देहरादून: सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता का आयोजन किया. इसी बीच उन्होंने अग्निपथ योजना को परिवर्तनकारी कदम बताते हुए कहा कि इस योजना के तहत युवाओं को अग्निवीर के तौर पर सशस्त्र बलों में सेवा करने का सुनहरा मौका मिल रहा है. तो वहीं, कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने पलटवार करते हुए अग्निवीर योजना को भाजपा की लुटिया डुबोना बताया है.
सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि 14 जून 2022 को घोषित अग्निपथ योजना में 17 से 21 साल की उम्र के युवाओं को चार सालों के लिए भर्ती करने का प्रावधान है, जिसमें 25 प्रतिशत अग्निवीरों को अगले 15 सालों तक रखा जाएगा. अग्निवीर जैसी योजनाएं यूरोप, अमेरिका और चीन जैसे देशों में लागू है और किसी भी आधुनिक सेना की मजबूती के लिए यह बेहद अहम कड़ी है. उन्होंने कहा कि अग्निपथ योजना के तहत अग्निवीरों की भर्ती पूरे देश में मैरिट के आधार पर संचालित है. योग्यता एवं संगठनात्मक आवश्यकता के आधार पर 04 साल के बाद कड़ी प्रक्रिया के जरिए 25 प्रतिशत अग्निवीरों का चयन होगा और भर्ती प्रक्रिया में कोई भी बदलाव नहीं होगा. इसमें कठोर सैन्य प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा.
गणेश जोशी ने कहा कि अग्निवीरों को पहाड़ों से लेकर रेगिस्तान तक के विभिन्न इलाकों में जल, थल और वायु में राष्ट्र सेवा का अवसर मिलेगा. अग्निवीरों के प्रथम वर्ष का वित्तीय पैकेज लगभग 4.76 लाख के साथ-साथ भत्ते और मासिक वेतन का 30 प्रतिशत अंशदान सेवा निधि का भी लाभ मिलेगा, जो कि 4 वर्षों के बाद लगभग 11.71 लाख रुपए होगा. यह धनराशि आयकर से भी मुक्त होगी. उन्होंने कहा कि सेवाकाल के दौरान कोई भी अग्निवीर शहीद हो जाता है, तो 44 लाख रुपए की अतिरिक्त अनुग्रह राशि दी जाएगी. इसके अतिरिक्त 48 लाख रुपए का गैर अंशदायी जीवन बीमा कवर भी प्रदान किया जाएगा. वहीं, अपंगता की स्थिति में चिकित्सा अधिकारियों द्वारा निर्धारित दिव्यांगता के प्रतिशत के आधार पर मुआवजा भी दिया जाएगा. साथ ही अग्निवीर का 4 साल का कार्यकाल पूरा होने पर वो सेवा निधि के हकदार होंगे.
कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि सेवा के बड़े-बड़े पदों पर रह चुके लोगों ने अग्निवीर योजना की कमियों को उजागर किया है. इसी अग्निवीर योजना से भाजपा की लुटिया डूब जाएगी. उन्होंने संसद में अग्निवीर योजना को लेकर कांग्रेस के नेताओं द्वारा दिए गए बयान पर कहा कि संसद के भीतर क्या कहा गया है और क्या नहीं, इसको लेकर संसद में बेहद ही बुद्धिजीवी लोग मौजूद हैं. ऐसे में वहां की कार्रवाई पर भाजपा को उत्तराखंड में बोलने की जरूरत नहीं है.
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