पटना : 'कहते हैं अगर किसी चीज को दिल से चाहो, तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है'. शाहरुख खान के ऊपर दर्शाया गया यह सीन लोगों के मन में बैठा हुआ है. कुछ इसी तरह की चाहत बीजेपी एमएलए श्रेयसी सिंह ने की थी.
'उधार की राइफल से..' : आज हम जिस श्रेयसी सिंह को विश्व पटल पर देखते हैं, उन्होंने कभी उधार की राइफल से पहला निशाना लगाया था. अभी राजनीति को अपना पहला प्यार बताने वाली श्रेयसी सिंह कभी शूटिंग को पहला प्यार कहती थी. ईटीवी भारत से खास बातचीत में श्रेयसी ने अपने सफर को साझा किया.
राजनीतिक घराने से श्रेयसी का ताल्लुक : राजनेता के परिवार में जन्मीं श्रेयसी सिंह के पिता दिग्विजय सिंह भारतीय राजनीति के पुरोधा माने जाते थे. केन्द्रीय मंत्री रह चुके दिग्विजय सिंह का जब निधन हुआ तो पत्नी पुतुल देवी ने विरासत को संभाला. लोगों ने भी उन्हें संसद तक पहुंचाया.
2020 में जमुई से बनीं विधायक : जमुई के लोगों का प्यार देखिए, जब पुतुल देवी ने अपनी बेटी को राजनीति में उतारा तो खुलकर समर्थन किया. 2020 में श्रेयसी सिंह बीजेपी की टिकट पर विधानसभा पहुंची. विधानसभा में वह पुख्ता तौर पर अपनी बातों को रखती हैं. हालांकि अपने पहले प्यार (शूटिंग) को नहीं भूलती.
'मेरे पिताजी मेरे प्रेरणाश्रोत' : ईटीवी भारत से खास बातचीत में श्रेयसी सिंह ने कहा कि वैसे तो मेरे पिता हमेशा मेरे साथ खड़े रहते थे. पर जिंदगी में खुद से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी किया करते थे. इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि जिसके पिता नेशनल राइफल संगठन के अध्यक्ष हों उनकी बेटी सीनियर शूटर से बंदूक बोरो पर लेकर प्री नेशनल क्वालीफाई करे. उस उधार की बंदूक से मैंने नेशनल खेला और उसी उधार के बंदूक से नेशनल पदक भी जीता.
''पिताजी ने कहा था कि अपनी बंदूक खुद से खरीदना पड़ेगा. मेरे पास स्पॉन्सर नहीं थे. इसलिए मैंने उस उधार की बंदूक से अपना पहला कॉमनवेल्थ खेला. जब स्पॉन्सरशिप मिला तब मैंने अपना पहला बंदूक खरीदा था.''- श्रेयसी सिंह, बीजेपी विधायक
ललक और भूख ने मुझे और मजबूत किया : श्रेयसी कहती हैं कि ये सच हैं कि मैं एक रॉयल परिवार से ताल्लुक रखती हूं. पर मेरे पिता की सोच थी कि बच्चों को संघर्ष करना नहीं सिखाएंगे तो आगे कैसे बढ़ेंगे? यह पैसे की बात नहीं थी. मेरी ललक थी, भूख थी, मुझे जीतना है, अपना राइफल खरीदना है. इसी ललक और भूख ने मुझे और मजबूत किया. आखिरकार मैंने 2011 में अपनी बंदूक खरीदी और उसी से मैं प्रैक्टिस करती हूं.
'विधायक दीदी सुनना अच्छा लगता है' : श्रेयसी सिंह कहती हैं कि मेरे माता-पिता और जनता कि आशीर्वाद से ही मैं यहां तक पहुंची हूं. अच्छा लगता है जब छोटे-छोटे बच्चे मुझे विधायक दीदी कहते हैं. मुझे अपने क्षेत्र के विकास के लिए काफी कुछ करना है. उसके लिए मैं दिन-रात मेहनत करती रहती हूं. आगे भी यही करती रहूंगी.
ये भी पढ़ें :-
- 'हमारे लिऐ कोई हारकर नहीं, सब सीखकर आए हैं', श्रेयसी ने कुछ इस तरह PM मोदी की बातचीत को किया साझा - Shreyasi Singh
- राजेश्वरी कुमारी और श्रेयसी सिंह का सफर हुआ खत्म, महिलाओं के ट्रैप क्वालीफिकेशन में मिली हारी - Paris Olympics 2024
- Paris Olympics 2024 में आज निशाना साधेंगी BJP की MLA श्रेयसी सिंह, बिहार की बेटी से बड़ी उम्मीदें - Shreyasi Singh