कोटा. दशहरा मैदान में आत्मनिर्भर भारत उत्सव के तहत हस्तशिल्प प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है. प्रदर्शनी 3 फरवरी से 8 फरवरी तक चलेगी, जिसमें रविवार को साड़ी वॉकथॉन आयोजित की गई. केंद्रीय वस्त्र एवं रेल राज्य मंत्री दर्शना जरदोष कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंची और हरी झंडी दिखाकर वॉकथॉन रवाना किया. केंद्रीय राज्य मंत्री ने खुद भी इस वॉकथॉन में हिस्सा लिया और पैदल चलीं. इसके पहले दशहरा मैदान के विजय श्री रंगमंच पर कार्यक्रम भी आयोजित हुआ, जिसमें प्रदेश के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर, ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर, विधायक संदीप शर्मा, कल्पना देवी लमेत कई नेता मौजूद रहे. स्पीकर ओम बिरला ने वर्चुअल जुड़कर इस कार्यक्रम को संबोधित किया.
दर्शना जरदोष ने कहा कि भारत में हैंडलूम हैंडलिंग क्राफ्ट से सबसे ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं. इस कार्यक्रम को लेकर हमारी थीम थी कि वॉक पर हम सेल्फ खुद के लिए चलें, और संस्कृति को साथ लेकर चलें. दर्शना जरदोष ने कहा कि लोगों में बहुत उत्साह है, अपने पारंपरिक परिवेश में भारत की अलग पहचान साड़ी पहनकर अपने लिए चलते हुए.
हम सबको मिलकर काम करना है : केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वर्तमान में अमृतकाल चल रहा है और 2047 तक भारत को विश्व गुरु और विकसित देश के रूप में स्थापित करना हमारी प्राथमिकता है. इन 25 सालों में हम सबको मिलकर काम करना है. महिलाओं को भी 33 फीसदी आरक्षण दिया गया है. राम मंदिर निर्माण के बाद सनातन धर्म और हमारी संस्कृति को लेकर हम साथ चल रहे हैं. चुनाव के बारे में सवाल पूछने पर उन्होंने कहा कि चुनाव आते-जाते रहते हैं, हम प्रजा के बीच में उन्हें एक अलग स्तर पर ले जाने के लिए काम कर रहे हैं.
साड़ी वॉकथॉन में नजर आया हर तरह का रंग : साड़ी वॉकथॉन में हजारों की संख्या में महिलाएं शामिल हुईं, कई जगह पर उन पर पुष्प वर्षा की गई. वॉकथॉन में अलग-अलग तरह से महिलाएं साड़ी पहन कर पहुंचीं. कोई झांसी की रानी बनकर पहुंची, तो कोई हाड़ी रानी, तो कोई पद्मावती, किसी ने मराठी स्टाइल में साड़ी बांधी थी, तो किसी ने मेवाड़ी स्टाइल से साड़ी पहनी थी.
15 राज्यों के बुनकर व हस्तशिल्पियों की प्रदर्शनी : लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की पहल पर यह प्रदर्शनी भारत के विभिन्न प्रदेशों की संस्कृति और परम्पराओं से देशवासियों को परिचित करवाने के लिए आयोजित की गई, इसमें जम्मू-कश्मीर, हरियाण, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, आंध प्रदेश समेत 15 राज्यों के बुनकर और हस्तशिल्पी पहुंचे हैं. बुनकरों ने जहां हस्तनिर्मित साड़ियां, चादरें, सूट, दुपट्टे, स्टोल, शाॅल, कपड़े आदि तो वहीं हस्तशिल्पियों ने भी सजावटी आभूषण, जूट से बने पर्दे, थैले, जोधपुरी मोजड़ी व अन्य उत्पाद प्रदर्शित किए हैं.