जयपुर : हिंदू धर्म की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अंतिम संस्कार की क्रिया के बाद भी जब तक अस्थि विसर्जन का कार्य पूरा नहीं हो जाता, मोक्ष का काम अधूरा रहता है. राजधानी जयपुर में एक संस्था लापता और बेसहारा लोगों के लिए इस मोक्ष के मार्ग को तय करने का जरिया बन रही है. अब तक इस संस्था नहीं हजारों लोगों के अस्थि विसर्जन का काम पूरा किया है.
अस्थियों को हरिद्वार में विसर्जन : जयपुर में लावारिस और निराश्रित मृतकों की अस्थियों का विसर्जन करने के लिए श्रीनाथ गोशाला चैरिटेबल ट्रस्ट अस्थिया विसर्जन का काम कर रही है. श्रीनाथ गोशाला चैरिटेबल ट्रस्ट की अध्यक्ष संतोष जायसवाल ने बताया कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की अंत्येष्टि अनुदान योजना के तहत श्रीनाथ गोशाला चैरिटेबल ट्रस्ट निराश्रित लोगों के अंतिम संस्कार का काम कर रही है. साथ ही उनकी अस्थियों को हरिद्वार में विसर्जन का काम भी कर रहे हैं.
श्रीनाथ गोशाला चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से बहुत ही अच्छा काम किया जा रहा है. हमारी संस्कृति में जो काम परिजन करते हैं, उसे काम को संस्था के लोग मृतकों को अपना परिजन समझकर कर रहे हैं. लावारिस मृतकों की अस्थियों को करीब डेढ़ महीने तक रखकर इंतजार किया जाता है, लेकिन जब कोई लेने वाला नहीं आता, तो संस्था की ओर से उन अस्थियों का हरिद्वार में विसर्जन कर दिया जाता है. संस्कृति के अनुरूप संस्था के लोग परिजन बनकर विधि-विधान के साथ लावारिस अस्थियों का विसर्जन करते हैं. : मंजू शर्मा, जयपुर शहर सांसद
करीब 400 से ज्यादा अस्थियां विसर्जन के इंतजार में : संस्था की अध्यक्ष संतोष जायसवाल ने बताया कि लावारिस अस्थियों का विसर्जन का काम वर्ष 2011 से कर रहे हैं. संस्था 2018 में बनाई गई थी. संस्था बनने के बाद संस्था के माध्यम से यह कार्य किया जा रहा है. अब तक करीब 3300 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है. इस साल करीब 400 से ज्यादा अस्थियां विसर्जन का इंतजार कर रही हैं. विधि-विधान से क्रिया-कर्म करवाकर अस्थियों को गंगा नदी में विसर्जन किया जाएगा.