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नवनिर्मित कोठी में विराजमान हुए सराज के आराध्य देव सुमूनाग नगलवाणी, काष्ठ शैली का बेजोड़ नमूना है देवता की कोठी - Saraj Devta New Temple - SARAJ DEVTA NEW TEMPLE

Dev Sumunag Nagalvani Temple: सराज क्षेत्र के आराध्य देव सुमूनाग एवं नगलवाणी अपने नए मंदिर में विराजमान हो गए हैं. देवता की नव निर्मित कोठी लाखों रुपयों की लागत से बनी है, जिसके लिए देवता के श्रद्धालुओं ने ही पैसा और श्रमदान दिया है.

Saraj Devta Sumunag Nagalvani New Temple
सराज के आराध्य देवता सुमूनाग नगलवाणी का नया मंदिर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jun 11, 2024, 1:05 PM IST

सराज: समुद्रतल से करीब आठ हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित सराज क्षेत्र के आराध्य देव सुमूनाग एवं नगलवाणी अपने नए मंदिर में विराजमान हुए. देवता के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य करीब पांच साल के अथक परिश्रम के बाद पूरा किया गया. बता दें कि सराज घाटी के आराध्य देव सुमूनाग जिन्हें शेषनाग स्वरूप में माना जाता है और नगलवाणी जिन्हें शिव स्वरूप में माना जाता है, शनिवार शाम नई कोठी में विराजमान किया गया. ये कोठी लाखों की लागत से पहाड़ी शैली में बनाई गई है.

शनिवार शाम को देवता के कुल पुरोहित ने मंत्रोच्चारण करते हुए देव सुमूनाग नगलवाणी को नव निर्मित कोठी में विराजमान करवाया. जिसके बाद हजारों लोगों ने देवता के पास हाजिरी लगाई और चावल के दाने के रूप में देवता से पूछ डाली. देवता का नया मंदिर लाखों की लागत से चार साल के अथक प्रयासों के बाद बनकर तैयार हुआ है. जिसमें सराज के लोगों ने बढ़-चढ़कर कर भाग लिया. हालांकि कोरोना काल के समय में मंदिर निर्माण कुछ दिनों तक बंद रहा था, लेकिन उसके बाद मंदिर का काम लगातार चलता रहा.

Saraj Devta Sumunag Nagalvani New Temple
सुमूनाग नगलवाणी मंदिर की काष्ठ कला (ETV Bharat)

लोगों ने दिया देवता की हार के लिए पैसा और श्रमदान

देवता कमेटी के अध्यक्ष हेतराम ठाकुर ने बताया कि मंदिर निर्माण के लिए देवलुओं ने देवता की हार के लिए अपनी ऐच्छिक निधि से पैसा दिया और श्रमदान भी किया है. उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण मई 2019 में शुरू हुआ था जो कि कुछ समय पहले ही संपन्न हुआ है. देव सुमूनाग गूर मोहर सिंह ठाकुर ने बताया कि सराज और बाहर से देवता के पास आने वाले श्रद्धालुओं ने निस्वार्थ मन से मंदिर निर्माण के लिए अपना योगदान दिया है. उन्होंने बताया कि दोनों देवता अपनी नव निर्मित कोठी पर विराजमान हो गए हैं.

25 देथलों को दिया था निमंत्रण

देवता की कोठी की प्रतिष्ठा के सफल आयोजन के बाद रविवार को सामूहिक धाम का आयोजन किया गया. इस दौरान 10 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं को धाम खिलाई गई. जिसके बाद श्रद्धालुओं ने देवता से आशीर्वाद प्राप्त किया. बता दें कि सराज के करीब 25 देथलों को कमेटी की ओर से निमंत्रण भेजा गया था.

Saraj Devta Sumunag Nagalvani New Temple
सराज में देवता के दर्शनों के लिए आए श्रद्धालु (ETV Bharat)

देव सुमूनाग एवं नगलवाणी के गूर ने बताया कि देवता की उत्पति के बारे में कोई लिखित प्रमाण नहीं है. माना जाता है यह उत्तराखंड के गढ़वाल से आए थे. जिसके कारण इनका नाम गढ़वालू पड़ा. सराज के बुजुर्गों की मानें तो देवता सुमूनाग एवं नगलवाणी लोगों के दुखों का निवारण करते हैं और इन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है.

काष्ठशिल्प का बेजोड़ नमूना है देवता की कोठी

देवता की नवनिर्मित कोठी में करीब 10 देवदार के पेड़ों का उपयोग किया गया है. देवता की ये कोठी भव्य काष्ठ शैली का बेजोड़ नमूना है. कोठी में लगी लकड़ी में से अधिकांश पेड़ अन्य देव कमेटियों द्वारा दिए गए हैं.

ये भी पढ़ें: चमत्कार या संयोग! 15 साल पहले गुम हुए आदि ब्रह्मा देवता आए सामने, देवालय में देख चौंक गए श्रद्धालु

सराज: समुद्रतल से करीब आठ हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित सराज क्षेत्र के आराध्य देव सुमूनाग एवं नगलवाणी अपने नए मंदिर में विराजमान हुए. देवता के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य करीब पांच साल के अथक परिश्रम के बाद पूरा किया गया. बता दें कि सराज घाटी के आराध्य देव सुमूनाग जिन्हें शेषनाग स्वरूप में माना जाता है और नगलवाणी जिन्हें शिव स्वरूप में माना जाता है, शनिवार शाम नई कोठी में विराजमान किया गया. ये कोठी लाखों की लागत से पहाड़ी शैली में बनाई गई है.

शनिवार शाम को देवता के कुल पुरोहित ने मंत्रोच्चारण करते हुए देव सुमूनाग नगलवाणी को नव निर्मित कोठी में विराजमान करवाया. जिसके बाद हजारों लोगों ने देवता के पास हाजिरी लगाई और चावल के दाने के रूप में देवता से पूछ डाली. देवता का नया मंदिर लाखों की लागत से चार साल के अथक प्रयासों के बाद बनकर तैयार हुआ है. जिसमें सराज के लोगों ने बढ़-चढ़कर कर भाग लिया. हालांकि कोरोना काल के समय में मंदिर निर्माण कुछ दिनों तक बंद रहा था, लेकिन उसके बाद मंदिर का काम लगातार चलता रहा.

Saraj Devta Sumunag Nagalvani New Temple
सुमूनाग नगलवाणी मंदिर की काष्ठ कला (ETV Bharat)

लोगों ने दिया देवता की हार के लिए पैसा और श्रमदान

देवता कमेटी के अध्यक्ष हेतराम ठाकुर ने बताया कि मंदिर निर्माण के लिए देवलुओं ने देवता की हार के लिए अपनी ऐच्छिक निधि से पैसा दिया और श्रमदान भी किया है. उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण मई 2019 में शुरू हुआ था जो कि कुछ समय पहले ही संपन्न हुआ है. देव सुमूनाग गूर मोहर सिंह ठाकुर ने बताया कि सराज और बाहर से देवता के पास आने वाले श्रद्धालुओं ने निस्वार्थ मन से मंदिर निर्माण के लिए अपना योगदान दिया है. उन्होंने बताया कि दोनों देवता अपनी नव निर्मित कोठी पर विराजमान हो गए हैं.

25 देथलों को दिया था निमंत्रण

देवता की कोठी की प्रतिष्ठा के सफल आयोजन के बाद रविवार को सामूहिक धाम का आयोजन किया गया. इस दौरान 10 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं को धाम खिलाई गई. जिसके बाद श्रद्धालुओं ने देवता से आशीर्वाद प्राप्त किया. बता दें कि सराज के करीब 25 देथलों को कमेटी की ओर से निमंत्रण भेजा गया था.

Saraj Devta Sumunag Nagalvani New Temple
सराज में देवता के दर्शनों के लिए आए श्रद्धालु (ETV Bharat)

देव सुमूनाग एवं नगलवाणी के गूर ने बताया कि देवता की उत्पति के बारे में कोई लिखित प्रमाण नहीं है. माना जाता है यह उत्तराखंड के गढ़वाल से आए थे. जिसके कारण इनका नाम गढ़वालू पड़ा. सराज के बुजुर्गों की मानें तो देवता सुमूनाग एवं नगलवाणी लोगों के दुखों का निवारण करते हैं और इन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है.

काष्ठशिल्प का बेजोड़ नमूना है देवता की कोठी

देवता की नवनिर्मित कोठी में करीब 10 देवदार के पेड़ों का उपयोग किया गया है. देवता की ये कोठी भव्य काष्ठ शैली का बेजोड़ नमूना है. कोठी में लगी लकड़ी में से अधिकांश पेड़ अन्य देव कमेटियों द्वारा दिए गए हैं.

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