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बिना खेत के करें मशरूम की खेती, किसान हो जाएंगे अमीर, बाजार में गजब डिमांड

कम संसाधन और बिना खेत के आप मशरूम की खेती कर सकते हैं. मशरूम की खेती से किसान लाखों कमा सकता है.

MUSHROOMS SOURCE OF INCOME
बिना खेत के करें मशरूम की खेती (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 8 hours ago

How to Farming mushrooms: वैसे तो खेती किसानी में कई फसल ऐसे होते हैं, जो आपको अच्छे पैसे कमा कर दे सकते हैं, लेकिन मशरूम की खेती भी ऐसी यूनिक खेती होती है. जिसमें ना खेत की जरूरत होती है, ना ज्यादा जगह की जरूरत होती है. इसे एक कमरे में भी कर सकते हैं. इसकी डिमांड भी बाजार में बहुत ज्यादा है, क्योंकि ये पोषक तत्वों का भंडार है. साथ ही ये फसल अच्छे पैसे भी देती है, क्योंकि महंगे दामों पर बिकता है.

मशरूम क्या है ?

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं की "मशरूम जो है एक तरह का खाद्य कवक है. जिसको फंगस बोलते हैं, इसमें क्लोरोफिल नहीं होता है. जिसके कारण यह अपना भोजन नहीं बना पाते हैं, ये सड़ी गली जो पत्तियां होती हैं, वहां से अपना भोज्य पदार्थ लेकर के अपना जीवन पूर्ण करते हैं. मशरूम दो तरह के होते हैं. एक हानिकारक भी होते हैं, जो जहरीले किस्म के होते हैं. दूसरा खाद युक्त होते हैं. जिसे प्राचीन काल से हमारे पूर्वज आदिवासी अंचल में निरंतर खाद्य पदार्थ के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं.

मशरूम की खेती के फायदे (ETV Bharat)

जंगलों से भी इसका कलेक्शन किया जाता है. इसको कई नाम से जाना जाता है. खुम्भ, मशरूम, पिहरी आदिवासी अंचल में बांस पिहरी हज भुन्डो पिहरी बोलते हैं. ये अलग-अलग नाम से जाना जाता है.

पौष्टिक गुणों का भंडार

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं की "ये पौष्टिक गुणों से पूर्ण होता है. इसमें सूखे मशरूम में प्रोटीन की बात करें तो 30 से 35% तक प्रोटीन होता है. वसा की मात्रा कम होती है. जिसके कारण हानिकारक कोलेस्ट्रॉल जो शरीर में उत्पन्न होते हैं. वो भी इसमें नहीं पाया जाता है. इसके अलावा इसमें कार्बोहाइड्रेट प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. आयरन, कोबाल्ट, जिंक, पोटेशियम की मात्रा सोडियम की मात्रा काफी ज्यादा होती है. विटामिन डी इसमें होता है. जिसके कारण आप देखते होंगे कि गर्भवती महिलाओं के लिए बूढ़े बुजुर्गों के लिए सभी वर्ग के लिए फायदेमंद होता है."

mushrooms source of income
ऐसे करें मशरूम की खेती (ETV Bharat)

सालभर कर सकते हैं मशरूम की खेती

कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि वर्तमान में इसकी खेती की जाने लगी है. इसकी खेती के लिए जमीन की आवश्यकता नहीं होती है. इसको आप किसी भी एक बंद कमरे में रख करके अलग-अलग जलवायु के अंतर्गत अलग-अलग तरीके के मशरूम की खेती साल भर आप कर सकते हैं.

मौसम के हिसाब से मशरूम की खेती

जैसे की अभी ठंड का मौसम है, तो ठंड के मौसम में तापमान लगभग 12 से 22 डिग्री के बीच तक होता है. इस अवस्था में बटन मशरूम की खेती की जाती है. सबसे अधिक बटन मशरूम की खेती हिमाचल, उत्तराखंड, पंजाब के क्षेत्र में की जाती है. इसके लिए तापमान 14 से 20 डिग्री 22 डिग्री लगता है. गर्मी के दिनों में दूधिया मशरूम की खेती की जाती है. जिसमें तापमान 35 से 40 डिग्री के आसपास होता है. इसके अलावा पैडी स्ट्रा मशरूम होता है, जो ओडिशा में हमारा कोस्टल एरिया वाले राज्य हैं. वहां पर जो धान की खेती बहुत ज्यादा होती है. जो धान का पैरा निकलता है, उस पर पैडी स्ट्रा मशरूम की खेती की जाती है.

Shahdol Mushroom Farmers Earn Lakh
मशरूम की खेती से किसानों को फायदा (ETV Bharat)

आयुर्वेद महत्व के मशरूम

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं कि आयुर्वेद में जड़ी बूटी, फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री में जिस मशरूम की आवश्यकता होती है, उसमें मुख्य रूप से सिटाके मशरूम है. जिसे मशरूम का राजा बोला जाता है. गायनोडर्मा मशरूम है. जिसको ऋषि मशरूम बोला जाता है. ये मुख्य रूप से आयुर्वेद में दवाइयां बनाने में इस्तेमाल किया जाता है. इसकी खेती मुख्य रूप से गर्मी के दिनों में लगभग 35 डिग्री तापमान में साल भर इसकी खेती लकड़ी के बुरादे पर करनी होती है.

किस मशरूम की खेती कैसे करें

इसी प्रकार खाने वाले मशरूम की बात करें तो साल भर जिस मशरूम की खेती की जा सकती है. उसको ओएस्ट्रा मशरूम, ढींगरी मशरूम बोला जाता है. इसके लिए जो मुख्य रूप से तापमान 25 से 40 डिग्री के बीच होता है, साल भर निरंतर इसकी खेती कर सकते हैं. इसको उगाने के लिए जो सब्सट्रेट की आवश्यकता होती है, बेस जिस पर उगाया जाता है. जैसे बटन मशरूम है. इसे उगाने के लिए हमें कंपोस्ट खाद बनाना होता है. इसी प्रकार अगर पैडी स्ट्रा मशरूम की खेती करनी होती है, तो इसके लिये धान का जो पैरा होता है. उसके ऊपर इसकी खेती की जाती है. अगर ओएस्टर मशरूम की बात करें तो ओएस्टर मशरूम के लिए हमारा जो गेहूं का भूसा होता है, उसके ऊपर इसकी खेती की जाती है.

कम लागत, अच्छी आमदनी

कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि इसमें लागत भी बहुत कम आता है. जैसे बटन मशरूम की बात करें इसका बाजार मूल्य लगभग 200 से ढाई सौ रुपए प्रति किलोग्राम तक होता है, ठंडी के दिनों में इसका विक्रय देखने को मिल जाएगा. इसी प्रकार से ओएस्टर मशरूम की बात करें जिसे ढींगरी मशरूम बोला जाता है. प्रति किलो डेढ़ सौ रुपए पर केजी इसका बाजार मूल्य है. इसी प्रकार सिटाके मशरूम की बात करें 40 से ₹50 प्रति केजी उपयोग किया जाता है, जो कि कैंसर के उपचार में भी इसका उपयोग किया जाता है.

How to Farming mushrooms: वैसे तो खेती किसानी में कई फसल ऐसे होते हैं, जो आपको अच्छे पैसे कमा कर दे सकते हैं, लेकिन मशरूम की खेती भी ऐसी यूनिक खेती होती है. जिसमें ना खेत की जरूरत होती है, ना ज्यादा जगह की जरूरत होती है. इसे एक कमरे में भी कर सकते हैं. इसकी डिमांड भी बाजार में बहुत ज्यादा है, क्योंकि ये पोषक तत्वों का भंडार है. साथ ही ये फसल अच्छे पैसे भी देती है, क्योंकि महंगे दामों पर बिकता है.

मशरूम क्या है ?

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं की "मशरूम जो है एक तरह का खाद्य कवक है. जिसको फंगस बोलते हैं, इसमें क्लोरोफिल नहीं होता है. जिसके कारण यह अपना भोजन नहीं बना पाते हैं, ये सड़ी गली जो पत्तियां होती हैं, वहां से अपना भोज्य पदार्थ लेकर के अपना जीवन पूर्ण करते हैं. मशरूम दो तरह के होते हैं. एक हानिकारक भी होते हैं, जो जहरीले किस्म के होते हैं. दूसरा खाद युक्त होते हैं. जिसे प्राचीन काल से हमारे पूर्वज आदिवासी अंचल में निरंतर खाद्य पदार्थ के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं.

मशरूम की खेती के फायदे (ETV Bharat)

जंगलों से भी इसका कलेक्शन किया जाता है. इसको कई नाम से जाना जाता है. खुम्भ, मशरूम, पिहरी आदिवासी अंचल में बांस पिहरी हज भुन्डो पिहरी बोलते हैं. ये अलग-अलग नाम से जाना जाता है.

पौष्टिक गुणों का भंडार

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं की "ये पौष्टिक गुणों से पूर्ण होता है. इसमें सूखे मशरूम में प्रोटीन की बात करें तो 30 से 35% तक प्रोटीन होता है. वसा की मात्रा कम होती है. जिसके कारण हानिकारक कोलेस्ट्रॉल जो शरीर में उत्पन्न होते हैं. वो भी इसमें नहीं पाया जाता है. इसके अलावा इसमें कार्बोहाइड्रेट प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. आयरन, कोबाल्ट, जिंक, पोटेशियम की मात्रा सोडियम की मात्रा काफी ज्यादा होती है. विटामिन डी इसमें होता है. जिसके कारण आप देखते होंगे कि गर्भवती महिलाओं के लिए बूढ़े बुजुर्गों के लिए सभी वर्ग के लिए फायदेमंद होता है."

mushrooms source of income
ऐसे करें मशरूम की खेती (ETV Bharat)

सालभर कर सकते हैं मशरूम की खेती

कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि वर्तमान में इसकी खेती की जाने लगी है. इसकी खेती के लिए जमीन की आवश्यकता नहीं होती है. इसको आप किसी भी एक बंद कमरे में रख करके अलग-अलग जलवायु के अंतर्गत अलग-अलग तरीके के मशरूम की खेती साल भर आप कर सकते हैं.

मौसम के हिसाब से मशरूम की खेती

जैसे की अभी ठंड का मौसम है, तो ठंड के मौसम में तापमान लगभग 12 से 22 डिग्री के बीच तक होता है. इस अवस्था में बटन मशरूम की खेती की जाती है. सबसे अधिक बटन मशरूम की खेती हिमाचल, उत्तराखंड, पंजाब के क्षेत्र में की जाती है. इसके लिए तापमान 14 से 20 डिग्री 22 डिग्री लगता है. गर्मी के दिनों में दूधिया मशरूम की खेती की जाती है. जिसमें तापमान 35 से 40 डिग्री के आसपास होता है. इसके अलावा पैडी स्ट्रा मशरूम होता है, जो ओडिशा में हमारा कोस्टल एरिया वाले राज्य हैं. वहां पर जो धान की खेती बहुत ज्यादा होती है. जो धान का पैरा निकलता है, उस पर पैडी स्ट्रा मशरूम की खेती की जाती है.

Shahdol Mushroom Farmers Earn Lakh
मशरूम की खेती से किसानों को फायदा (ETV Bharat)

आयुर्वेद महत्व के मशरूम

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं कि आयुर्वेद में जड़ी बूटी, फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री में जिस मशरूम की आवश्यकता होती है, उसमें मुख्य रूप से सिटाके मशरूम है. जिसे मशरूम का राजा बोला जाता है. गायनोडर्मा मशरूम है. जिसको ऋषि मशरूम बोला जाता है. ये मुख्य रूप से आयुर्वेद में दवाइयां बनाने में इस्तेमाल किया जाता है. इसकी खेती मुख्य रूप से गर्मी के दिनों में लगभग 35 डिग्री तापमान में साल भर इसकी खेती लकड़ी के बुरादे पर करनी होती है.

किस मशरूम की खेती कैसे करें

इसी प्रकार खाने वाले मशरूम की बात करें तो साल भर जिस मशरूम की खेती की जा सकती है. उसको ओएस्ट्रा मशरूम, ढींगरी मशरूम बोला जाता है. इसके लिए जो मुख्य रूप से तापमान 25 से 40 डिग्री के बीच होता है, साल भर निरंतर इसकी खेती कर सकते हैं. इसको उगाने के लिए जो सब्सट्रेट की आवश्यकता होती है, बेस जिस पर उगाया जाता है. जैसे बटन मशरूम है. इसे उगाने के लिए हमें कंपोस्ट खाद बनाना होता है. इसी प्रकार अगर पैडी स्ट्रा मशरूम की खेती करनी होती है, तो इसके लिये धान का जो पैरा होता है. उसके ऊपर इसकी खेती की जाती है. अगर ओएस्टर मशरूम की बात करें तो ओएस्टर मशरूम के लिए हमारा जो गेहूं का भूसा होता है, उसके ऊपर इसकी खेती की जाती है.

कम लागत, अच्छी आमदनी

कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि इसमें लागत भी बहुत कम आता है. जैसे बटन मशरूम की बात करें इसका बाजार मूल्य लगभग 200 से ढाई सौ रुपए प्रति किलोग्राम तक होता है, ठंडी के दिनों में इसका विक्रय देखने को मिल जाएगा. इसी प्रकार से ओएस्टर मशरूम की बात करें जिसे ढींगरी मशरूम बोला जाता है. प्रति किलो डेढ़ सौ रुपए पर केजी इसका बाजार मूल्य है. इसी प्रकार सिटाके मशरूम की बात करें 40 से ₹50 प्रति केजी उपयोग किया जाता है, जो कि कैंसर के उपचार में भी इसका उपयोग किया जाता है.

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