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हजार शिवलिंग से बना एक शिवलिंग, जानिए- सीहोर के सहस्त्रलिंगेश्वर मंदिर का इतिहास और महिमा - Sahastralingeshwar temple

सीहोर के सहस्त्रलिंगेश्वर मंदिर की महिमा निराली है. यहां हजार शिवलिंग से एक शिवलिंग बना है. सावन माह के दूसरे सोमवार को जलाभिषेक करने के लिए यहां शिव भक्त उमड़े. जानिए इस मंदिर का इतिहास और महिमा.

Sahastralingeshwar temple
सीहोर में हजार शिवलिंग से बना एक शिवलिंग (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 29, 2024, 10:02 AM IST

सीहोर। सीहोर के बढियाखेड़ी में सहस्त्रलिंगम महादेव मंदिर करीब 300 साल से अधिक पुराना है. इस मंदिर में हजार शिवलिंग से बना एक शिवलिंग विराजित हैं. वैसे तो यहां महाशिवरात्रि में विशेष पूजा होती है. लेकिन सावन सोमवार को भी यहां दूर-दूर से भोले के भक्त पूजा-पाठ करने आते हैं. सावन माह के दूसरे सोमवार को भी सुबह से भक्त मंदिर पहुंचे. शिवभक्तों ने भोलेनाथ का जलाभिषेक किया.

सावन सोमवार को सहस्त्रलिंगेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना (ETV BHARAT)

सहस्त्रलिंगम शिवलिंग सीवन नदी से निकला

मान्यता है कि मंदिर में जो शिवलिंग स्थापित है, वह सीवन नदी से निकला है. इस स्वयंभू शिवलिंग के लिए नदी किनारे ही मंदिर का निर्माण कराया गया. इस शिवलिंग में एक हजार शिवलिंग समाहित हैं. यही कारण है कि इस शिवलिंग का नाम सहस्त्रलिंगम महादेव है. बताया जाता है कि सहस्त्रलिंगेश्वर जैसे पूरे देश में केवल 3 मंदिर हैं. इस मंदिर की प्रसिद्धि दूर-दूर तक है. मान्यता है कि शिवलिंग के दर्शन मात्र से सारी समस्याएं और कष्ट दूर हो जाते हैं. सावम मास में यहां विशेष पूजा का आयोजन भी होता है.

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शिवलिंग को तांबे से सुसज्जित कर स्थापित किया

मंदिर में स्थापित शिवलिंग का नाम सहस्त्रलिंगेश्वर है. इन छोटे शिवलिंग को बड़े शिवलिंग पर आसानी से देखा जा सकता है. ये शिवलिंग नदी की खुदाई से निकला है और इसकी पहचान कई साल पुरानी बताई जाती है. मंदिर में शिवलिंग की स्थापना के समय शिवलिंग को तांबे से सुसज्जित कर स्थापित किया गया. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि अंग्रेजों के समय पास में ही सीवन नदी में खुदाई हो रही थी, तभी ये शिवलिंग मिला. यहां महाशिवरात्रि और सावन माह में शिवलिंग के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.

सीहोर। सीहोर के बढियाखेड़ी में सहस्त्रलिंगम महादेव मंदिर करीब 300 साल से अधिक पुराना है. इस मंदिर में हजार शिवलिंग से बना एक शिवलिंग विराजित हैं. वैसे तो यहां महाशिवरात्रि में विशेष पूजा होती है. लेकिन सावन सोमवार को भी यहां दूर-दूर से भोले के भक्त पूजा-पाठ करने आते हैं. सावन माह के दूसरे सोमवार को भी सुबह से भक्त मंदिर पहुंचे. शिवभक्तों ने भोलेनाथ का जलाभिषेक किया.

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सहस्त्रलिंगम शिवलिंग सीवन नदी से निकला

मान्यता है कि मंदिर में जो शिवलिंग स्थापित है, वह सीवन नदी से निकला है. इस स्वयंभू शिवलिंग के लिए नदी किनारे ही मंदिर का निर्माण कराया गया. इस शिवलिंग में एक हजार शिवलिंग समाहित हैं. यही कारण है कि इस शिवलिंग का नाम सहस्त्रलिंगम महादेव है. बताया जाता है कि सहस्त्रलिंगेश्वर जैसे पूरे देश में केवल 3 मंदिर हैं. इस मंदिर की प्रसिद्धि दूर-दूर तक है. मान्यता है कि शिवलिंग के दर्शन मात्र से सारी समस्याएं और कष्ट दूर हो जाते हैं. सावम मास में यहां विशेष पूजा का आयोजन भी होता है.

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शिवलिंग को तांबे से सुसज्जित कर स्थापित किया

मंदिर में स्थापित शिवलिंग का नाम सहस्त्रलिंगेश्वर है. इन छोटे शिवलिंग को बड़े शिवलिंग पर आसानी से देखा जा सकता है. ये शिवलिंग नदी की खुदाई से निकला है और इसकी पहचान कई साल पुरानी बताई जाती है. मंदिर में शिवलिंग की स्थापना के समय शिवलिंग को तांबे से सुसज्जित कर स्थापित किया गया. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि अंग्रेजों के समय पास में ही सीवन नदी में खुदाई हो रही थी, तभी ये शिवलिंग मिला. यहां महाशिवरात्रि और सावन माह में शिवलिंग के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.

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