जयपुर : प्रदेश में पेपर लीक की समस्या से निपटने के लिए अब राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड डिजिटल तरीका अपनाने जा रहा है. बोर्ड की ओर से कनिष्ठ अनुदेशक भर्ती में कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट लिया जाएगा. बोर्ड की प्लानिंग है कि आगामी दिनों में बड़ी भर्ती परीक्षाओं में भी तकनीक का सहारा लेते हुए एग्जाम कराया जाए. इसके लिए बोर्ड अब टैबलेट बेस्ड टेस्ट कराने की भी प्लानिंग कर रहा है.
टीबीटी यानी टैबलेट बेस्ड टेस्ट कराने की प्लानिंग : बीते सालों में राजस्थान में एक के बाद एक पेपर लीक के कई मामले सामने आए. एग्जाम के दौरान इंटरनेट बैन करने और अभ्यर्थियों को परीक्षा से एक घंटा पहले परीक्षा केंद्र पर उपस्थिति दर्ज कराने जैसे कदम उठाने के बावजूद पेपर लीक जैसी समस्या पर नकेल नहीं कसी. लाइब्रेरियन भर्ती, जेईएन सिविल, रीट लेवल-II, कांस्टेबल भर्ती, एसआई भर्ती, सीएचओ, वनरक्षक और सेकंड ग्रेड शिक्षक भर्ती जैसी बड़ी परीक्षाओं में पेपर लीक होने के बाद अभ्यर्थियों में भारी रोष भी देखने को मिला. हालांकि, अब पेपर लीक जैसी बीमारी का उपचार राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने निकाला है. बोर्ड अब आगामी बड़ी भर्ती परीक्षाओं के लिए टीबीटी यानी टैबलेट बेस्ड टेस्ट कराने की प्लानिंग कर रहा है.
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परीक्षा में न पेपर, न कंप्यूटर : कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष मेजर जनरल आलोक राज ने बताया कि प्रदेश में कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट केवल 20 हजार अभ्यर्थियों के ही कराए जा सकते हैं, लेकिन उसमें भी जो कंप्यूटर सेंटर्स हैं, उनकी क्रेडिबिलिटी कम है. पारदर्शिता के नजरिए से कैपेसिटी घटकर महज 3000 से 4000 रह जाती है. ऐसे में फिलहाल कनिष्ठ अनुदेशक जैसे कम अभ्यर्थियों वाली परीक्षाएं सीबीटी मोड पर कराई जाएगी, लेकिन जल्द टैबलेट बेस्ड टेस्ट यानी टीबीटी के जरिए परीक्षा कराने की प्लानिंग की जा रही है. इस संबंध में कुछ कंपनियों से बातचीत चल रही है, इसके तहत परीक्षाएं सरकारी स्कूलों में ही कराई जाएंगी, लेकिन छात्रों को न तो पेपर दिया जाएगा और न ही कंप्यूटर लगाए जाएंगे, बल्कि इसकी जगह डिजिटल प्रणाली अपनाते हुए टैबलेट वितरित किए जाएंगे.
उन्होंने बताया कि इसी टैबलेट पर पेपर आएगा और फिर अभ्यर्थी अपना आंसर ओएमआर शीट पर देगा. इससे पेपर लीक की समस्या भी हल होगी और बड़ी परीक्षाएं भी आयोजित कराई जा सकेंगी. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस टेस्ट में किसी भी पर्यवेक्षक पर डिपेंड नहीं रहेंगे, क्योंकि हर पर्यवेक्षक टेक्नोलॉजी फ्रेंडली हो ये जरूरी नहीं, इसलिए जो भी टैबलेट होंगे उसमें इस तरह का सिस्टम इंस्टॉल किया जाएगा कि वो किसी और मोड पर काम ही ना करें. ये एक रिवॉल्यूशनरी आइडिया होगा, यदि ये धरातल पर उतर जाए तो पेपर लीक की समस्या समाप्त हो जाएगी.