राजगढ़। मध्य प्रदेश के राजगढ़ में केवट समाज ने एक नई पहल की है, जहां पहली बार मां के निधन के बाद आयोजित पगड़ी कार्यक्रम में बेटी के सिर पर पगड़ी बांधी गई. इसकी चर्चा पूरे राज्य में हो रही है और बेटी बचाव, बेटी पढ़ाओ नारे को चरितार्थ करते इस पहल की सराहना की जा रही है. बेटों को प्राथमिकता देने वाले केवट (भोई) समाज में बेटियों को पुत्र के बराबर सम्मान देने का निर्णय लिया गया.
बेटी को पुत्र के समान दर्जा
राजगढ़ के तिलक मार्ग में निवास करने वाले हरिशंकर मेवाड़े का कुछ साला पहले ही निधन हो गया था. वहीं, विगत दिनों हरिशंकर की पत्नी धापूबाई ने भी कैंसर की बीमारी से जूझते हुए दम तोड़ दिया. स्वर्गीय धापूबाई मेवाड़े का शनिवार को पगड़ी कार्यक्रम और कन्या भोज का आयोजन किया गया. इस दौरान केवट समाज के लोगों ने निर्णय लिया कि घर की सबसे बड़ी बेटी को पुत्र के समान दर्जा दिया जाए. इसके बाद बेटी रिया मेवाड़े को पगड़ी पहनाई गई और कन्या भोज सहित अन्य कार्यक्रम सामाजिक रीति-रिवाज के साथ संपन्न किया गया.
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बेटी बचाव, बेटी पढ़ाव को मिला बल
रिया मेवाड़े हाल ही घोषित 12वीं बोर्ड की परीक्षा में टॉपर रही है, वहीं इसके छोटी बहन ने भी 10वीं की परीक्षा में करीब 80 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण की है. केवट भोई समाज के इस पहल ने शासन, प्रशासन और अन्य समाजों को एक नई प्रेरणा और बेटी बचाव, बेटी पढ़ाओ को नया बल दिया है. समाज के अध्यक्ष श्याम मेवाड़े ने कहा कि 'उनके पिता की पहले ही मृत्यु हो चुकी है, अब माता के मृत्यु के बाद दोनों बहनों के अलावा उनके परिवार में कोई नहीं है. समाज ने पहली बार बेटियों को बेटा के समान मानकर उनके सिर पर पगड़ी बांधी है और उनको बेटों के बराबर का दर्जा दिया है.