जयपुर. ऑर्गन ट्रांसप्लांट फर्जी एनओसी प्रकरण में घिरे राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हैल्थ साइंस (आरयूएचएस) के वीसी डॉ सुधीर भंडारी ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपा दिया. इस पर चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने कहा कि डॉ भंडारी का चिकित्सा विभाग में खौफ था. वे पूर्ववर्ती सरकार में पावर सेंटर बन चुके थे. इस्तीफा देने के बाद भी उन पर जांच जारी रहेगी.
इससे पहले चिकित्सा विभाग ने आरयूएचएस के वीसी डॉ सुधीर भंडारी को स्टेट ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट ओर्गनइजेशन (सोटो) के चैयरमेन पद से हटा दिया था. इसके साथ ही राज्य सरकार ऑर्गन ट्रांसप्लांट फर्जी एनओसी प्रकरण से जुड़ी जांच रिपोर्ट को राजभवन भेजने की तैयारी कर रहा था. लेकिन इससे पहले डॉ भंडारी ने इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया. इस जांच रिपोर्ट के माध्यम से डॉ भंडारी को आरयूएचएस के वीसी पद से हटाने की सिफारिश की जानी थी. मामले को लेकर चिकित्सा मंत्री का कहना है कि इस प्रकरण से जुड़ी पूरी रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी गई है और भंडारी का इस्तीफा भी मंजूर हो गया है.
भंडारी का खौफ: चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने कहा कि पिछली सरकार में डॉ सुधीर भंडारी को काफी महत्वपूर्ण पद चिकित्सा विभाग में दिए गए. पहले उन्हें सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल बनाया गया और उसके बाद आरयूएचएस के वीसी पद पर भी बिठाया गया. मंत्री ने ये भी कहा कि ऐसा सुनने में आया है कि डॉ सुधीर भंडारी का चिकित्सा विभाग में काफी खौफ था. मंत्री ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि ट्रांसप्लांट से जुड़ा ये मामला वर्ष 2020 से चल रहा था. ट्रांसप्लांट से जुड़ी फाइल बाबू से लेकर मंत्री और सीएम तक जाती थी. कांग्रेस सरकार में भंडारी पावर सेंटर बन चुके थे. मंत्री ने यह भी कहा कि भले ही भंडारी ने इस्तीफा दे दिया हो, लेकिन उन पर जांच जारी रहेगी.
मीटिंग का रिकॉर्ड नहीं: खींवसर ने कहा कि डॉ सुधीर भंडारी सोटो के चैयरमेन थे. उस समय ट्रांसप्लांट को लेकर जो मीटिंग्स हुई, उनका कोई रिकॉर्ड सामने नहीं आया है. जांच रिपोर्ट में कुछ महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट भी हाथ लगे हैं. ऐसे में जब तक इस पूरे प्रकरण से जुड़े आरोपी पकड़े नहीं जाते, तब तक सरकार जांच करती रहेगी और जरुरत पड़ी तो मुख्यमंत्री से स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन करने की मांग भी रखेंगे.