करौली. छोटे कद के लोग अपने आप को हीन भावना का शिकार समझ लेते हैं, और उनके साथ भेदभाव हमेशा से होता भी आया है. ईटीवी भारत आज आपको करौली के एक छोटे कद वाले व्यक्ति की कहानी बताने जा रहा है, जिसके कद के कारण जीवन में उसने कई समस्याओं का सामना किया. यहां तक कि उसके भाइयों ने भी उसका साथ छोड़ दिया, लेकिन इस बीच अब भी दुनिया में प्यार की कमी नहीं है. कुछ दोस्त बने और इन्हीं दोस्तों ने इस शख्स का बेहतर खयाल रखा. इस रिपोर्ट में जानिए उस छोटे कद वाले शख्स गजानंद की कहानी उसकी जुबानी.
पौने 3 फिट लंबाई, वजन 25 किलो : 35 वर्षीय गजानंद की पौने तीन फीट की लंबाई है और वजन सिर्फ 25 किलो. देखने में गजानंद चार-पांच साल के बच्चे की तरह नजर आता है. यह शारीरिक समस्या गजानंद को जन्म से ही है, जिसकी वजह से गजानंद को काफी मुश्किलों का सामना भी करना पड़ता है. अब तो नौबत यहां तक आ गई है कि परिवार ने भी गजानंद का साथ छोड़ दिया है. माता-पिता के गुजरने के बाद तीन भाइयों ने गजानंद को अकेले ही इस दुनिया में छोड़ दिया है. सरकारी सुविधाओं से महरूम गजानंद की पेंशन भी बंद हो गई है. बायोमेट्रिक में फिंगर प्रिंट नहीं लगने के कारण किसी भी प्रकार की सरकारी मदद भी नहीं मिल पा रही है.
नीरज के पवन गजानंद के दोस्त : ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए गजानंद ने बताया कि वह अब इस दुनिया में अकेला पड़ गया है. लगभग तीन वर्ष पूर्व मां-बाप गुजर गए. अब इस दुनिया में उसका कोई नहीं है. सिर्फ मेरे यार दोस्त ही मेरा ख्याल रखते हैं. आश्चर्य की बात यह है कि गजानंद के दोस्ती के किस्से भी खास हैं. गजानंद कद में जरूर छोटा है, लेकिन उसकी दोस्ती में पहुंच बड़े-बड़े लोगों तक है. गजानंद ने बताया कि उसके खास दोस्तों में वर्तमान में बांसवाड़ा में संभागीय आयुक्त और राजस्थान के चर्चित IAS अफसर नीरज के पवन हैं. एक बारगी तो ईटीवी भारत संवाददाता को भी इस बात का यकीन नहीं हुआ लेकिन जब ईटीवी भारत ने स्वयं IAS अफसर नीरज के पवन से बात की तो उन्होंने गजानंद के दोस्त होने की पुष्टि की. उन्होंने इस बीच गजानंद से फोन पर दोस्त की तरह ही बात की. उन्होंने उन्हें बांसवाड़ा आने का निमंत्रण भी दिया. गजानंद और आईएएस नीरज के पवन की ठेठ देशी बातों से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि चाहे भले ही कद उनका छोटा हो लेकिन इस दुनिया में उनके ख्याल रखने वाले बहुत लोग हैं. यहीं नहीं, गजानंद के साथ रहने वाले उनके दोस्त भानू प्रताप गुर्जर और रवि पाराशर भी उनसे हर दिन वीडियो कॉल पर बात करते हैं. बता दें कि भानू प्रताप गुर्जर आरक्षण समिति के एक बड़े नेता हैं.
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घर से निकल अब हनुमान मंदिर में ली शरण : गजानंद के माता-पिता की मौत के बाद भले ही भाइयों ने उनका साथ छोड़ दिया हो, लेकिन गजानंद ने करौली शहर के मासलपुर चुंगी के पास स्थित हनुमान जी मंदिर पर जाकर शरण ली है. खास बात यह है कि उन्होंने वहां भी कई सारे दोस्त बना लिए. वो जहां भी जाते हैं, दोस्ती की नई इबारत लिख देते हैं. ये दोस्त उनकी दैनिक चीजों के साथ स्वास्थ्य, खाना, रहने-ठहरने तक की व्यवस्थाओं का ध्यान रखते हैं. गजानंद को करौली में लोग मजाकिया अंदाज में 'सरपंच साहब' और 'वकील साहब' कहकर बुलाते हैं.
नहीं मिल रही है सरकारी मदद: गजानंद के करीबी मित्र रवि पाराशर ने बताया कि 2 साल पहले उनसे हनुमानजी मंदिर पर ही मुलाकात हुई थी. तब से ही वह घर के सदस्य की तरह रहते हैं. फिलहाल गजानंद हनुमान मंदिर के पास सटेमा स्थित बटरू नेताजी के मकान पर रहकर अपना जीवन व्यतित कर रहे हैं. सरकारी मदद के सवाल पर गजानंद का कहना है कि पहले पेंशन मिल रही थी. यह पेंशन गजानंद के लिए आईएएस नीरज के पवन ने करौली कलेक्टर रहते हुए शुरू करवाई थी, लेकिन फिंगर प्रिंट नहीं आने की वजह से अब पेंशन और ना ही कोई सरकारी सुविधा मिल पा रही है. अब गजानंद ने ईटीवी भारत के माध्यम से राजस्थान सरकार से गुहार लगाई है कि उन्हें सभी प्रकार की सरकारी सुविधाओं का लाभ मिले. साथ ही, ईटीवी भारत अपने दर्शकों से अपील करना चाहता कि आपके आस-पास भी अगर छोटे कद के व्यक्ति हो तो उनको देखकर चौंकने के बजाय उनके साथ सामान्य व्यवहार करें. उनसे बात करें, उनकी समस्याओं को सुनें ताकि वो हीन भावना का शिकार न हो.