शहडोल। लोकसभा चुनाव में इस बार मध्य प्रदेश ने रिकॉर्ड बना दिया है. मतदाताओं ने भारतीय जनता पार्टी को 29 के 29 लोकसभा सीट में जीत दिलाई है. जिसके बाद से अब ये कयास लगाए जा रहे हैं कि मध्य प्रदेश को इसका इनाम भी मिल सकता है. कुछ नेताओं को मंत्री पद भी मिल सकता है. इस बीच मध्य प्रदेश के इस आदिवासी लोकसभा सीट से लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करने वाली इस आदिवासी महिला नेता को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
हिमाद्री सिंह दूसरी बार बनीं सांसद
भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी हिमाद्री सिंह ने एक बार फिर से इतिहास बनाते हुए लगातार दूसरी बार आदिवासी आरक्षित सीट शहडोल लोकसभा सीट से एक बड़ी जीत दर्ज की है. हिमाद्री सिंह ने कांग्रेस के फुंदेलाल सिंह मार्को को 3,97,340 वोट के बड़े अंतर से हराया है. हिमाद्री सिंह को जहां 7 लाख 1,143 वोट मिले हैं तो वहीं कांग्रेस के फुन्देलाल सिंह मार्को को 3,13,803 वोट मिले. हिमाद्री सिंह की इस बड़ी जीत से अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्षेत्र में उनकी पकड़ अब मजबूत बन चुकी है और भारतीय जनता पार्टी की एक मजबूत महिला आदिवासी युवा नेता भी बनकर उभरीं हैं.
पिता की राह पर बेटी
भाजपा नेता हिमाद्री सिंह की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है या यूं कहें कि किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. हिमाद्री सिंह के माता-पिता कट्टर कांग्रेसी रहे. हिमाद्री सिंह के पिता स्वर्गीय दलवीर सिंह शहडोल लोकसभा सीट से तीन बार सांसद रहे हैं, इतना ही नहीं एक बार उनकी मां भी राजेश नंदिनी शहडोल लोकसभा सीट से सांसद रह चुकी हैं. हिमाद्री सिंह के पिता कांग्रेस की टिकट से 1980, 1984 और 1991 में सांसद चुने गए थे. इस तरह से 3 बार कांग्रेस की टिकट पर शहडोल लोकसभा सीट से सांसद रहे. जिसमें से दो बार मंत्री भी रहे. पहली बार 1985 से 1989 तक शहरी विकास राज्य मंत्री इन्हें बनाया गया और दूसरी बार 1991 से 1993 तक वित्त राज्य मंत्री रहते हुए शहडोल को चमकाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
जिस तरह से तीन बार के अपने सांसद बनने के कार्यकाल में दलबीर सिंह दो बार मंत्री रहे ठीक उसी तरह अब यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि शहडोल लोकसभा सीट से पिता की राह पर चल रही उनकी बेटी भले ही बीजेपी से लगातार जीत दर्ज कर रही हैं, लेकिन अब उन्हें भी पिता की तरह किस्मत का साथ मिलेगा और मंत्री बनेंगी.
हिमाद्री की ऐसे बदली किस्मत
माता और पिता कट्टर कांग्रेसी रहे और एक दौर ऐसा भी था जब शहडोल लोकसभा सीट में इन दोनों ही नेताओं की तूती बोलती थी. दलबीर सिंह का एक अलग ही वर्चस्व था ऐसे में बेटी भला कैसे इतनी आसानी से पार्टी छोड़ सकती थीं. 2016 में जब शहडोल लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए तो उसमें कांग्रेस ने हिमाद्री सिंह को युवा नेता के तौर पर टिकट दिया था. उस चुनाव में हिमाद्री सिंह को मजबूत प्रत्याशी भी माना जा रहा था लेकिन आखिर में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. उसके बाद 2017 में हिमाद्री सिंह शादी के बाद भाजपा में शामिल हो गईं, जिसके साथ ही उनके राजनीतिक कैरियर ने भी एक नई उड़ान भरनी शुरू कर दी और वो सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ने लगीं. 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें बतौर प्रत्याशी टिकट भी दे दिया और हिमाद्री सिंह को एक बड़े अंतर से जीत भी मिली. जिसके बाद वो पहली बार सांसद बनीं और वहीं से उनका राजनीतिक कैरियर बदल गया.
32 साल की उम्र में बनीं थीं सांसद
हिमाद्री सिंह 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के साथ ही सांसद तो बन गई लेकिन वो एक ऐसी पहली महिला आदिवासी नेता भी बनीं जो महज 32 साल की उम्र में ही सांसद बनी, ये भी उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि थी. इतना ही नहीं अब 2024 के लोकसभा चुनाव में भी जीत हासिल करने के बाद हिमाद्री सिंह एक ऐसी आदिवासी महिला नेता बन चुकी हैं, जिन्होंने शहडोल लोकसभा सीट से लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की है, ये भी एक इतिहास है.
आदिवासी युवा महिला नेता का दावा मजबूत
जहां एक और लोकसभा चुनाव में 29 के 29 लोकसभा सीट मध्य प्रदेश से जीतने के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि इसका इनाम मध्य प्रदेश के नेताओं को मिल सकता है. ऐसे में शहडोल लोकसभा सीट की आदिवासी महिला नेता युवा सांसद हिमाद्री सिंह का भी दावा मजबूत माना जा रहा है. हिमाद्री सिंह युवा आदिवासी महिला नेता हैं साथ ही पढ़ी-लिखी भी हैं और लगातार दूसरी बार उन्होंने रिकार्ड मतों से जीत दर्ज की है. इसके बाद उन्हें इस बार कुछ बड़ी उपलब्धि मिल सकती है. आदिवासियों के बीच अपनी पकड़ को और मजबूत करने के लिए भारतीय जनता पार्टी इस युवा महिला आदिवासी नेता को आगे बढ़ा सकती है.