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नवरात्र का छठा दिन: मां कात्यायनी की आराधना, ये रही पूजा विधि, मंत्र, आरती समेत सारी जानकारी

नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की आराधना की जाती है. मां कात्यायनी विशेष रूप से युद्ध, शक्ति और विजय की देवी मानी जाती हैं.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 8, 2024, 6:12 AM IST

नई दिल्ली: शारदीय नवरात्र के इस पवित्र अवसर पर आज का दिन मां कात्यायनी को समर्पित है. नवरात्र, जिसे देवी शक्ति की आराधना का पर्व माना जाता है, हर साल मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करने का महत्वपूर्ण अवसर है. नवरात्र के प्रत्येक दिन विभिन्न देवी स्वरूपों की पूजा करके भक्त उन्हें श्रद्धा और भक्ति अर्पित करते हैं. मां कात्यायनी देवी दुर्गा की छठी अवतार मानी जाती हैं और इन्हें विशेष रूप से युद्ध, शक्ति और विजय की देवी के रूप में पूजा जाता है.

मां कात्यायनी का महात्म्य

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, ऋषि कात्यायन मां दुर्गा के भक्त थे. संतान प्राप्ति के लिए उन्होंने मां दुर्गा की कठोर तपस्या की. मां दुर्गा प्रसन्न होकर ऋषि कात्यायन के घर पुत्री के रूप में जन्म लेने का वरदान दियां. ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण ही देवी मां को मां कात्यायनी कहा जाता है. और उन्हीं की कृपा से भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज की गोपियों के हृदय में प्रवेश किया. इसके लिए गोपियों ने कालिंदी नदी के तट पर मां कात्यायनी की विशेष पूजा की थी.

पूजा विधि

शारदीय नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की विधि निम्नलिखित है.

  1. प्रभात काल: जल्दी सुबह उठकर, स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ सुथरे कपड़े पहने.
  2. सफाई: घर के मंदिर तथा पूजा स्थल की गंगाजल से शुद्धि करें.
  3. मूर्ति स्थापना: मां कात्यायनी की मूर्ति की स्थापना करें.
  4. दीप जलाना: मां के समक्ष घी का दीप जलाएं.
  5. पूजा का संकल्प: पूजा का संकल्प करें और मां को पुष्प, धूप, दीप, नवैद्य आदि चढ़ाएं। मां को पीले रंग के पुष्प अति प्रिय हैं.
  6. सप्तशती का पाठ: पूजा के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करें.
  7. आरती और भोग: पूजा की समाप्ति पर मां की आरती करें और उनके प्रिय भोग, जैसे शहद या शहद से बने पकवान अर्पित करें.
  8. प्रसाद वितरण: अंत में, सभी परिवार के सदस्यों को प्रसाद का वितरण करें.

पूजा का महत्व

मां कात्यायनी की आराधना से कई लाभ हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन की पूजा से सभी प्रकार की विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान होता है. युवतियों का मनपसंद वर मिलने की संभावना बढ़ जाती है. इसके अलावा, विवाह के मामलों में गति आती है और जीवन के अन्य क्षेत्रों में सफलताएं प्राप्त होती हैं. मां कात्यायनी की कृपा से आर्थिक समस्याओं का हल मिलता है और नए अवसर खुलते हैं.

मां कात्यायनी का मंत्र

जिन्हें मां कात्यायनी की आराधना करनी हो, वे निम्नलिखित मंत्र का जाप कर सकते हैं

ॐ देवी कात्यायन्यै नमः

मां कात्यायनी की आरती

माता कात्यायनी की आरती में भक्तजनों ने उनकी महिमा का बखान किया है, जिसमें उनकी कृपा और रक्षक स्वरूप का शब्दबद्ध आभार है. आरती के बोल इस प्रकार हैं

जय जय अम्बे जय कात्यायनी
जय जगमाता जग की महारानी
बैजनाथ स्थान तुम्हारा
वहा वरदाती नाम पुकारा
कई नाम है कई धाम है
यह स्थान भी तो सुखधाम है
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी
हर जगह उत्सव होते रहते
हर मंदिर में भगत हैं कहते
कत्यानी रक्षक काया की
ग्रंथि काटे मोह माया की
झूठे मोह से छुडाने वाली
अपना नाम जपाने वाली
बृहस्‍पतिवार को पूजा करिए
ध्यान कात्यायनी का धरिए
हर संकट को दूर करेगी
भंडारे भरपूर करेगी
जो भी मां को 'चमन' पुकारे
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।

Disclaimer: खबर धार्मिक मान्यताओं और जानकारी पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमन मिलने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लेना बेहद आवश्यक है. खबर केवल जानकारी के लिए है.

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मां कात्यायनी का महात्म्य

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, ऋषि कात्यायन मां दुर्गा के भक्त थे. संतान प्राप्ति के लिए उन्होंने मां दुर्गा की कठोर तपस्या की. मां दुर्गा प्रसन्न होकर ऋषि कात्यायन के घर पुत्री के रूप में जन्म लेने का वरदान दियां. ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण ही देवी मां को मां कात्यायनी कहा जाता है. और उन्हीं की कृपा से भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज की गोपियों के हृदय में प्रवेश किया. इसके लिए गोपियों ने कालिंदी नदी के तट पर मां कात्यायनी की विशेष पूजा की थी.

पूजा विधि

शारदीय नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की विधि निम्नलिखित है.

  1. प्रभात काल: जल्दी सुबह उठकर, स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ सुथरे कपड़े पहने.
  2. सफाई: घर के मंदिर तथा पूजा स्थल की गंगाजल से शुद्धि करें.
  3. मूर्ति स्थापना: मां कात्यायनी की मूर्ति की स्थापना करें.
  4. दीप जलाना: मां के समक्ष घी का दीप जलाएं.
  5. पूजा का संकल्प: पूजा का संकल्प करें और मां को पुष्प, धूप, दीप, नवैद्य आदि चढ़ाएं। मां को पीले रंग के पुष्प अति प्रिय हैं.
  6. सप्तशती का पाठ: पूजा के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करें.
  7. आरती और भोग: पूजा की समाप्ति पर मां की आरती करें और उनके प्रिय भोग, जैसे शहद या शहद से बने पकवान अर्पित करें.
  8. प्रसाद वितरण: अंत में, सभी परिवार के सदस्यों को प्रसाद का वितरण करें.

पूजा का महत्व

मां कात्यायनी की आराधना से कई लाभ हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन की पूजा से सभी प्रकार की विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान होता है. युवतियों का मनपसंद वर मिलने की संभावना बढ़ जाती है. इसके अलावा, विवाह के मामलों में गति आती है और जीवन के अन्य क्षेत्रों में सफलताएं प्राप्त होती हैं. मां कात्यायनी की कृपा से आर्थिक समस्याओं का हल मिलता है और नए अवसर खुलते हैं.

मां कात्यायनी का मंत्र

जिन्हें मां कात्यायनी की आराधना करनी हो, वे निम्नलिखित मंत्र का जाप कर सकते हैं

ॐ देवी कात्यायन्यै नमः

मां कात्यायनी की आरती

माता कात्यायनी की आरती में भक्तजनों ने उनकी महिमा का बखान किया है, जिसमें उनकी कृपा और रक्षक स्वरूप का शब्दबद्ध आभार है. आरती के बोल इस प्रकार हैं

जय जय अम्बे जय कात्यायनी
जय जगमाता जग की महारानी
बैजनाथ स्थान तुम्हारा
वहा वरदाती नाम पुकारा
कई नाम है कई धाम है
यह स्थान भी तो सुखधाम है
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी
हर जगह उत्सव होते रहते
हर मंदिर में भगत हैं कहते
कत्यानी रक्षक काया की
ग्रंथि काटे मोह माया की
झूठे मोह से छुडाने वाली
अपना नाम जपाने वाली
बृहस्‍पतिवार को पूजा करिए
ध्यान कात्यायनी का धरिए
हर संकट को दूर करेगी
भंडारे भरपूर करेगी
जो भी मां को 'चमन' पुकारे
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।

Disclaimer: खबर धार्मिक मान्यताओं और जानकारी पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमन मिलने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लेना बेहद आवश्यक है. खबर केवल जानकारी के लिए है.

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