ETV Bharat / state

फागुन में 15 दिन ही खिलता है अंग्रेजों के साथ भारत आया ये फूल, टेसू-पलास नहीं ट्रंपेट गोल्डन ट्री की बहार - holi with natural colors

सागर यूनिवर्सिटी के वॉटनिकल गार्डन और सहोद्राबाई राय पॉलीटेक्निक में लगे विदेशी पेड़ों पर आजकल खूबसूरत पीले रंग के फूल लदे हैं. इन फूलों का इस्तेमाल होली खेलने के लिए रंग बनाने में इस्तेमाल होता है. इन पेड़ों पर ये फूल होली से पहले केवल 15 दिन के लिए लगते हैं.

sagar university botanical garden exotic tree flowers
सागर में इस विदेशी पेड़ के फूल होली को बनाते हैं रंगीन
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 23, 2024, 10:23 AM IST

Updated : Mar 23, 2024, 11:28 AM IST

सागर यूनिवर्सिटी के वनस्पति वैज्ञानिक डॉ राघवेंद्र सिंह

सागर। होली के त्यौहार में जितना रंगों को महत्व है, उतना ही महत्व फूलों का है. भले ही आज केमिकल युक्त रंग होली के त्यौहार में अपना कब्जा जमा चुके हैं. लेकिन आज भी लोग टेशू और दूसरे फूलों के साथ होली का त्यौहार मनाते हैं. एक और विदेशी पेड़ पर इन दिनों जमकर फूल आए हैं और इसका उपयोग हर्बल कलर के लिए किया जाता है. ये पेड़ मुख्यतः दक्षिण अमेरिका में पाया जाता है. ये पेड़ भारत में कम देखने को मिलता है. लेकिन सागर में यूनिवर्सिटी के वॉटनिकल गार्डन और सहोद्राबाई राय पॉलीटेक्निक में ये पेड़ लगा हुआ है. जिसके ऊपर पीले फूल छा गए हैं. जानकार बताते हैं कि ये पेड़ सिर्फ बसंत ऋतु में 10-15 दिनों के लिए फूलता है.

फूलों के खिलने का लोगों को बेसब्री से इंतजार

सागर यूनिवर्सिटी का वॉटनिकल गार्डन अपनी विरासत के लिए देशभर में जाना जाता है. इस गार्डन में दुनियाभर के पेड़-पौधे मिल जाएंगे. इसी गार्डन में इस सुनहरे पीले फूलों वाला ये पेड़ लगा हुआ है. जिसके फूलों के खिलने का इंतजार लोगों को बेसब्री से रहता है. इसके अलावा सागर के सहोद्राबाई राय पॉलीटेक्निक कॉलेज में भी दो पेड़ लगे हुए हैं. इस पेड़ पर साल में एक बार सिर्फ बसंत ऋतु में फूल आते हैं और नवरात्रि तक ये फूल खत्म हो जाते हैं. वैसे तो ये पौधा कई औषधीय गुणों से भरपूर है. लेकिन आजकल इसका उपयोग गार्डन की सजावट के लिए ज्यादा हो रहा है. इस फूल से हर्बल कलर भी बनाए जा सकते हैं. टेशू के फूलों के रंग के साथ इन शानदार पीले फूलों से होली को और भी रंगीन बनाया जा सकता है.

sagar university botanical garden exotic tree flowers
फूलों के खिलने का लोगों को बेसब्री से इंतजार

हिंदी में बसंतकुंज और अंग्रेजी में सिल्वर ट्रंपेट ट्री है फूल का नाम

सागर में इन दिनों जो पीले रंग का फूल एक विदेशी पेड़ पर देखा जा रहा है। इसका वानस्पतिक नाम Tabebuia aurea (तबेबुइया औरिया) है. ये पेड़ दक्षिण अमेरिका, ब्राजील और सूरीनाम देश में पाया जाता है. भारत में ये वेस्टर्न घाट में देखने मिलता है. सामान्य भाषा में tree of gold और silver trumpet tree कहते हैं. इसे हिंदी में बसंत कुंज भी कहते हैं और यह फैविसी कुल का पेड़ है. सामान्य तौर पर इसकी ऊंचाई 8 से 10 मीटर होती है और कहीं-कहीं 12 मीटर तक ऊंचाई देखने मिलती है. इस पेड़ की खासियत ये है कि सालभर में एक बार सिर्फ थोड़े से समय के लिए इसमें फूल आते हैं. पेड़ में बसंत ऋतु में फूल आते हैं. होली के आसपास देखने मिलते हैं और नवरात्रि तक समाप्त हो जाते हैं.

ये खबरें भी पढ़ें....

प्रसिद्ध शहनाई वादक की होली पर शानदार प्रस्तुति, 'मो पे डारो ना रंग गिरधारी' पर झूम उठे लोग - सागर में होली पर प्रस्तुति

होली पर सेलिब्रिटीज की तरह हो जाएं तैयार, मार्केट में आ गए स्टाइलिश कपड़े, भीड़ से बनाएंगे आपको अलग - Design

औषधीय गुणों से भरपूर है ये पौधा

वनस्पति वैज्ञानिक डॉ. राघवेंद्र सिंह बताते हैं कि ये पेड़ औषधीय गुणों से भरपूर है. खासकर होली के समय पर इसके फूलों से टेसू की तरह हर्बल कलर भी तैयार किया जा सकते हैं. इसके अलावा इस पेड़ की छाल का उपयोग सर्पदंश के इलाज, हल्के बुखार और जलन में भी किया जाता है. दस्त लगने पर पेड़ की छाल का पानी दिया जाता है. इस पेड़ की लकड़ी ठोस होती है और कहीं-कहीं इसका प्रयोग हल्के फर्नीचर में करते हैं. वर्तमान में इसका उपयोग वानस्पतिक उद्यानों में सजावटी फूल वाले पेड़ के तौर पर किया जा रहा है.

सागर यूनिवर्सिटी के वनस्पति वैज्ञानिक डॉ राघवेंद्र सिंह

सागर। होली के त्यौहार में जितना रंगों को महत्व है, उतना ही महत्व फूलों का है. भले ही आज केमिकल युक्त रंग होली के त्यौहार में अपना कब्जा जमा चुके हैं. लेकिन आज भी लोग टेशू और दूसरे फूलों के साथ होली का त्यौहार मनाते हैं. एक और विदेशी पेड़ पर इन दिनों जमकर फूल आए हैं और इसका उपयोग हर्बल कलर के लिए किया जाता है. ये पेड़ मुख्यतः दक्षिण अमेरिका में पाया जाता है. ये पेड़ भारत में कम देखने को मिलता है. लेकिन सागर में यूनिवर्सिटी के वॉटनिकल गार्डन और सहोद्राबाई राय पॉलीटेक्निक में ये पेड़ लगा हुआ है. जिसके ऊपर पीले फूल छा गए हैं. जानकार बताते हैं कि ये पेड़ सिर्फ बसंत ऋतु में 10-15 दिनों के लिए फूलता है.

फूलों के खिलने का लोगों को बेसब्री से इंतजार

सागर यूनिवर्सिटी का वॉटनिकल गार्डन अपनी विरासत के लिए देशभर में जाना जाता है. इस गार्डन में दुनियाभर के पेड़-पौधे मिल जाएंगे. इसी गार्डन में इस सुनहरे पीले फूलों वाला ये पेड़ लगा हुआ है. जिसके फूलों के खिलने का इंतजार लोगों को बेसब्री से रहता है. इसके अलावा सागर के सहोद्राबाई राय पॉलीटेक्निक कॉलेज में भी दो पेड़ लगे हुए हैं. इस पेड़ पर साल में एक बार सिर्फ बसंत ऋतु में फूल आते हैं और नवरात्रि तक ये फूल खत्म हो जाते हैं. वैसे तो ये पौधा कई औषधीय गुणों से भरपूर है. लेकिन आजकल इसका उपयोग गार्डन की सजावट के लिए ज्यादा हो रहा है. इस फूल से हर्बल कलर भी बनाए जा सकते हैं. टेशू के फूलों के रंग के साथ इन शानदार पीले फूलों से होली को और भी रंगीन बनाया जा सकता है.

sagar university botanical garden exotic tree flowers
फूलों के खिलने का लोगों को बेसब्री से इंतजार

हिंदी में बसंतकुंज और अंग्रेजी में सिल्वर ट्रंपेट ट्री है फूल का नाम

सागर में इन दिनों जो पीले रंग का फूल एक विदेशी पेड़ पर देखा जा रहा है। इसका वानस्पतिक नाम Tabebuia aurea (तबेबुइया औरिया) है. ये पेड़ दक्षिण अमेरिका, ब्राजील और सूरीनाम देश में पाया जाता है. भारत में ये वेस्टर्न घाट में देखने मिलता है. सामान्य भाषा में tree of gold और silver trumpet tree कहते हैं. इसे हिंदी में बसंत कुंज भी कहते हैं और यह फैविसी कुल का पेड़ है. सामान्य तौर पर इसकी ऊंचाई 8 से 10 मीटर होती है और कहीं-कहीं 12 मीटर तक ऊंचाई देखने मिलती है. इस पेड़ की खासियत ये है कि सालभर में एक बार सिर्फ थोड़े से समय के लिए इसमें फूल आते हैं. पेड़ में बसंत ऋतु में फूल आते हैं. होली के आसपास देखने मिलते हैं और नवरात्रि तक समाप्त हो जाते हैं.

ये खबरें भी पढ़ें....

प्रसिद्ध शहनाई वादक की होली पर शानदार प्रस्तुति, 'मो पे डारो ना रंग गिरधारी' पर झूम उठे लोग - सागर में होली पर प्रस्तुति

होली पर सेलिब्रिटीज की तरह हो जाएं तैयार, मार्केट में आ गए स्टाइलिश कपड़े, भीड़ से बनाएंगे आपको अलग - Design

औषधीय गुणों से भरपूर है ये पौधा

वनस्पति वैज्ञानिक डॉ. राघवेंद्र सिंह बताते हैं कि ये पेड़ औषधीय गुणों से भरपूर है. खासकर होली के समय पर इसके फूलों से टेसू की तरह हर्बल कलर भी तैयार किया जा सकते हैं. इसके अलावा इस पेड़ की छाल का उपयोग सर्पदंश के इलाज, हल्के बुखार और जलन में भी किया जाता है. दस्त लगने पर पेड़ की छाल का पानी दिया जाता है. इस पेड़ की लकड़ी ठोस होती है और कहीं-कहीं इसका प्रयोग हल्के फर्नीचर में करते हैं. वर्तमान में इसका उपयोग वानस्पतिक उद्यानों में सजावटी फूल वाले पेड़ के तौर पर किया जा रहा है.

Last Updated : Mar 23, 2024, 11:28 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.