नारियल को लाल चुनरी में लपेटकर मौली से बांध दें और इस नारियल को कलश के बीच में रख दें. ऐसे में माता रानी के 9 दिनों तक मंत्रों का जाप करें, जिससे मां दुर्गा प्रसन्न होकर भक्तों को सुख समृद्धि का वरदान देती है.'

इन बातों का रखें ध्यान

कलश स्थापना के दौरान उन्हें कुछ विशेष बातों का भी ध्यान रखना चाहिए, ताकि मां दुर्गा नाराज ना हो सके. आचार्य विजय कुमार का कहना है कि, 'कलश स्थापना के साथ ही मां दुर्गा घर में विराजमान हो जाती हैं और कलश को भी मां दुर्गा का ही स्वरूप माना जाता है. ऐसे में कलश में कभी भी गंदी मिट्टी और गंदे पानी का प्रयोग ना करें. अगर घर में कलश की स्थापना एक बार कर दी जाए तो उसे 9 दिनों तक नहीं हिलाना चाहिए और कलश की स्थापना के बाद उस स्थान की साफ सफाई का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए.'

आचार्य विजय कुमार ने कहा कि, 'जहां पर कलश स्थापित किया हो वहां पर शौचालय या बाथरूम आसपास नहीं होना चाहिए और कलश को अपवित्र हाथों से नहीं छूना चाहिए. इसके अलावा जब घर में कलश स्थापित किया हो तो उस घर को अकेला नहीं छोड़ा जाना चाहिए और कलश की भी नियमित रूप से पूजा अर्चना की जानी चाहिए. वहीं, कलश किसी भी रूप में खंडित नहीं होना चाहिए और नवरात्रि के बाद कलश में बोए गए जौ को विधिपूर्वक नदी में प्रवाहित करना चाहिए. इन सब बातों का भक्त को नवरात्रि के दौरान दौरान विशेष ध्यान रखना चाहिए, ताकि उन्हें मां दुर्गा की कृपा मिल सके.'

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