शाजापुर। शहर की नई सड़क क्षेत्र में कपड़ों पर प्रेस कर अपने परिवार का गुजर-बसर करने वाले मुकेश वर्मा स्वंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के पहले कुछ ज्यादा ही व्यस्त हो जाते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इन दोनों ही राष्ट्रीय त्यौहारों पर मुकेश वर्मा और उनके परिवारजन जगह-जगह फहराये जाने वाले तिरंगों की नि:शुल्क प्रेस और धुलाई करते हैं. इस वर्ष 15 अगस्त पर शहरभर में फहराये जाने वाले छोटे-बड़े आकार के तिरंगे मुकेश की लॉन्ड्री पर पहुंच गए हैं.
50 साल से निरंतर कर रहे तिरंगे की हिफाजत
मुकेश बड़े ही सेवाभाव से इनकी हिफाजत करते हैं, धोते हैं, ड्राइक्लीन करते हैं और इस्त्री कर एकदम नया-नवेला रूप दे देते हैं. यह सेवा करीब 50 साल पहले उनके पुरखों ने शुरू की थी, जिनकी विरासत को वे आज भी जीवित रखे हुए हैं. तिरंगे की इस्त्री और ड्रायक्लीन के लिए मुकेश कोई शुल्क नहीं लेते. मुकेश कहते हैं "अपने देश के लिए मैं क्या इतना भी नहीं कर सकता." वहीं, देश प्रेम के प्रति उनकी इस सराहनीय पहल ने इस परिवार की शहरभर में अलग पहचान दिला दी है.
दादाजी और पिताजी से सीखी देश सेवा
मुकेश ने बताया "करीब 50 साल पहले दादाजी स्व. हरिनारायण वर्मा ने तिरंगे की ड्रायक्लीन व इस्त्री के माध्यम से देश सेवा की शुरुआत की थी. इसके बाद पिताजी स्व. राजेंद्र वर्मा ने इस रिवाज को जिंदा रखा. दादाजी और पिताजी को देखकर ही मेरे मन में भी देश सेवा की भावना आई. मन में कभी भी तिरंगे की ड्रायक्लीनिंग और प्रेस के बदले पैसे लेने का ख्याल नहीं आया."
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15 अगस्त पर प्रशासन ने किया था सम्मानित
मुकेश का कहना है "हमारा परिवार तीन पीढिय़ों से अपनी कला के माध्यम से देश सेवा कर रहा है, जो आगे भी इसी तरह जारी रहेगी. हर 15 अगस्त व 26 जनवरी को शहरभर के विभिन्न कार्यक्रमों में फहराये जाने वाले तिरंगे की ड्राइक्लीन, धुलाई व प्रेस करने का सौभाग्य मिलता आया है. इस काम को करने में हमें बहुत खुशी मिलती है. तिरंगे के प्रति नि:स्वार्थ भाव से की गई सेवा की बदौलत ही मेरे पिता स्व.राजेंद्र वर्मा को वर्ष 2016 में 15 अगस्त पर प्रशासन द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है."