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हाईकोर्ट ने कहा- प्रशासनिक जरूरतों को पूरा करने की आड़ में अयोग्य को नहीं दी जा सकती नियुक्ति - Rajasthan High Court

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दौसा नगर परिषद की सचिव को आयुक्त पद का दिया गिया अतिरिक्त प्रभार के आदेश को रद्द कर दिया है.

INELIGIBLE CANNOT BE APPOINTED, RAJASTHAN HIGH COURT
राजस्थान हाईकोर्ट . (Etv Bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 14, 2024, 9:33 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी अयोग्य व्यक्ति को प्रशासनिक आवश्यकता का हवाला देते हुए आयुक्त पद पर नियुक्ति नहीं दी जा सकती. किसी ऐसे व्यक्ति को उस पद पर नहीं रखा जा सकता, जिसके पास उस पद की निर्धारित योग्यता ही नहीं है. इसके साथ ही अदालत ने डीएलबी निदेशक के गत 17 फरवरी के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसके तहत दौसा नगर परिषद की सचिव मोनिका सोनी को आयुक्त पद का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया था. अदालत ने कहा कि मोनिका सोनी ईओ तृतीय वर्ग की अधिकारी हैं, जबकि नियमानुसार आयुक्त पद पर ईओ द्वितीय वर्ग के अधिकारी को वरिष्ठता कम पदोन्नति के जरिए भरा जा सकता है. जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश दौसा नगर परिषद के वार्ड 55 से पार्षद कमलेश कुमार मीणा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि नगर परिषद आयुक्त का पद दक्षता वाला होता है. ऐसे में इसे ऐसे व्यक्ति द्वारा पूरा नहीं किया जा सकता, जो उस पद को धारण करने की योग्यता ही नहीं रखता है. अयोग्य व्यक्ति को आयुक्त का अतिरिक्त कार्यभार सौंपने से पूरे परिषद के कामकाज पर असर पडे़गा. याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता आरबी माथुर ने अदालत को बताया कि ईओ तृतीय स्तर की अधिकारी मोनिका सोनी को गत 15 फरवरी को दौसा नगर परिषद का सचिव बनाया गया था. वहीं, 17 फरवरी को डीएलबी निदेशक ने आदेश जारी कर उन्हें परिषद के आयुक्त पद का अतिरिक्त कार्यभार सौंप दिया.

पढ़ेंः आईएएस और उपायुक्त के खिलाफ जारी जमानती वारंट की क्रियान्विति पर रोक - Rajasthan High Court

याचिका में कहा गया कि मोनिका सोनी आयुक्त पद के लिए तय योग्यता नहीं रखती हैं. नियमानुसार आयुक्त पद को मेरिट के आधार पर पदोन्नति के जरिए भरा जा सकता है. इसके लिए तीन साल का अनुभव रखने वाला ईओ द्वितीय स्तर का अधिकारी ही इसके लिए पात्र होता है, जबकि मोनिका सोनी ईओ तृतीय स्तर की अधिकारी हैं और उनके पास सचिव पद का पांच साल का अनुभव भी नहीं है. ऐसे में उन्हें दिए गए अतिरिक्त कार्यभार के आदेश को रद्द किया जाए. इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार और मोनिका सोनी की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता प्रभावित व्यक्ति नहीं है. ऐसे में उन्हें याचिका दायर करने का अधिकार नहीं है. इसके अलावा अधिकारियों की कमी के चलते समान कैटेगरी के अधिकारी को आयुक्त पद का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है. सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने सचिव मोनिका सोनी को आयुक्त पद का अतिरिक्त कार्यभार देने के संबंध में जारी आदेश को रद्द कर दिया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी अयोग्य व्यक्ति को प्रशासनिक आवश्यकता का हवाला देते हुए आयुक्त पद पर नियुक्ति नहीं दी जा सकती. किसी ऐसे व्यक्ति को उस पद पर नहीं रखा जा सकता, जिसके पास उस पद की निर्धारित योग्यता ही नहीं है. इसके साथ ही अदालत ने डीएलबी निदेशक के गत 17 फरवरी के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसके तहत दौसा नगर परिषद की सचिव मोनिका सोनी को आयुक्त पद का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया था. अदालत ने कहा कि मोनिका सोनी ईओ तृतीय वर्ग की अधिकारी हैं, जबकि नियमानुसार आयुक्त पद पर ईओ द्वितीय वर्ग के अधिकारी को वरिष्ठता कम पदोन्नति के जरिए भरा जा सकता है. जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश दौसा नगर परिषद के वार्ड 55 से पार्षद कमलेश कुमार मीणा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि नगर परिषद आयुक्त का पद दक्षता वाला होता है. ऐसे में इसे ऐसे व्यक्ति द्वारा पूरा नहीं किया जा सकता, जो उस पद को धारण करने की योग्यता ही नहीं रखता है. अयोग्य व्यक्ति को आयुक्त का अतिरिक्त कार्यभार सौंपने से पूरे परिषद के कामकाज पर असर पडे़गा. याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता आरबी माथुर ने अदालत को बताया कि ईओ तृतीय स्तर की अधिकारी मोनिका सोनी को गत 15 फरवरी को दौसा नगर परिषद का सचिव बनाया गया था. वहीं, 17 फरवरी को डीएलबी निदेशक ने आदेश जारी कर उन्हें परिषद के आयुक्त पद का अतिरिक्त कार्यभार सौंप दिया.

पढ़ेंः आईएएस और उपायुक्त के खिलाफ जारी जमानती वारंट की क्रियान्विति पर रोक - Rajasthan High Court

याचिका में कहा गया कि मोनिका सोनी आयुक्त पद के लिए तय योग्यता नहीं रखती हैं. नियमानुसार आयुक्त पद को मेरिट के आधार पर पदोन्नति के जरिए भरा जा सकता है. इसके लिए तीन साल का अनुभव रखने वाला ईओ द्वितीय स्तर का अधिकारी ही इसके लिए पात्र होता है, जबकि मोनिका सोनी ईओ तृतीय स्तर की अधिकारी हैं और उनके पास सचिव पद का पांच साल का अनुभव भी नहीं है. ऐसे में उन्हें दिए गए अतिरिक्त कार्यभार के आदेश को रद्द किया जाए. इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार और मोनिका सोनी की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता प्रभावित व्यक्ति नहीं है. ऐसे में उन्हें याचिका दायर करने का अधिकार नहीं है. इसके अलावा अधिकारियों की कमी के चलते समान कैटेगरी के अधिकारी को आयुक्त पद का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है. सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने सचिव मोनिका सोनी को आयुक्त पद का अतिरिक्त कार्यभार देने के संबंध में जारी आदेश को रद्द कर दिया है.

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