वाराणसीः संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में शास्त्री विषय में एडमिशन लेने की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं के लिए लिए अच्छी खबर है. अगर किसी छात्र ने इंटरमीडिएट में संस्कृत विषय की पढ़ाई नहीं की है तो भी वह विश्वविद्यालय में शास्त्री पाठ्यक्रम में एडमिशन ले सकता है. इससे पहले ऐसे विद्यार्थी, जिन्होंने संस्कृत विषय से इंटरमीडिएट में पढ़ाई नहीं की है वे शास्त्री पाठ्यक्रम में एडमिशन नहीं ले सकते थे. ऐसे में विश्वविद्यालय में संकायाध्यक्षों की बैठक में फैसला लेते हुए इस नियम को आसान बनाया गया है.
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में लगातार नए-नए बदलाव किए जा रहे हैं. सबसे बड़ा बदलाव शिक्षा प्रणाली को लेकर किया जा रहा है. विश्वविद्यालय में नए पाठ्यक्रमों की शुरुआत की गई है. इसमें आधुनिक तरीके से पठाई पर भी जोर दिया गया है. वहीं इस बीच शास्त्री विषय की पढ़ाई को लेकर भी बड़ा फैसला लिया गया है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने फैसला लिया है कि अब बिना संस्कृत विषय के इंटरमीडिएट पास हुए विद्यार्थी भी शास्त्री विषय में एडमिशन ले सकते हैं. इसको लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने नई गाइडलाइन तैयार की है.
बिना संस्कृत पास छात्र नहीं ले सकते थे एडमिशन
संस्कृत विश्वविद्यालय में एडमिशन लेने वाले विद्यार्थियों के लिए प्रवेश के लिए आवेदन की जो व्यवस्था थी अब वह बदल दी गई है. इससे पहले छात्र-छात्रा को इंटरमीडिएट में संस्कृत विषय की पढ़ाई करनी जरूरी थी. ऐसे में वे विद्यार्थी जो संस्कृत से इंटरमीडिएट पास नहीं थे वे एडमिशन नहीं ले सकते थे. शास्त्री पाठ्यक्रम में एडमिशन लेने के लिए संस्कृत विषय की अनिवार्यता थी. ऐसे में विश्वविद्यालय ने संकायाध्यक्षों की बैठक में इस नियम को अन्य विद्यार्थियों के लिए आसान करने का प्रस्ताव रखा है. इसके लिए एक समिति गठित की गई है.
प्रवेश की नई गाइडलाइन तैयार की गई
प्रो. राम किशोर त्रिपाठी की अध्यक्षता में गठित 6 सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट कुलपति को दे दी है. कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा का कहना है कि इस फैसले से विश्वविद्यालय में छात्रों की संख्या बढ़ेगी. इसके साथ ही अधिक से अधिक संख्या में छात्र एडमिशन लेने का मौका पा सकेंगे. इसको लेकर विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर एक रिपोर्ट भी अपलोड कर दी गई है, जिसमें जानकारी दी गई है. संस्कृत विषय की अनिवार्यता पर फैसला लेते हुए इस नियम को आसान करने के साथ ही नए सिरे से प्रवेश की गाइडलाइन तैयार की गई है.
इंटर में संस्कृत न पढ़ने वालों के लिए शास्त्री बनने का मौका, काशी का ये विश्वविद्यालय ले रहा एडमिशन - sampoornanand sanskrit university - SAMPOORNANAND SANSKRIT UNIVERSITY
इंटर में संस्कृत न पढ़ने वालों के लिए शास्त्री बनने का मौका हाथ से नहीं गया है. काशी का ये विश्वविद्यालय इस उपाधि के लिए ऐसे छात्रों के दाखिले ले रहा है.
By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : Apr 11, 2024, 10:08 AM IST
वाराणसीः संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में शास्त्री विषय में एडमिशन लेने की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं के लिए लिए अच्छी खबर है. अगर किसी छात्र ने इंटरमीडिएट में संस्कृत विषय की पढ़ाई नहीं की है तो भी वह विश्वविद्यालय में शास्त्री पाठ्यक्रम में एडमिशन ले सकता है. इससे पहले ऐसे विद्यार्थी, जिन्होंने संस्कृत विषय से इंटरमीडिएट में पढ़ाई नहीं की है वे शास्त्री पाठ्यक्रम में एडमिशन नहीं ले सकते थे. ऐसे में विश्वविद्यालय में संकायाध्यक्षों की बैठक में फैसला लेते हुए इस नियम को आसान बनाया गया है.
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में लगातार नए-नए बदलाव किए जा रहे हैं. सबसे बड़ा बदलाव शिक्षा प्रणाली को लेकर किया जा रहा है. विश्वविद्यालय में नए पाठ्यक्रमों की शुरुआत की गई है. इसमें आधुनिक तरीके से पठाई पर भी जोर दिया गया है. वहीं इस बीच शास्त्री विषय की पढ़ाई को लेकर भी बड़ा फैसला लिया गया है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने फैसला लिया है कि अब बिना संस्कृत विषय के इंटरमीडिएट पास हुए विद्यार्थी भी शास्त्री विषय में एडमिशन ले सकते हैं. इसको लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने नई गाइडलाइन तैयार की है.
बिना संस्कृत पास छात्र नहीं ले सकते थे एडमिशन
संस्कृत विश्वविद्यालय में एडमिशन लेने वाले विद्यार्थियों के लिए प्रवेश के लिए आवेदन की जो व्यवस्था थी अब वह बदल दी गई है. इससे पहले छात्र-छात्रा को इंटरमीडिएट में संस्कृत विषय की पढ़ाई करनी जरूरी थी. ऐसे में वे विद्यार्थी जो संस्कृत से इंटरमीडिएट पास नहीं थे वे एडमिशन नहीं ले सकते थे. शास्त्री पाठ्यक्रम में एडमिशन लेने के लिए संस्कृत विषय की अनिवार्यता थी. ऐसे में विश्वविद्यालय ने संकायाध्यक्षों की बैठक में इस नियम को अन्य विद्यार्थियों के लिए आसान करने का प्रस्ताव रखा है. इसके लिए एक समिति गठित की गई है.
प्रवेश की नई गाइडलाइन तैयार की गई
प्रो. राम किशोर त्रिपाठी की अध्यक्षता में गठित 6 सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट कुलपति को दे दी है. कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा का कहना है कि इस फैसले से विश्वविद्यालय में छात्रों की संख्या बढ़ेगी. इसके साथ ही अधिक से अधिक संख्या में छात्र एडमिशन लेने का मौका पा सकेंगे. इसको लेकर विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर एक रिपोर्ट भी अपलोड कर दी गई है, जिसमें जानकारी दी गई है. संस्कृत विषय की अनिवार्यता पर फैसला लेते हुए इस नियम को आसान करने के साथ ही नए सिरे से प्रवेश की गाइडलाइन तैयार की गई है.