शिमला: राजधानी शिमला के एक वकील पर हमला करने वाले चार दोषियों को जिला अदालत ने जेल व मुआवजे की सजा सुनाई है. जिला अदालत शिमला ने दोषियों को साढ़े तीन साल के कठोर कारावास और 25 हजार रुपए मुआवजा अदा करने के आदेश दिए. एडिशनल सेशन जज शिमला प्रवीण कुमार गर्ग की अदालत ने ये सजा सुनाई है. शिमला के समीप गांव बरमू के पुष्पेंद्र, नरेंद्र उर्फ नीनू व प्रदीप ठाकुर सहित केल्टी इलाके के वीरेंद्र ठाकुर उर्फ बिंदू के खिलाफ अभियोग साबित होने के बाद ये सजा सुनाई गई.
अभियोजन पक्ष के मुताबिक शिकायतकर्ता जितेंद्र ठाकुर वकालत का काम करता है. उसने यानी जितेंद्र ठाकुर ने पुलिस थाना शिमला सदर में शिकायत दर्ज करवाई थी कि 4 नवंबर 2012 को उसका और उसके भाई मोहन का प्रदीप, नरेंद्र, पुष्पेंद्र आदि अभियुक्तों के साथ विवाद हुआ था. विवाद के बाद अभियुक्तों ने उनकी पिटाई की. इसकी शिकायत शिमला सदर थाने में की गई. बाद में अगले दिन यानि 5 नवंबर 2012 को शाम करीब 6 बजे जब वह और उसका भाई अपनी-अपनी गाड़ियों से शिमला के भराड़ी के नजदीक अपने गांव बरमू जा रहे थे तो अपर केल्टी में चारों ने उनका रास्ता रोक पत्थरों, डंडों, लोहे की छड़ों इत्यादि से उन पर जानलेवा हमला कर दिया.
इसकी शिकायत पुलिस हेल्प लाइन के माध्यम से की गई थी. शिकायत में बताया गया कि हमले में 7-8 युवक शामिल थे, लेकिन वह उनके नाम नहीं जानते. आरोप था कि सभी हमलावरों ने उसे और उसके भाई को लात, घूंसों, रॉड, डंडों और पत्थरों से मारना शुरू कर दिया और गाड़ी के शीशे तोड़ दिए. उनकी कार पर रॉड और डंडों से हमला किया गया. एक मोटरसाइकिल को सड़क से नीचे फेंक दिया. उसके बाद आरोपी प्रदीप, तोशु, नीनू, बिंदू और अन्य लड़के मौके से भाग गए. इसके बाद इंद्र सिंह नामक शख्स ने शिकायतकर्ता और उसके भाई को अपनी कार में इलाज के लिए आईजीएमसी शिमला लाया.
जांच के दौरान शिकायतकर्ता और उसके भाई मोहन लाल ठाकुर का मेडिकल करवाया गया और एमएलसी (मेडिको लीगल केस) की प्रति ली गई. मोहन लाल ठाकुर की एमएलसी में कुछ चोटें जानलेवा पाई गई. मामले की गहन जांच के बाद अभियोजन पक्ष ने अभियुक्तों के खिलाफ अभियोग साबित करने के लिए 26 गवाह पेश किए थे. अभियोग साबित होने पर अदालत ने चारों दोषियों को कारावास और मुआवजा अदा करने की सजा सुनाई.