भोपाल। कांग्रेस में महाराज की कैपेसिटी में रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया क्या वाकई बीजेपी में जाकर जमीनी हो गए हैं. सवाल उठ रहे हैं कि क्या वाकई उन्होंने अपनी राजनीति का अंदाज सिरे से बदल लिया है. इसकी तस्दीक पिछले दिनों एक भागवत कथा के दौरान हुई. देश की प्रख्यात कथा वाचक देवी हेमलता शास्त्री ने क्यों कहा कि सिंधिया में है नेतृत्व की क्षमता. पढ़िए देवी हेमलता शास्त्री सिंधिया के किस गुण से अभिभूत हो गईं.
कथा सुनने गए सिंधिया का अलग अंदाज
भागवत कथा के बीच में कथावाचक देवी हेमलता शास्त्री ने मंच से केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की भरपूर प्रशंसा की. आखिर ऐसा क्या हुआ कि कथावाचक हेमलता शास्त्री को ज्योतिरादित्य सिंधिया की तारीफ करने मजबूर होना पड़ा. असल में पूरा वाकया उनकी कथा के दौरान का ही है. इस कथा को सुनने सिंधिया भी पहुंचे थे, लेकिन किसी विशिष्ट अतिथि बतौर नहीं बल्कि सामान्य भक्त बनकर पहुंचे थे. जनता के बीच जैसे आम लोग बैठे थे, उन्हीं के बीच में सिंधिया ने भी अपनी बैठक जमाई थी. जब सिंधिया को जनता के बीच बैठे कथा वाचक देवी हेमलता शास्त्री ने देखा तो उनसे रहा नहीं गया. उन्होंने मिसाल दे डाली की जमीनी नेता कैसा होता है.
सिंधिया के लिए क्यों कहा मुश्किल है बड़े होकर बड़ा बना रहना
कथावाचर हेमलता शास्त्री ने जब सिंधिया को कथा सुनते देखा और वो भी जनता के बीच में बैठे हुए, तो उनसे रहा नहीं गया. उन्होंने सिंधिया को भारत माता का सच्चा सपूत कहा. हेमलता शास्त्री ने कहा कि भारत माता के सपूत को ऐसा ही होना चाहिए. उन्होंने कहा कि जो नेता आपके बीच में सामान्य व्यक्ति बनकर बैठ सकता है, वही नेतृत्व करने के योग्य है. इसलिए एक बार भाव से आप सम्मान सहित तालियां बजाइए. इसलिए क्योंकि ऊंचे पदों पर बैठना और बैठकर सहज होना, ये भगवान की कृपा ही है. ईश्वर की कृपा ही होती है. उन्होंने कहा कि बहुत मुश्किल है बड़े होकर बड़ा रहना.
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सिंधिया के संगत में लौटे केपी यादव
इस धार्मिक समागम की खासियत ये भी थी कि इसमें अर्से बाद सिंधिया के बगलगीर होकर बैठे केपी यादव भी दिखाई दिए. वहीं केपी यादव जिन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में सिंधिया को हरा दिया था. वही हार आगे चलकर सिंधिया के दलबदल की वजह बनी.