पटना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की कैबिनेट की बैठक में वन नेशन वन इलेक्शन पर मुहर लग गई है. लंबे समय से इस पर चर्चा हो रही थी. बिहार की सत्ताधारी दल बीजेपी और जदयू के नेताओं ने केंद्र सरकार की तारीफ की है तो वहीं विपक्षी राजद की तरफ से विरोध जताया गया है.
'जनता की गाढ़ी कमाई बचेगी'- BJP: भाजपा प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने कहा कि एक देश एक चुनाव के प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी देश को एक बड़े अर्थ संकट से बचाने की कवायद है. देश में दो चुनाव की परंपरा से जनता की गाढ़ी कमाई का बड़ा हिस्सा चुनाव में खर्च होता था. अब उम्मीद की जानी चाहिए कि यह राशि बचेगी.
"सबसे बड़ा लाभ एक साथ लोकसभा और विधानसभा का चुनाव होना रहेगा. एक बार में सरकारी मशीनरी का उपयोग होगा, ताकि विकास कार्य में व्यवधान ना हो."- प्रभाकर मिश्रा, बीजेपी प्रवक्ता
JDU ने पहले ही जतायी थी सहमति: वहीं जेडीयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर कहा कि केंद्र सरकार ने आदरणीय रामनाथ गोविंद जी की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी. कमेटी में जेडीयू ने भी अपनी सहमति पहले ही दे दी थी. वन नेशन इलेक्शन को केंद्रीय कैबिनेट ने पास कर दिया है. वहीं जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने भी इस फैसले का स्वागत किया है.
"यह बड़ी खुशी की बात है. देश में अब वन नेशन वन इलेक्शन का रास्ता साफ हो गया है."- अरविंद निषाद, जेडीयू प्रवक्ता
"हमलोगों ने कमेटी को अपनी पार्टी की तरफ से और अपने नेता नीतीश कुमार की तरफ से पहले ही समर्थन दे दिया था. नीतीश कुमार शुरू से ही लोकसभा और विधानसभा का साथ में चुनाव कराने के पक्षधर रहे हैं. हमारा देश इलेक्शन मोड में ही रहता है. एक खत्म होता नहीं कि दूसरा शुरू हो जाता है. ऐसे में लोगों के विकास कार्य की गति रुक जाती है. इसको मंजूरी से जीडीपी में भी इम्प्रूवमेंट होगा."- संजय झा, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष, जेडीयू
'सरकार बीच में गिर गई तो..'- मनोज झा: आरजेडी की तरफ से वन नेशन वन इलेक्शन का विरोध किया गया है. राजद सांसद मनोज झा ने कहा कि आज हमें बताया गया कि मंत्रिमंडल ने इसे मंजूरी दे दी है, लेकिन हममें से किसी ने भी अंतिम विवरण नहीं देखा है. क्या यह महिला आरक्षण विधेयक की तरह ही है? क्योंकि यह अनिर्धारित चीज है - परिसीमन के बाद. परिसीमन कब होगा? जनगणना कब निर्धारित है? इसके बारे में कोई नहीं जानता. किससे पूछें?
"कुछ बुनियादी चिंताएं बनी हुई हैं. हम अंतिम विवरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं. यदि सरकार बीच में गिर जाती है, तो क्या तंत्र होगा? क्या इसे राज्यपाल द्वारा चलाया जाएगा, जो केंद्र सरकार का प्रतिनिधि है? ये ऐसी चिंताएं हैं जो हमें और पूरे भारत को परेशान करती हैं. इसलिए, चलिए अंतिम ब्लूप्रिंट का इंतज़ार करते हैं."- मनोज झा, आरजेडी सांसद
'वन नेशन वन हेल्थ की हो'- एजाज अहमद: आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि केंद्र सरकार वन नेशन वन इलेक्शन की बात तो करती है. वन नेशन वन हेल्थ की बात नहीं करती है. वन नेशन वन एजुकेशन, वन नेशन आल एंप्लॉयमेंट की बात क्यों नहीं करती है? केंद्र सरकार को जनता के मुद्दे से कोई मतलब नहीं है.
"जब भी चुनाव आता है वन नेशन वन इलेक्शन का राग अलापने लगती है. अब दिल्ली चुनाव से पहले यह राग अलापने लगी है. वन नेशन वन इलेक्शन में लोकसभा और विधानसभा चुनाव की बात तो की जा रही है , लेकिन पंचायत स्तर के चुनाव की बात क्यों नहीं की जा रही है. स्पष्ट है अपने राजनीतिक हित के लिए जनता का मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए इस तरह की कवायद कर रही है."- एजाज अहमद, आरजेडी प्रवक्ता
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