शहडोल (अखिलेश शुक्ला): ठंड का मौसम चल रहा है. इस सीजन में गोभी की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. गोभी एक ऐसी सब्जी है, जिसे शाही सब्जी भी माना जाता है. लोग इसको काफी पसंद भी करते हैं. इसी सीजन में ब्रोकली की भी खेती की जाती है. गोभी और ब्रोकली की खेती करने की विधि लगभग एक ही है. सर्दियों के मौसम में ब्रोकली की डिमांड अच्छी-खासी रहती है. जिससे यह किसानों को अच्छा मुनाफा भी दिला सकती है. कृषि वैज्ञानिक से जानते हैं ब्रोकली की खेती करने की विधि और इससे मिलने वाले लाभ के बारे में.
ब्रोकली किस तरह की सब्जी है
कृषि वैज्ञानिक डॉ. मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि "ब्रोकली भी गोभी के वर्ग की ही सब्जी है. इसकी खेती भी ठीक गोभी के जैसे की जाती है. इसकी खेती सामान्यत: सर्दियों के मौसम में की जाती है. ये हरे रंग की होती है, इसीलिए कई जगह इसे हरी गोभी भी कहा जाता है. ब्रोकली सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है. इसमें कई पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं, इसलिए इसकी डिमांड बहुत अधिक होती है.
हालांकि, इसका सेवन ज्यातार पैसे वाले लोग ही करते हैं. बांधवगढ़ में इसकी काफी अच्छी डिमांड हो सकती है, क्योंकि वहां देश-विदेश से पर्यटक आते हैं. गोभी की तुलना में ब्रोकली महंगी होती है, तो अगर यहां के किसान इसकी खेती करें तो उनकी अच्छी कमाई हो सकती है."
सेहत के लिए बहुत फायदेमंद
ब्रोकली स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती है. डॉ. मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि "ब्रोकली में बहुत सारे मिनरल्स जैसे एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन सी, विटामिन ए, पोटेशियम, कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इसको कच्चा भी खाया जा सकता है, लेकिन अगर इसको 2-3 मिनट भाप में पकाकर खाएं तो ज्यादा फायदेमंद होती है. ब्रोकली खाने से मेंटल स्ट्रेस में भी काफी फायदा मिलता है.
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कैसे करें इसकी खेती?
ब्रोकली की खेती को लेकर कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि "इसकी खेती सिर्फ सर्दियों में की जा सकती है. इसकी खेती के लिए शहडोल का मौसम उपयुक्त है. कुछ साल पहले हमने शहडोल में इसकी खेती शुरू की थी, पैदावार अच्छी है. ब्रोकली की खेती ठीक गोभी की खेती की तरह है.
इसे यूं कह सकते हैं कि इन दोनों में सिर्फ बीज का बदलाव रहता है. पहले इसकी नर्सरी तैयार करते हैं, जब नर्सरी एक महीने की हो जाती है, तो उसे गोभी की तरह दूसरी जगह लगा देते हैं. किसान भाईयों को ध्यान रखना है कि जहां वो इसकी खेती करना चाहते हैं, ध्यान रहे की वहां पानी का भराव न होता हो."